नगर निगम ग्रेटर और हैरीटेज ने UDT से वसूले 88.34 करोड़, 15वें वित्त आयोग से मिलने वाले अनुदान का रास्ता साफ
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नगर निगम ग्रेटर और हैरीटेज ने UDT से वसूले 88.34 करोड़, 15वें वित्त आयोग से मिलने वाले अनुदान का रास्ता साफ

Jaipur News: जयपुर नगर निगम में इस साल यूडी टैक्स की रिकॉर्ड रिकवरी हुई है. इस रिकवरी के साथ ही 15वें वित्त आयोग से मिलने वाले अनुदान का रास्ता भी साफ हो गया है. क्योंकि पिछले दिनों केन्द्र सरकार ने प्रदेश की सभी नगरीय निकायों को पिछले साल के मुकाबले ज्यादा वसूलने के लिए कहा था.

 

नगर निगम ग्रेटर और हैरीटेज ने UDT से वसूले 88.34 करोड़,  15वें वित्त आयोग से मिलने वाले अनुदान का रास्ता साफ

Jaipur: जयपुर नगर निगम में इस साल यूडी टैक्स की रिकॉर्ड रिकवरी हुई है. इस रिकवरी के साथ ही 15वें वित्त आयोग से मिलने वाले अनुदान का रास्ता भी साफ हो गया है. क्योंकि पिछले दिनों केन्द्र सरकार ने प्रदेश की सभी नगरीय निकायों को पिछले साल के मुकाबले ज्यादा वसूलने के लिए कहा था. रिपोर्ट के मुताबिक पिछले वित्त वर्ष 2021-22 में दोनों नगर निगम (ग्रेटर और हैरिटेज) में यूडीटैक्स 72.92 करोड़ रुपए की रिकवरी हुई है.लेकिन कल खत्म हुए वित्तवर्ष 2022-23 में रिकवरी 88.34 करोड़ रुपए की हुई है.

जयपुर नगर निगम हेरीटेज और ग्रेटर ने फाइनेंशियल ईयर में इस बार यूडी टैक्स और विज्ञापन शुल्क के पेटे 103 करोड़ की राजस्व वसूली कर अपनी लाज बचा ली है. रिकार्ड रिकवरी के साथ ही नगर निगम पर 15 वे वित्त आयोग से अनुदान न मिलने का संकट मंडरा रहा था वो दूर हो गया है. दोनो नगर निगम के वित्तीय वर्ष 2022-23 का लेखा-जोखा देखे तो नगर निगम ग्रेटर में यूडी टैक्स और विज्ञापन शुल्क के पेटे 68 करोड़ 19 लाख की वसूली की जिसमे यूडी टैक्स के पेट 59 करोड़ 19 लाख रुपये और विज्ञापन शुल्क के पेटे 9 करोड़ का राजस्व आया. 

इसी तरह नगर निगम हैरीटेज में 34 करोड़ 51 लाख की राजस्व वसूली की गई. जिसमें यूडी टैक्स के पेट 29 करोड़ 15 लाख रुपये और विज्ञापन शुल्क के पेटे 5 करोड़ 36 लाख का राजस्व मिला. जबकि 2021-22 में यूडी टैक्स और विज्ञापन शुल्क के पेटे 84 करोड़ राजस्व मिला था. दरअसल केन्द्र सरकार ने भी निकायों को हर साल ज्यादा से ज्यादा यूडी टैक्स वसूलने के लिए कहा है. पिछले दिनों जब केन्द्रीय शहरी विकास मंत्रालय ने पत्र लिखा था तब उसमें यूडीटैक्स की वसूली 4.30 फीसदी की ग्रोथ रेट से वसूलने के लिए कहा था. ऐसा नहीं करने पर केन्द्रीय वित्त आयोग की तरफ से निकायों को जो फंड जारी किया जाता है उसे रोक लिया जाएगा. 

