Jhunjhunu: बेखौफ बदमाश, बेपरवाह पुलिस, गुढ़ागौड़जी में कैफे संचालन में वर्चस्व की लड़ाई
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Jhunjhunu: बेखौफ बदमाश, बेपरवाह पुलिस, गुढ़ागौड़जी में कैफे संचालन में वर्चस्व की लड़ाई

गुढ़ागौड़जी में पुलिस की नाकामियों से एक संविदाकर्मी के साथ बदमाशों ने बुरी तरह मारपीट की और अब यह संविदाकर्मी जिंदगी और मौत के बीच झूल रहा है.

बेखौफ बदमाश, बेपरवाह पुलिस

Jhunjhunu: राजस्थान के झुंझुनूं (Jhunjhunu News) जिले में बदमाश बेखौफ हो गए है. पुलिस का जरा-सा भी खौफ अपराधियों में नहीं बचा है और पुलिस एफआईआर दर्ज होने के बाद भी हाथ पर हाथ धरे बैठी रहती है. जिससे बदमाश अनकंट्रोल्ड हो गए है.

बुहाना इलाके में फायरिंग की एफआईआर (FIR) दर्ज होने के बाद भी बदमाशों को छोड़ पुलिस शिकायकर्ता को जबरन उठाती रही और एक सेल्समैन की हत्या हो गई. वहीं अब गुढ़ागौड़जी में भी पुलिस की नाकामियों से एक संविदाकर्मी के साथ बदमाशों ने बुरी तरह मारपीट की और अब यह संविदाकर्मी भी जिंदगी और मौत के बीच झूल रहा है.

जानकारी के मुताबिक गुढ़ागौड़जी में कैफे संचालन को लेकर वर्चस्व की लड़ाई के बीच कुछ एक पक्ष के लोगों युवीसिंह और अन्य ने हनुमत कैफे संचालक गणेश खटीक के साथ मारपीट की और उसके कैफे को भी आग लगा दी. जब गणेश खटीक को अस्पताल लाया गया तो गणेश खटीक ग्रुप के युवक भी बड़ी संख्या में अस्पताल पहुंचे और उन्होंने अस्पताल में तोड़फोड़ शुरू कर दी, उन्हें रोकने के लिए संविदाकर्मी आनंदसिंह आगे आया तो उसके साथ मारपीट कर उसका भी हाथ तोड़ दिया गया. इस मामले में पुलिस ने आनंदसिंह की रिपोर्ट पर एफआईआर दर्ज नहीं की तो चिकित्साकर्मियों (Medical Workers) ने धरना दिया और तब जाकर पुलिस ने डॉक्टर की रिपोर्ट पर एफआईआर दर्ज की. इसी एफआईआर से नाराज बदमाशों ने आनंदसिंह का अपहरण कर लिया और उसके साथ एक दिन तक जमकर मारपीट की और उसे मरा समझकर आधी रात को बोरे में डालकर पटक गए.

लीलों की ढाणी के पास घायल आनंदसिंह को ग्रामीणों की मदद से पुलिस (Jhunjhunu Police) ने अस्पताल पहुंचाया जहां से उसे जयपुर रैफर किया गया है. अस्पताल में आनंदसिंह फिलहाल जिंदगी और मौत के बीच झूल रहा है. वहीं पुलिस अब तक जांच के नाम पर हाथ पर हाथ धरे बैठी है और बदमाश 31 दिसंबर से आज तक लगातार हर दिन वारदात पर वारदात करे जा रहे है. संविदाकर्मी के साथ हुई मारपीट के बाद जब थाने वालों ने एफआईआर दर्ज नहीं की तो चिकित्साकर्मियों को धरना देकर एफआईआर दर्ज करवानी पड़ी.

वहीं एफआईआर दर्ज करवा भी दी तो पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की और जानकारी के मुताबिक जब संविदाकर्मी ने थाने में एफआईआर दी तो खुद ही पुलिस मामले को दबाने के लिए कानून का ज्ञान देने लगी. संविदाकर्मी ने खुद से मारपीट, अस्पताल में तोड़फोड़ और राजकार्य में बाधा का आरोप लगाते हुए रिपोर्ट दी तो पुलिस ने कह दिया कि आप तो संविदाकर्मी हो राजकार्य का बाधा का मामला बनता ही नहीं है. इसके बाद जब चिकित्साकर्मियों ने सुरक्षा की गुहार लगाते हुए एफआईआर दर्ज करने की मांग पर धरना दिया तो सामान्य धाराओं में मामला दर्ज कर इतिश्री कर ली.

सवाल, जो खड़े हुए है....?
- कैफे संचालक द्वारा दी गई रिपोर्ट पर पांच दिन बाद भी कार्रवाई क्यों नहीं?
- संविदाकर्मी के साथ अस्पताल में मारपीट और तोड़फोड़, क्या राजकार्य में बाधा नहीं?
- गुढ़ागौड़जी में दो दिनों तक एक कर्मचारी की रिपोर्ट दर्ज क्यों नहीं की गई?
- पांच दिन बीत जाने के बाद भी अब तक पुलिस कार्रवाई क्यों नहीं कर पाई?
- सीसीटीवी फुटेज सामने आने के बाद भी कौन-सी जांच में लगी हुई है पुलिस?
- पुलिस की जांच का अपराधियों में खौफ क्यों नहीं?

Reporter: Sandeep Kedia

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