लिव इन रिलेशनशिप में रह रहे व्यस्कों के जीवन व स्वतंत्रता को संरक्षित किया जाना चाहिए: HC
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लिव इन रिलेशनशिप में रह रहे व्यस्कों के जीवन व स्वतंत्रता को संरक्षित किया जाना चाहिए: HC

अदालत ने याचिकाकर्ता को कहा कि याचिका की कॉपी संबंधित थानाधिकारी को पेश करें और थानाधिकारी उन्हें सुरक्षा देने के लिए उचित कदम उठाएं. 

राजस्थान हाईकोर्ट. (फाइल फोटो)

Jaipur: राजस्थान हाईकोर्ट ने लिव इन रिलेशनशिप (Live In Relationship) में रह रहे अविवाहित प्रेमी जोड़े को सुरक्षा देने से जुड़े मामले में शुक्रवार को सुनवाई की. इस दौरान अदालत ने कहा कि दो वयस्कों के बीच संबंध अनैतिक और असामाजिक हो सकता है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के फैसलों व संविधान के प्रावधानों के अनुसार उनके जीवन व स्वतंत्रता को भी संरक्षित किया जाना चाहिए.

इसके साथ ही अदालत ने याचिकाकर्ता को कहा कि याचिका की कॉपी संबंधित थानाधिकारी को पेश करें और थानाधिकारी उन्हें सुरक्षा देने के लिए उचित कदम उठाएं. अदालत ने स्पष्ट किया है कि अदालती आदेश किसी अन्य सिविल या आपराधिक मामले के अनुसंधान में रुकावट नहीं बनेगा.

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न्यायाधीश एसपी शर्मा ने यह आदेश लिव इन रिलेशनशिप में रह रहे युवक-युवती की याचिका पर दिया. अदालत ने कहा कि राजस्थान पुलिस एक्ट (Rajasthan Police Act), 2007 की धारा 29 के तहत पुलिसकर्मी का यह कर्तव्य है कि वह नागरिकों के जीवन और स्वतंत्रता को संरक्षण दें.

याचिका में कहा था कि दोनों याचिकाकर्ता वयस्क और अविवाहित हैं. उनके एक साथ रहने पर परिजन राजी नहीं है और उन्हें धमकियां दी जा रही हैं. इससे उनके जीवन और स्वतंत्रता को खतरा है, इसलिए पुलिस को निर्देश दिए जाए कि वह उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करें. 

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(इनपुट-महेश पारिक)

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