PHED में करोड़ों का स्टील फर्जीवाड़ा! इंजीनियर्स पर गाज गिरी, क्या बच जाएंगी फर्में?

Rajasthan News: PHED के पानी के स्पेशल प्रोजेक्ट में 17 करोड़ के स्टील फर्जी भुगतान का खुलासा. AG जांच में सूचकांक बदलने का मामला सामने आया. अब आरोपित इंजीनियर्स को चार्जशीट मिली, लेकिन फर्मों पर कोई कार्रवाई नहीं.

PHED में करोड़ों का स्टील फर्जीवाड़ा! इंजीनियर्स पर गाज गिरी, क्या बच जाएंगी फर्में?

Jaipur News: राजस्थान की राजधानी जयपुर में PHED में पानी के स्पेशल प्रोजेक्ट में चौकाने वाला खुलासा हुआ. AG की जांच में प्रोजेक्ट में करोडों के स्टील के फर्जी पैमेंट की पोल खुल गई. अब जलदाय विभाग ने आरोपी इंजीनियर्स को 16 सीसी में चार्जशीट थमाई है. आखिरकार PHED में कैसे गढा भ्रष्टाचार का स्टील.

सूचकांक बदलकर फर्जीवाड़ा
PHED इंजीनियर्स ने फर्म पर मेहरबानी दिखाते हुए "स्पेशल प्रोजेक्ट" में 17 करोड के स्टील का फर्जी पैमेंट किया. तारानगर,झुंझुनू,सीकर,खेतडी प्रोजेक्ट में पूरा फर्जीवाड़ा हुआ. इंजीनियर्स ने निविदा शर्तों का खुला उल्लंघन करते हुए 17 करोड का फर्जी भुगतान किया. टैंडर शर्तों के मुताबिक HRC का सूचकांक न लेकर स्टील रोड का सूचकांक लिया गया. AG की जांच बैठी तो पानी के स्पेशल प्रोजेक्ट में बडा खुलासा हुआ. अब तत्कालीन तत्कालीन अधिशाषी अभियंता दिनेश कुमार सैनी, एक्सईएन राजपाल सिंह को 16 सीसी में चार्जशीट मिलेगी. अतिरिक्त मुख्य अभियंता जगत तिवारी ने चीफ इंजीनियर स्पेशल प्रोजेक्ट राजसिंह चौधरी को चार्जशीट भेजी, बताया जा रहा है कि एसीएस अखिल अरोड़ा ने मंत्री कन्हैयालाल चौधरी को चार्जशीट भेजी. अब विभाग जल्द ही फाइल डीओपी भेजेगा. मंत्री कन्हैयालाल चौधरी के निर्देश पर फर्म और इंजीनियर्स पर गाज गिरेगी.

लेकिन चार्जशीट पर विवाद गरमाया
एलएनटी कंपनी का 2019 में कार्य पूरा हुआ, जिसके बाद एजी की जांच में सूचकांक बदलने की पोल खुली. बताया जा रहा है कि 8 बिलों में स्टील के पैमेंट में गढबडी हुई. पूरे मामले में सत्यापन करने वाले इंजीनियर्स को ही चार्जशीट प्रस्तावित है. फर्म को फर्जी भुगतान करने वाले इंजीनियर्स को चार्जशीट नहीं दी जा रही है. ऐसे में प्रोजेक्ट में चार्जशीट का विवाद गरमा गया है. बडा सवाल ये है कि केवल सत्यापन करने वाले इंजीनियर्स पर ही कार्रवाई क्यों की जा रही है, पैमेंट करने वाले अफसरों को क्या बचाने की कोशिश की जा रही है?

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इंजीनियर्स पर गाज गिरी,फर्मों पर ब्रेक
यदि कोई फर्म या कंपनी निविदा की शर्तें, नियमों का उल्लंघन करता है तो RTPP सेक्शन 11 के तहत कार्रवाई की सकती है. नियमों के तहत फर्म को 3 साल डिबार, बिड सिक्योरिटी जब्त की जानी चाहिए. लेकिन पिछले कुछ समय से पीएचईडी की उदयपुर, बांसवाड़ा, डूंगरपुर समेत कई कार्रवाईयों में केवल इंजीनियर्स पर गाज गिरी, फर्मों को ना तो डिबार किया और ना ही ब्लैक लिस्टेड. अब बडा सवाल ये है कि क्या अबकी बार भी केवल और केवल इंजीनियर्स पर ही गाज गिरेगी?

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