Online Study बच्चों पर भारी, मानसिक तनाव हो रहा हावी, जानिए क्या कहते हैं विशेषज्ञ
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Online Study बच्चों पर भारी, मानसिक तनाव हो रहा हावी, जानिए क्या कहते हैं विशेषज्ञ

कोरोना संक्रमण के चलते बीते एक साल से अधिक का समय हो चुका है. बच्चे घर बैठकर ऑनलाइन स्टडी कर रहे हैं और यह आगे कब तक जारी रहेगी इसका किसी को पता नहीं है, लेकिन यह ऑनलाइन पढ़ाई (Online Study) अब बच्चों के विकास पर भारी पड़ती नजर आ रही है.

प्रतीकात्मक तस्वीर

Jaipur : कोरोना संक्रमण के चलते बीते एक साल से अधिक का समय हो चुका है. बच्चे घर बैठकर ऑनलाइन स्टडी कर रहे हैं और यह आगे कब तक जारी रहेगी इसका किसी को पता नहीं है, लेकिन यह ऑनलाइन पढ़ाई (Online Study) अब बच्चों के विकास पर भारी पड़ती नजर आ रही है. 

बीते साल 23 मार्च को प्रदेश में स्कूल और शिक्षण संस्थान कोरोना संक्रमण के चलते बंद किये गए थे, लेकिन बच्चों (Students) की पढ़ाई जारी रखने के लिए निजी स्कूलों ने ऑनलाइन पढ़ाई पर जोर दिया. शुरू में संसाधनों के अभाव में खासा असर नहीं देखा गया, लेकिन धीरे-धीरे समय बीतने पर ऑनलाइन कक्षाएं, ऑनलाइन एग्जाम वेबिनार (Online exam webinar) शुरू कर बच्चों की पढ़ाई शुरू हुई. वहीं, सरकारी स्कूलों के बच्चों के लिए भी सरकार ने 'आओ घर से सीखे', स्माइल 1, स्माइल 2 जैसे प्रोग्राम शुरू किए गए साथ ही ई कक्षा के जरिये बच्चों को उनके ई कंटेंट उपलब्ध कराया गया. हालांकि कोरोना संक्रमण कम होने पर शुरू में बड़ी कक्षा के विद्यार्थियों को स्कूलों में आने की अनुमति दे दी गयी थी, लेकिन कक्षा 1 से 5 तक के बच्चों के स्कूल बीते साल मार्च से ही बंद हैं. अब फिर से कोरोना संक्रमण बढ़ने पर सभी शिक्षण संस्थाओं को बंद कर दिया गया. 

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बच्चों की ऑनलाइन पढ़ाई अब अभिभावकों का सरदर्द बनकर सामने आ रही है. बीते एक साल से बच्चों की क्लासेज लैपटॉप, मोबाइल या स्मार्ट टीवी (Smart TV) पर पूरी हो रही हैं. साथ ही नोट्स तैयार करने, टेस्ट देने सहित तमाम तरह की गतिविधियां ऑनलाइन करवाई जा रही है. ऐसे में बच्चों की नियमित गतिविधियां नहीं हो रही है. 

इसको लेकर अभिभावकों का कहना है कि "स्कूल जाते समय बच्चों की दैनिक दिनचर्या तय थी, लेकिन अब बच्चे उठते ही मोबाइल और लैपटॉप खोलकर स्क्रीन के सामने बैठ जाते हैं. शुरू में सब ठीक था, लेकिन अब अधिक समय तक ऑनलाइन पढ़ाई करने पर आंखों में पानी आना, सिरदर्द होना जैसी समस्याएं हो रही है. साथ ही बच्चों को क्लासरूम जैसा महसूस नहीं हो रहा. वहीं, ऑनलाइन क्लास में बच्चे अपनी समस्या भी शिक्षकों को नहीं बता पा रहे. दूसरी तरफ ऑनलाइन पढ़ाई के नाम पर बच्चे दिन भर स्क्रीन के सामने बैठे रहते हैं. जिसके चलते बच्चों का स्वभाव चिड़चिड़ा होता जा रहा है. मोटापा बढ़ता जा रहा है."

ऑनलाइन पढ़ाई के कारण बच्चों की आंखों में समस्या, चिड़चिड़ापन, मानसिक तनाव, शारिरिक विकृति जैसी समस्याएं आने लगी है. इसको लेकर SMS अस्पताल के आई स्पेशलिस्ट डॉ. तन्मय  काबरा का कहना है कि "लंबे समय से जो बच्चे ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे है उनकी आंखें लगातार कमजोर हो रही है. चश्मे के नम्बर बढ़ते जा रहे हैं. इसी के साथ आंखों में जलन, पानी आने जैसी शिकायत आ रही है. ऐसे में स्टूडेंट्स को लगातार 20 मिनट पढ़ने के बाद कुछ समय का ब्रेक लेना चाहिए. समय समय पर आंखों को धोते रहना चाहिए. बड़ी स्क्रीन पर पढ़ाई करनी चाहिए और ब्राइटनेस को बढ़ाकर रखना चाहिए. इसके बाद भी आंखों में कोई समस्या आए तो तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए". 

इसी के साथ बच्चों में कई तरह की मानसिक समस्याएं भी आ रही है. इसको लेकर मनोचिकित्सक डॉ अखिलेश जैन का कहना है कि "लगातार घर मे रहकर पढ़ाई करने से बच्चे अपने मित्रों के साथ सम्पर्क नहीं बना पा रहे. लगातार स्क्रीन के सामने बैठने, इंटरनेट पर बने रहते हैं. इसके चलते चिड़चिड़ापन, घबराहट, मानसिक तनाव जैसी शिकायत आ रही है. इसके लिए सबसे पहले अभिभावकों को यह ध्यान रखना होगा कि बच्चे की समय कर क्या आवश्यकता है. पढ़ाई के साथ साथ अभिभावक बच्चों के साथ समय बिताएं, खाली समय मे इनडोर गेम खेलें. ताकि बच्चा रिलैक्स महसूस कर सके. इसी के साथ बच्चों की दिनचर्या निश्चित करें, मनोरंजन की चीजों की तरफ ज्यादा प्रेरित करें, और उनकी जिम्मेदारी को उनके बारे में बताएं. यदि बच्चों के मानसिक तनाव, चिड़चिड़ापन अधिक हो या कोई और समस्या हो तो डॉक्टर को जरूर दिखाएं"

कोरोना संक्रमण के बीच स्कूल बंद है. इस दौरान ऑनलाइन पढ़ाई ही एकमात्र विकल्प है, लेकिन लंबे से समय से चली आ रही ऑनलाइन पढ़ाई बच्चों के शारिरिक और मानसिक विकृतियां पैदा कर रही है. इनसे बचने और बच्चों के विकास के लिए अभिभावकों को इस समय समझदारी से काम लेना जरूरी है. ताकि पढ़ाई के साथ साथ बच्चों का शारिरिक और मानसिक विकास हो सके.

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