Jaipur news: राजस्थान की  राजधानी जयपुर में झोटवाड़ा फ्लाइओवर के पास करोडों रूपए की बेशकीमती जमीन का नामांतरण गलत तरीके से खोलने का मामला सामने आने के बाद जयपुर कलेक्ट्रेट में हड़कंप मच गया है.जयपुर कलक्टर प्रकाश राजपुरोहित की सिफारिश पर राजस्व मंडल ने तहसीलदार संदीप बेरड को निलंबित कर दिया हैं.साथ में 16सीसीए की चार्जशीट देने की प्रकिया शुरू हो गई हैं.


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फैक्ट्री के नाम दर्ज जमीन
दरअसल मामला फैक्ट्री के नाम दर्ज जमीन का व्यक्ति विशेष के नाम नामांतरण खोलने से जुडा हैं.टाइटन मॉल के पास स्थित 18 बीघा 7 बिस्वा जमीन का नामांतरण जयसिंह और वीरेन्द्र सिंह पिता भरतसिंह के नाम तहसीलदार कोर्ट के निर्णय के बाद खोला गया.जबकि ये जमीन स्टार्च फैक्ट्री के नाम थी और तहसीलदार कोर्ट ने नामांतरण व्यक्ति विशेष के नाम कर दिया. मामला विवादित होने के बाद जयपुर कलेक्टर ने तहसीलदार को प्रथम दृश्या दोषी मानते हुए, उसके निलंबित करने के लिए रेवेन्यू डिपार्टमेंट को पत्र लिखा.जिसके बाद राजस्व मंडल ने जयपुर तहसीलदार संदीप बेरड को तुरंत प्रभाव से निलंबित कर दिया. 


1943 में स्टार्च फैक्ट्री  आवंटित 
दस्तावेजों के मुताबिक ये जमीन साल 1943 में स्टार्च फैक्ट्री के लिए आवंटित हुई थी. तब इस फैक्ट्री में रतन सिंह पुत्र स्व. लक्ष्मण सिंह और भरत सिंह पार्टनर थे. जब जमीन का नामांतरण खोला गया तो उस दौरान स्टार्च फैक्ट्री का नाम निर्धारित नहीं था तो सरकार ने नामांतरण स्टार्च फैक्ट्री कब्जा सेठ भरतसिंह के नाम से खोल दिया. भरतसिंह की 1964 में मृत्यु होने के बाद उनके वारिसान जयसिंह, वीरेन्द्र सिंह, मीना देवी, संतोष जैन, बेला गुप्ता, संजीव कुमार और रितू कुमार ने जमीन पर अपना हक जमाते हुए इस मामले का नामांतरण खोलने के लिए जयपुर तहसीलदार कोर्ट में एक याचिका लगाई.


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इस कोर्ट में विपक्षी पक्ष रतन सिंह ने भी आपत्ति जताई, साल 2022 में दर्ज हुए विवाद की सुनवाई पूरी होने के बाद तहसीलदार ने वारिसान के पक्ष में फैसला करते हुए जमीन का नामांतरण वारिसान के पक्ष में खोलने के आदेश जारी कर दिए. इसी आदेशों के आधार पर वारिसो के नाम विरासत के आधार पर नामांतरण खोला दिया. इससे सरकार को मिलने वाली करोडों रूपए की स्टाम्प ड्यूटी का नुकसान हुआ.


नामांतरण खुलने के बाद वारिसान ने इस जमीन को 20 करोड़ रुपए में एक पार्टी को बेच दिया. जमीन के बेचान के बाद जब रजिस्ट्री के लिए दस्तावेज पंजीयन एवं मुद्रांक कार्यालय में गए तो वहां से डिप्टी रजिस्ट्रार ने पंजीयन के लिए डीआईजी स्टाम्प से मार्ग दर्शन मांगा, क्योंकि 50 लाख रुपए से ज्यादा की सम्पत्ति होने पर जब मौका निरीक्षण किया तो वहां जमीन पर फैक्ट्री मिली और बेचान के दस्तावेज में रीको की आरक्षित दरें लगाई गई.


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जबकि प्रशासन ने मार्ग दर्शन मांगा की इसमें डीएलसी दर से रजिस्ट्री की जाए या रीको की आरक्षित दर से.इस दौरान विपक्ष पार्टी ने रजिस्ट्रार ऑफिस में आपत्ति लगा दी.उधर निलंबित तहसीलदार का कहना हैं नियमो के मुताबिक काम हुआ हैं.