'झारखंड महादेव मंदिर' की अपनी है एक अलग पहचान, होती है हर मनोकामना पूर्ण
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'झारखंड महादेव मंदिर' की अपनी है एक अलग पहचान, होती है हर मनोकामना पूर्ण

छोटीकाशी कही जाने वाली राजधानी जयपुर में एक महादेव मंदिर जो दूर-दूर तक प्रसिद्ध है. इस मंदिर का नाम है 'झारखंड महादेव मंदिर' (Jharkhand Mahadev Temple). पहली बार सुनने में थोड़ा अजीब लगता है.

झारखंड महादेव मंदिर

Jaipur: छोटीकाशी कही जाने वाली राजधानी जयपुर में एक महादेव मंदिर जो दूर-दूर तक प्रसिद्ध है. इस मंदिर का नाम है 'झारखंड महादेव मंदिर' (Jharkhand Mahadev Temple). पहली बार सुनने में थोड़ा अजीब लगता है.

हर कोई सोचता है और सवाल भी करता है कि मंदिर बना है जयपुर में तो उसका नाम झारखंड क्‍यों है. इस मंदिर का बाहरी हिस्‍सा बिल्‍कुल साउथ के मंदिरों जैसा ही है. मंदिर का मुख्‍य द्वार और गर्भ गृह नार्थ के मंदिरों जैसा लगता है. यह मंदिर काफी सघन और हरियाली वाले इलाके में है. आपको चारों तरफ खूब पेड़-पौधे मिलेंगे. ऐसे में भक्‍तों के लिए यह आकर्षण का केंद्र बना है.

छोटीकाशी सहित प्रदेश में वैसे तो बहुत से मंदिर हैं पर कुछ मंदिर अपनी विशेष शैली के लिए बहुत ज्यादा प्रसिद्ध हैं. हम आपको एक मंदिर के दर्शन करवा रहे हैं, जिस मंदिर के बारे में जानकर हर कोई हैरान रह जाता है. असल में इस मंदिर की शैली दक्षिण भारतीय है और इसका नाम झारखंड है पर राजधानी जयपुर में यह स्थित है. इस अनोखे मंदिर का नाम “झारखंड महादेव मंदिर” है.

यह मंदिर जयपुर में “प्रेमपुरा” नामक एक गांव में है, जिसे अब वैशाली नगर स्थित क्विंस रोड कहा जाता है. यह मंदिर काफी दूर-दूर तक इस क्षेत्र में प्रसिद्ध है. इस मंदिर के नाम को सुनकर लोग हैरान हो जाते हैं और वे सोचते हैं कि मंदिर का नाम झारखंड है तो यह राजस्थान में निर्मित कैसे हुआ. असल में जिस क्षेत्र में यह मंदिर बना हुआ है, वहां चारों ओर खूब पेड़-पौधे और हरियाली मिलती है और इस वजह से ही इस मंदिर को झारखंड महादेव का नाम दिया गया है.

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इस वजह से मंदिर का नाम पड़ा झारखंड महादेव मंदिर
यह मंदिर 100 वर्ष से भी ज्यादा पुराना है. सन् 1918 में इस मंदिर के शिवलिंग के चारों ओर एक कमरे का निर्माण किया गया था और उसको ऐसे ही छोड़ दिया गया था. बाद में सन् 2000 में जब इस मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया तो इस मंदिर को दक्षिण भारतीय शैली में बनाया गया. यह मंदिर राजस्थान में होकर दक्षिण के तिरुचिरापल्‍ली मंदिर के जैसा ही लगता है. इस मंदिर के ट्रस्‍ट के सोमानी अक्सर दक्षिण भारत के टूर पर जाते थे और उनको वहां के मंदिर काफी पसंद आते थे. इसलिए जब इस झारखंड महादेव मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया, तब 300 मजदूरों की सहायता से इस मंदिर को दक्षिण भारत की शैली में ही निर्मित कराया. इस प्रकार से यह शिव मंदिर राजस्थान में है और इसका नाम झारखंड है तथा यह दक्षिण भारतीय शैली में बना है.

कहते हैं कि महादेव के दरबार में, दुनिया बदल जाती है रहमत से हाथ की, लकीर बदल जाती है. लेता है जो भी दिल से, महादेव का नाम, एक पल में उसकी, तकदीर बदल जाती है. महादेव जी "देवो के देव" माने जाते हैं और इसी वजह से ये झाड़खंड महादेव मंदिर जयपुर के उन चुनिंदा मंदिरों में से है, जहां भोले भक्तों का तांता हमेशा लगा रहता है. माना ये भी जाता है कि भक्तों की हर इच्छा और मुराद यहां पूरी होती है.

श्रद्धा भाव से आने वाले भग्क्त कभी झारखंडनाथ महादेव जी के मंदिर से खाली हाथ नहीं लौटे. यह शिव मंदिर बहुत ही प्रचलित है और यहां का शिव दर्शन मन को अत्यंत शान्ति प्रदान करता है. यह मंदिर बरसों  पुराना है और यह भी माना जाता है कि यहां इस भूमि पर सैकड़ों बाबाओं ने तपस्या भी की है. धर्म की इस देश में एक खास जगह है और यहां देवी-देवताओ को बहुत श्रद्धा और मन से पूजा जाता है.

इसी वजह से यह चमत्कारिक मंदिर भी प्रचलित है. इस मंदिर में पुरे वर्ष श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है. शिवरात्रि के समय यहां एक अलग ही नजारा रहता है. ऐसा माना जाता है की जो भी यहां शिवलिंग के दर्शन करता है और शिवलिंग को पंचामृत से स्नान करवाता है, उसकी भगवान शिव हमेशा रक्षा करते हैं.

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