पुलवामा हमले को तीन साल पूरे, नहीं मिला आज तक शहीद परिवार को मान-सम्मान
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पुलवामा हमले को तीन साल पूरे, नहीं मिला आज तक शहीद परिवार को मान-सम्मान

पुलवामा हमले के मास्टरमाइंड आईडी ब्लास्ट करने वाले कामरान गाजी को ऑपरेशन रक्षक के दौरान 2 दिन बाद ही मार गिराने वाले झुंझुनूं के टीबा गांव के शहीद श्योराराम गुर्जर की वीरांगना सुनीता देवी ने पुलवामा हमले के 3 वर्ष पूर्ण होने पर अपना दर्द बयान किया. 

शहीद श्योराराम गुर्जर की वीरांगना सुनीता देवी

Khetri: पुलवामा हमले में आईडी ब्लास्ट के दौरान एक साथ शहीद हुए देश के 40 जवानों की शहादत से 3 वर्ष पूर्व पूरा देश गमगीन हो गया था. लेकिन पुलवामा हमले के मास्टरमाइंड आईडी ब्लास्ट करने वाले कामरान गाजी को ऑपरेशन रक्षक के दौरान 2 दिन बाद ही मार गिराने वाले झुंझुनूं के टीबा गांव के शहीद श्योराराम गुर्जर की वीरांगना सुनीता देवी ने पुलवामा हमले के 3 वर्ष पूर्ण होने पर अपना दर्द बयान किया. 

शहीद की माता सारली देवी के आंसू छलक पड़े और दर्द भरी जबान में कहा बेटे ने देश के लिए शहादत दे दी, लेकिन सरकार ने अपने वादे पूरे नहीं किए. पुलवामा में हमला हुआ था, तब देश के हर नौजवान का खून उबल पड़ा था. उसका बदला लेने के लिया अपनी जान न्यौछावर करनी पड़ी थी. जब पूरा देश उनको श्रद्धांजलि दे रहा है, उस समय टीबा गांव की वीरांगना सहित उसका पूरा परिवार राज्य सरकार की तरफ टकटकी लगाए देख रहा है कि कब अपने वादे पूरे करेंगे. वीरांगना ने बताया कि जब शहीद होकर पार्थिव देह घर पहुंची थी. तब बड़े-बड़े नेताओं ने बड़े-बड़े वादे किए थे. वह सब वादे हवा में चकनाचूर हो गए. नौकरी लगाने का वादा किया था, उसके लिए कई बार आवेदन कर चुकी, लेकिन वह सब फाइलों में ही दफन हो गए. 

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शहीद स्मारक के लिए विधायक ने 10 लाख रूपए देने की बात कही थी, लेकिन महज 4 लाख रूपए देकर पल्ला झाड़ लिया. स्मारक में ही करीब 15 लाख रुपए खर्च हो गए, वे सब हमारे खर्चे से हुआ. स्कूल का नामकरण के लिए कलेक्टर से लेकर बड़े अधिकारियों तक मिल चुकी, लेकिन फाइल आगे बढ़ी नहीं. बरसात के मौसम में घर के आगे पानी भर जाता है, बार-बार सड़क बनवाने के लिए कहा, लेकिन जनप्रतिनिधि शायद अपने वादों को भूल गए हैं. स्मारक तक सड़क भी आज तक नहीं बन पाई है.

पुलवामा हमले की इस तरह से हुई थी घटना
पुलवामा में 14 फरवरी 2019 को को आईडी ब्लास्ट से पूरी बस को उड़ा दिया था, जिसमें देश के 40 जवान शहीद हो गए थे. शहीद के भाई रूपचंद ने बताया कि आईडी ब्लास्ट कर पूरी बस को उड़ा दिया गया था और आईडी ब्लास्ट करने वाला मास्टरमाइंड कामरान गाजी उसके साथी पुलवामा के पास ही पिंगलाना गांव में जाकर छुप गए. जिसकी सूचना मिली तो मेजर विभूति डूडियाल के नेतृत्व में 55 आरआर की बटालियन ने मोर्चा संभाला और सौरव गुर्जर बटालियन के सैकंड इंचार्ज नियुक्त किए गए. जिसमें आईडी ब्लास्ट करने वाले मास्टरमाइंड कामरान गाजी उसके साथ तीन अन्य आतंकियों को ढेर कर शहीद श्योराराम गुर्जर 18 फरवरी को देश को अलविदा कह गए. मरणोपरांत शहीद श्योराम गुर्जर को 15 जनवरी 2020 को आर्मी डे पर सेना मैडल दिया गया.

