कलराज मिश्र ने बुक को लेकर हुए विवाद का लिया संज्ञान, कड़ी कार्रवाई का दिया निर्देश
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कलराज मिश्र ने बुक को लेकर हुए विवाद का लिया संज्ञान, कड़ी कार्रवाई का दिया निर्देश

रविवार को जब मामला सामने आया तो राजभवन की ओर से दिये गये स्पष्टीकरण में बताया गया कि पुस्तक के विपणन और और किसी व्यवसायिक गतिविधियों में राजभवन की कोई भूमिका नहीं है. 

राजस्थान के राज्यपाल हैं कलराज मिश्रा. (फाइल फोटो)

Jaipur:  राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने अपनी जीवनी पर आधारित कॉफी टेबल बुक के विपणन को लेकर उठे विवाद का संज्ञान लेते हुए सोमवार को दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश दिए. गौरतलब है कि इस किताब के प्रकाशक द्वारा कुछ विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को 19 पुस्तकों के बिल दिये जाने पर विवाद हो गया था.

एक बयान के अनुसार, राज्यपाल कलराज मिश्र ने राजभवन में एक जुलाई को लोकर्पित पुस्तक ‘निमित्त मात्र हूं मैं’ के विक्रय के संबंध में प्रकाशित समाचारों पर संज्ञान लेते हुए इस घटना पर गहरी नाराजगी जताई है. उन्होंने अपने सचिव को इस घटना से संबंधित लोगों का स्पष्टीकरण लेकर दोषियों के विरूद्ध विधिक कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं.

मिश्र की जीवनी पर आधारित कॉफी टेबल बुक ‘कलराज मिश्र निमित्त मात्र हूँ मैं’ का लोकार्पण गुरुवार को यहां राजभवन में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) व विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सी.पी. जोशी ने किया. इस कार्यक्रम में राज्य की 27 विश्वविद्यालयों के कुलपतियों ने भाग लिया था.

पुस्तक के प्रकाशक ने किताबें कुलपतियों के वाहनों में रखकर 68,383 रुपए का बिल लिफाफे में रखकर वाहन चालकों को थमा दिये थे. जब कुलपति अपने अपने घर और कार्यालय पहुंचे तब उन्हें पता चला कि पुस्तक की कापियों के बिल का भुगतान प्रकाशक इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेनेजमेंट एंड एंटरप्रेन्योरशिप को किया जाना है.

रविवार को जब मामला सामने आया तो राजभवन की ओर से दिये गये स्पष्टीकरण में बताया गया कि पुस्तक के विपणन और और किसी व्यवसायिक गतिविधियों में राजभवन की कोई भूमिका नहीं है. दूसरी ओर बायोग्राफी के प्रकाशक इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेनेजमेंट एंड एंटरप्रेन्योरशिप के सहयोगी डी के टकनेट ने बताया कि पुस्तकें कुलपतियों के आदेशानुसार ही दी गई थी.

उन्होंने बताया कि उन्होंने पुस्तकों की मांग की थी और हमने उन्हें बिल के साथ पुस्तकें दी. वहीं, कुछ कुलपतियों ने नाम ना बताने की शर्त पर इस दावे का खंडन किया है. 

(इनपुट-भाषा)
 

 

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