11 साल से बैन प्लास्टिक, लेकिन अब भी गायों के पेट से निकल रही है 5 से 25 किलो पॉलिथिन
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11 साल से बैन प्लास्टिक, लेकिन अब भी गायों के पेट से निकल रही है 5 से 25 किलो पॉलिथिन

राजस्थान में प्लास्टिक कैरिबैग्स को बैन लगे 11 साल हो गए, लेकिन अब भी इसका उपयोग धड़ल्ले से हो रहा है.

जयपुर ग्रेटर मेयर शील धाभाई ने किया गौशाला का विजिट.

Jaipur : राजस्थान में प्लास्टिक कैरिबैग्स को बैन लगे 11 साल हो गए, लेकिन अब भी इसका उपयोग धड़ल्ले से हो रहा है. इस कारण जयपुर शहर में आवारा पशुओं (गाय, नन्दी) के लिए यह प्लास्टिक कैरिबेग्स मौत का कारण बन रहे हैं. जयपुर के हिंगौनिया गौशाला में हर रोज लगभग 1 या दो ऐसी गायों का ऑपरेशन किया जाता है, जिनके पेट से 5 से लेकर 25 किलोग्राम तक प्लास्टिक कैरिबेग्स या अन्य पदार्थ निकाला जाता है. इनमें 90 फीसदी गायों की तो इसके कारण मौत हो जाती है.

राजस्थान में प्लास्टिक कैरी बैग्स को बैन लगे हुए 11 साल का समय बीत गया...सरकारें बदल गई, लेकिन आज भी धड़ल्ले से पॉलीथिन का उपयोग हो रहा है। और ये प्लास्टिक गौमाता की मौत का कारण भी बन रही है. नगर निगम जयपुर ग्रेटर की मेयर शील धाबाई (Mayor Sheel Dhabai) ने आज जब हिंगौनिया गौशाला (Hingonia Goshala) का दौरा किया और वहां बने हॉस्पिटल में जानकारी ली तो उनके भी होश उड़ गए. एक दिन पहले ही एक गाय का ऑपरेशन कर उसके पेट से 25 किलो अपशिष्ठ निकाला, जिसमें बड़ी मात्रा प्लास्टिक कैरिबैग्स निकला. इसे देखने के बाद मेयर ने शील धाबाई को नगर निगम अधिकारियों को प्लास्टिक कैरिबेग्स के उपयोग करने वालों पर विशेष कार्यवाही करने और उसे पूरी तरह बंद करवाने के लिए विशेष अभियान चलाने के निर्देश दिए.

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राजस्थान में सिंगल यूज प्लास्टिक के उपयोग पर 1 अगस्त, 2010 से पूर्ण रूप से रोक लगी थी. इसके लिए बनाए नियमों के तहत अगर किसी व्यक्ति को इसका उपयोग करते पकड़ा गया तो उस पर  5 साल की सजा एवं 1 लाख रुपए का जुर्माना लगाने का प्रावधान है. इसके लिए साल या दो साल में एक-दो बार नगर निगम की ओर से विशेष अभियान चलाया जाता है. इसमें दुकानदार, थोक विक्रेता, फुटकर विक्रेता, व्यापारी, फेरी रेहडी वालों के यहां रैंडम छापे मारकर इनके खिलाफ चालान काटने की कार्यवाही की जाती है. मेयर शील धाभाई ने कहा कि हिंगोनिया में पहले से व्यवस्थो में सुधार आया है.

बहरहाल, हिंगोनिया गौशाला में अब तस्वीर बदली बदली सी नजर आने लगी है, लेकिन प्लास्टिक खाने के कारण अधिकतर गौवंश काल का ग्रास बन जाती है.

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