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बेटे खुशांक ने दिखाया जज्बा, कहा जाऊंगा सेना में, मार दूंगा सभी दुश्मनों को
शहीद श्योराराम गुर्जर के बड़े बेटे खुशांक ने कहा कि मैं भी पापा की तरह आर्मी में जाऊंगा. अब वह 7 वर्ष का हो गया हैं और उसने कहा है कि मैं भी पापा की तरह सेना में जाऊंगा और सभी दुश्मनों को मार गिराऊंगा. पापा की याद तो बहुत आती है क्योंकि जब भी छुट्टी आते थे, तो हमारे लिए मिठाइयां और कपड़े लेकर आते थे और खूब प्यार करते थे. लेकिन अब पता नहीं पापा कहां चले गए.

वीरांगनाओं का व्हाट्सएप ग्रुप, बंधाती है एक दूसरे को ढांढस
वीरांगना सुनिता देवी ने बताया कि उनके पति शहीद श्योराम गुर्जर की शहादत पर उन्हें गर्व है दुख की घड़ी में समय काटना तो बहुत मुश्किल है. लेकिन दोनों बेटों के खातिर अपना जीवन यापन कर रही हैं. साथ ही उन्होंने बताया कि उन्होंने अन्य वीरांगनाओं का एक व्हाट्सएप ग्रुप बना रखा है. जिसमें वे आपस में सभी वीरांगनाओं के साथ बात करती हैं और उन्हें ढांढस बंधाती है. जब भी कोई तीज त्यौहार होता है, होली दीपावली पर एक दूसरे के साथ बातचीत करती हैं और परिवार का दुख एक दूसरे के साथ साझा करती है. इससे वीरांगनाओं की पीड़ा का एक दूसरी वीरांगना को पता लगता है.

सेना मैडल को चूम कर माथे से लगाता है पूरा परिवार
शहीद श्योराम गुर्जर को मरणोपरांत सेना मैडल से नवाजा गया था. उसी मैडल को पूरा परिवार दिन-रात देखता है. वीरांगना सुनिता देवी, अक्सर मैडल को चूमती है, कभी माथे पर लगाती है, तो कभी अपने दोनों बेटों को कुशांक और दुर्जजांश के सीने पर लगा कर देखती है और कहती है की इन्हें भी मैं देश सेवा में भेजूंगी. वहीं माता शारली देवी का कहना है कि बेटा रोते हुए छोड़ गया, बहुत दुख होता है. सरकार कोई ध्यान नहीं दे रही है, सरकार बेटे को ले लिया और हमें रोता छोड़ दिया.

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वीरांगना के सरकारी नौकरी और अन्य सुविधाओं से वंचित है
वीरांगना सुनीता देवी ने बताया कि जब उनके पति शहीद हुए तब सरकार के कई मंत्री आए और उन्होंने बड़ी-बड़ी घोषणाएं की. यहां तक कि उनको सीधा नायब तहसीलदार की नौकरी दिलाने का भी वादा किया. लेकिन आज तक उन्हें सरकारी नौकरी नहीं मिल पाई है. जबकि वह एमए बीएड की डिग्री ले चुकी हैं. कई बार सैनिक कल्याण बोर्ड से लेकर कलेक्टर के चक्कर लगा चुके हैं, लेकिन उनकी कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही है. साथ ही शहीद के नाम पर स्कूल का नामकरण भी अभी तक नहीं हो पाया है. वहीं शहीद के घर से लेकर शहीद स्मारक तक सड़क भी नहीं नहीं बन पाई है.

सांसद का कहना, शहीद परिवार की सरकार ले सुध
सांसद नरेंद्र खीचड़ ने राज्य सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा केंद्र सरकार ने शहीद परिवार को पूरा पैकेज दे दिया. जबकि राज्य सरकार शहीदों के मामले में भी राजनीति करती है. नौकरी तुरंत प्रभाव से देनी चाहिए थी, वह अभी तक नहीं दे पाए. सड़क अगर राज्य सरकार नहीं बनवा सकती तो सांसद कोटे से सड़क बनवा दी जाएगी.

Reporter: Sandeep Kedia

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