जयपुर नगर निगम ग्रेटर और हैरिटेज में 1.59 लाख से ज्यादा सम्पत्तियां है.जो टैक्स के दायरे में आती है. इनमें से ये टैक्स 32 हजार से प्रोपर्टी के मालिकों से ही वसूल किया गया है.दोनो नगर निगम के अलग अलग आंकड़ो पर नजर डाले तो नगर निगम हैरीटेज में 54 हजार प्रॉपर्टी ऐसी है जो टैक्स के दायरे में है लेकिन इनमें से सिर्फ 12 हजार 529 सम्पतियों से UD टैक्स वसूला गया . इसी तरह नगर निगम ग्रेटर में करीब 1 लाख 5 हजार प्रोपर्टी में से 19 हजार 617 से ही UD टैक्स वसूला जा सका. उधर नगर निगम को यूडीटैक्स से भले ही इस बार रिकॉर्ड वसूली हुई हो. लेकिन इसमें से 10 फीसदी राशि नगर निगम को टैक्स वसूलने वाली एजेंसी को देनी होगी. 

नगर निगम ग्रेटर और हैरिटेज एरिया में अभी स्पैरो नाम से कंपनी यूडीटैक्स की वसूली करती है. इसके बदले कंपनी को 9.9 फीसदी राशि कमीशन के रूप में दी जाती है. गौरलतब है कि जयपुर की दोनों शहरी सरकार में अभी भी 650 करोड़ रुपये 1 लाख से ज्यादा प्राइवेट और सरकारी सम्पत्तियों पर बकाया चल रहा है. ये तो तब है जब की यूडी टैक्स और विज्ञापन शुल्क वसूलने का निजी फर्म स्पेरो कंपनी को दे रखा है.नगर निगम द्वारा इस फर्म को वसूली गई राशि का 9.9 फीसदी कमीशन दिया जाता हैं. 

उसके बावजूद 1 लाख बकायादारों से वसूली नही की जा सकी है. ये ही कारण है की आर्थिक तंगी से जूझ रहे दोनों नगर निगम पैसे की कमी के चलते विकास पर कैंची चला रहे हैं.हमेशा की तरह जयपुर शहर में सफाई, विकास के काम नहीं होने के पीछे दोनों ही नगर निगम आर्थिक स्थिति खराब होने का राग अलाप रहे हैं.शहर में सड़कों के निर्माण के लिए दोनों ही निगमों को सरकार या जेडीए, पीडब्ल्यूडी पर निर्भर रहना पड़ता है.आज दोनों ही नगर निगम में ढाई हजार से ज्यादा कर्मचारियों-अधिकारियों की टीम है.लेकिन ये टीम न तो टैक्स वसूल पा रही और न ही शहर में विकास के काम करवा पा रही.यूडी टैक्स की वसूली भी निगम की ओर से हमेशा फाइनेंशियल ईयर के आखिरी दो महीने में की जाती है.इससे पहले 10 महीने तक निगम की टीम टैक्स वसूली में कोई खास प्रयास नहीं करती.

बहरहाल, नगर निगम की माली हालत खराब होने के पीछे शहर के बड़े रसूखदार बकायेदार है जो करोड़ों रूपये का यूडी टैक्स सालों से दबाकर बैठे है.चौंकाने वाली बात यह है कि 10-10 सालों से टैक्स नहीं देने वाले रसूखदारों पर निगम प्रशासन अभी भी मेहरबानी दिखा रहा है. निगम ने आम लोगों के घरों से टैक्स वसूली में सख्ती दिखाई, लेकिन रसूखदारों को लगातार छूट देती रही.बकायादारों पर नजर डाली जाए तो दोनों नगर निगम के सबसे बड़े बकायादार सरकारी महकमे ही हैं.

ये महकमे निगम को पैसा नहीं चुकाते हैं और निगम भी इन महकमों पर सख्ती नहीं कर पाता है.जिसकी वजह से इनका बकाया हर साल बढ़ता जा रहा है. निगम भी इस बकाया राशि को वसूल करने के खास प्रयास नहीं करता है.केवल विभागों से पत्राचार कर करके इतिश्री कर ली जाती है. दोनों निगम में राजस्व वसूली कर स्पैरो कंपनी भी सरकारी महकमे होने की वजह से वसूलन में बैकफुट पर है.कंपनी कई बार उच्चाधिकारियों को इस वसूली में सहयोग की अपील कर चुकी है.

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