राजस्थान की इस मुस्लिम लड़की ने किया कमाल, गांव की पहली महिला MBBS अब बनी सरपंच
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राजस्थान की इस मुस्लिम लड़की ने किया कमाल, गांव की पहली महिला MBBS अब बनी सरपंच

भरतपुर जिले भर में आज चर्चा का विषय बन चुकी शहनाज ने सरपंच पद की शपथ लेते हुए अपने कर्तव्यों को समझते हुए भली भांति निभाने की बात कही

राजस्थान के भरतपुर में इस 24 वर्षीय युवती ने अभी MBBS किया है और अब सरपंच का चुनाव जीता है

भरतपुर (प्रतिभा शर्मा): कर खुद को बुलंद इतना कि खुदा भी पूछे तेरी रजा क्या है... राजस्थान के भरतपुर जिले की एक लाडली ने ऐसा ही कारनामा कर दिखाया है. लोहागढ़ यानि भरतपुर जिले की मेवात क्षेत्र की बेटी ने न ही मेवात का नाम रोशन किया है बल्कि मेवात की उन सभी लड़कियों के लिये मिशाल पेश की है जो लड़कियों का काम घर में रहकर चूल्हे चौके तक सीमित मानती हैं. बात कर रहे हैं सबसे कम उम्र की और मेवात की एमबीबीएस बेटी शहनाज की. जिसने कांमा की सरपंच बनकर हौसलों की उड़ान भरी है.

बचपन से बनना चाहती थी डॉक्टर
बात कर रहे हैं भरतपुर जिला के कांमा क्षेत्र निवासी और अपने पापा की लाड़ली शहनाज 24 वर्षीय शहनाज की. जिसने बचपन से ही सपने देखे थे कि डॉक्टर बनना है. ये डॉक्टर बनने का सपना शहनाज में तब उपजा जब शहनाज छोटी थी और गांव में घूमती थी तो अजीब सी हलचल उसके जहन में होती थी. उन दिनों गांव में सुविधाओं का अभाव था. महिलाएं घर से बाहर निकलने में कतराती थीं. घर में ही बाबा और हकीमों से दवा लेकर अपना इलाज करवा लेती थीं. तो उसने सोचा कि मैं डॉक्टर बनकर सबको ठीक कर दिया करूंगी, सबकी सेवा किया करूंगी. लेकिन, बात तो ये भी किसी ने सही कही है कि हम जो भी सोचें क्या होता है वही होता है जो मंजूर ए खुदा होता है. और ऐसा ही हुआ शायद शहनाज खुद नहीं जानती थी कि वो इतनी छोटी उम्र में समाज सेवा के दूसरे पहलू राजनीति में भी उतर आएगी.

राजनीति से जुड़ा हुआ है परिवार
शहनाज का पारिवारिक इतिहास भी राजनीति से जुड़ा हुआ है. शहनाज के दादा हनीफ लगभग 55 साल गांव के सरपंच रहे तो उनके नाना चौधरी तैयब हुसैन राजस्थान, पंजाब और हरियाणा के पूर्व मंत्री, शहनाज के पिता जलीस खान कांमा पंचायत समिति प्रधान, तो वहीं शहनाज की मां की बात करें तो माता जाहिदा खान भी राजस्थान से बतौर विधायक, मंत्री और संसदीय सचिव रह चुकी हैं. और डॉक्टर बन सेवा करने के सफर से पहले जनप्रतिनिधि बनकर सेवा करने का जिम्मा उनके कंधों पर इसलिए आया कि शहनाज के दादा पर फर्जी सर्टिफिकेट देने का आरोप था जिसके बाद कांमा सरपंच का चुनाव रद्द कर दिया गया था. जिसके बाद शहनाज ने खुद अपने परिवार की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने की ठान ली. बता दें कि मेवात इलाका ऐसा है जहां बेटियों की पढ़ाई को भी दरकिनार कर दिया जाता है. तो वहीं एमबीबीएस के चौथे साल की पढ़ाई कर रही शहनाज ने पहले डॉक्टरी की पढ़ाई और अब सरपंच पद पर जीत दर्ज कराकर मेवात क्षेत्र की बेटियों का गौरव बन गई हैं. आपको बता दें कि राजस्थान का मेवात क्षेत्र जहां मुस्लिम परिवारों की संख्या काफी ज्यादा है और आर्थिक शैक्षणिक रूप से खासकर बेटियों के लिए काफी पिछड़ा है.

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अब ये है सरपंच का सपना
भरतपुर जिले भर में आज चर्चा का विषय बन चुकी शहनाज ने सरपंच पद की शपथ लेते हुए अपने कर्तव्यों को समझते हुए भली भांति निभाने की बात कही और साथ ही ये भी बताया कि सरपंच बनने का उद्देश्य कहीं ना कहीं उन बेटियों का जीवन निर्माण करना है जो प्रतिभावान होते हुए भी अपने हुनर और योग्यता को चूल्हे के धुंए में राख कर देती हैं. जी मीडिया से हुई खास बातचीत में उन्होंने कहा, "मेरे सरपंच बनने से जहां मैं उन बेटियों को आगे ला पाऊंगी तो वहीं बाकि पेरेंट्स की भी सोच बदल पाऊंगी कि रानी लक्ष्मीबाई से लेकर सरपंच बनी शहनाज भी एक बेटी ही है."

जगह-जगह हुआ सम्मान
जानकारी के मुताबिक उत्तरप्रदेश के मुरादाबाद से डॉक्टरी की पढ़ाई कर रही शहनाज हालांकि गांव में बहुत कम ही आया करती थीं लेकिन, ग्रामीणों ने उन्हें फिर भी राजनीति में कदम रखने का मौका देकर उनकी हौसला अफजाई की है. और उनके इस हौसले और प्रतिनिधित्व का जिले भर में अलग-अलग संस्थाओं, समाज कार्यकर्ताओं, जनप्रतिनिधियों और ग्रामीणों द्वारा माला पहनाकर तो कही चांदी का मुकुट पहनाकर तो कहीं ढेक सारा आशीष देकर सम्मान किया गया. मेवात इलाकों में इस दौरान महिलाओं की भीड़ को देखकर ऐसा लगा कि मानों उनकी आंखों में ढेर सारे ख्वाब उसी वक्त अपनी बेटियों के लिये भी पैदा हो गए जब शहनाज को सरपंच घोषित किया गया.

मेवात के लिए है खास
भरतपुर जहां बेटों की तुलना में बेटियां की पढ़ाई के प्रति अवेयरनेस कम है और मेवात इलाकों के मेव परिवारों में तो शून्य स्तर पर बेटियों की शिक्षा और समाज में हिस्सेदारी देखी जाती है. लेकिन वहां पहली महिला एमबीबीएस की पढ़ाई के साथ सबसे छोटी उम्र में महिला सरपंच पद पर काबिज हो शहनाज ने कीर्तिमान स्थापित किया है. अब शहनाज चिकित्सा के क्षेत्र में तो मेवात क्षेत्र को राहत पहुंचाएगी ही साथ ही बेटियों को भी शिक्षा के क्षेत्र में आगे ला सकेंगी. आज शहनाज खुश हैं, आज शहनाज का परिवार खुश है, आज मेवात इलाके की लाडों के लबों पर हंसी है, आज भरतपुर जिला मुस्कुरा रहा है, आज हर कोई खुश है. मेवात की बेटियों के प्रतिनिधित्व के लिए शहनाज के इस हौसलों भरी उड़ान को जी मीडिया सलाम करता है.

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