डॉग बाइट का शिकार हुए बच्चे Vishal Meena की होगी प्लास्टिक सर्जरी, SMS Hospital रेफर
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डॉग बाइट का शिकार हुए बच्चे Vishal Meena की होगी प्लास्टिक सर्जरी, SMS Hospital रेफर

परिजनों के मुताबिक, मानसरोवर के जिस प्राइवेट अस्पताल में विशाल का इलाज चल रहा था वहां प्लास्टिक सर्जरी की सुविधा नहीं होने के कारण उसे वापस एसएमएस अस्पताल में भर्ती करवाया है. बच्चे की हालत गंभीर बनी हुई है.

बच्चे की हालत गंभीर बनी हुई है.

Jaipur: अजमेर रोड टैगोर नगर में डॉग बाइट (Dog Bite) के शिकार विशाल मीना (Vishal Meena) को प्राइवेट अस्पताल से एसएमएस अस्पताल (SMS Hospital) शिफ्ट कर दिया गया है और पिट बुल (Pitt Bull) को नगर निगम के श्वान घर में पिंजरे में डाल दिया गया है.

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विशाल मीना (Vishal Meena) के चेहरे की अब प्लास्टिक सर्जरी होगी. विशाल के परिजनों ने बताया कि पिटबुल कुत्ते के सिर और चेहरे को जबड़े में जकड़ कर फाड़ दिया था. नोंचने से उसके करीब 80 टांके आए हैं. इसके बाद विशाल को एमएसएस अस्पताल के पॉलीट्रॉमा में भर्ती करवाया था. जहां पर परिजन बच्चे को दो से तीन घंटे बाद निजी अस्पताल में ले गए.

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परिजनों के मुताबिक, मानसरोवर के जिस प्राइवेट अस्पताल में विशाल का इलाज चल रहा था वहां प्लास्टिक सर्जरी की सुविधा नहीं होने के कारण उसे वापस एसएमएस अस्पताल में भर्ती करवाया है. बच्चे की हालत गंभीर बनी हुई है. उधर पुलिस पिटबुल डॉग को रखने में क्या लापरवाही बरती गई उसकी जांच कर रही है.

इस नस्ल के कुत्ते पर प्रतिबंध लगाने की मांग
नगर निगम के पशु प्रबंधन के अधिकारी भी मानते हैं कि इस नस्ल के कुत्ते नहीं पालने चाहिए. वहीं नगर निगम ग्रेटर में एनीमल शाखा के चेयरमैन अरूण वर्मा ने मेयर शील धाभाई और आयुक्त यज्ञमित्र सिंह देव (Yagyamitra Singh Dev) को नोटशीट पर लिखित में देकर इस नस्ल को शहर में पालने पर प्रतिबंधन करने की मांग की है और कहा कि जिन लोगों ने कुत्तों को पाल रखा है वो बंध्याकरण करवाएं. 

मालिक पिट बुल और रोट व्हीलर को खुले में नहीं छोड़े. खुले में ले जाने से पहले इनके मुंह पर जाली या मास्क लगाएं, जिससे से काटे नहीं. दूसरी तरफ कुत्ते पालने के लिए रजिस्ट्रेशन करवाने मे भी लापरवाह हैं. 15 रुपये सालाना रजिस्ट्रेशन फीस होने के बावजूद सिर्फ 518 लोगों ने रजिस्ट्रेशन करवा रखा है. रजिस्ट्रेशन नहीं करवाने पर कुत्ते को जब्त किया जा सकता है. पालतू कुत्ते के वैक्सीनेशन के साथ साल में एक बार मेडिकल चेकअप जरूरी है.

 

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