Jaipur News: राजस्थान के जलदाय विभाग (PHED) में फर्जी प्रमाण पत्र और दस्तावेजों से टेंडर लेने का बड़ा मामला सामने आया है. हरदेसर की राठौड़ कंस्ट्रक्शन कंपनी ने रिटायर्ड और ट्रांसफर हो चुके अफसरों के फर्जी हस्ताक्षर कर प्रमाण पत्र बनाए.
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Jaipur News: PHED में फर्जी प्रमाण पत्र का बडा खेल सामने आया है. मैसर्स राठौड़ कंस्ट्रक्शन कंपनी ने दो अफसरों के फर्जी हस्ताक्षर कर प्रमाण पत्र बनाए. तत्कालीन चुरू अधीक्षण अभियंता और अधिशाषी अभियंता के नाम से पूरा फर्जीवाड़ा हुआ. 5 साल तक राठौड़ कंस्ट्रक्शन ने फर्जी प्रमाण पत्र से खुला खेल खेला. आखिरकार एक बार फिर से PHED में कैसे चला फर्जीवाड़े का खेल?
PHED में फर्जीवाड़े का खुला खेल
PHED में फर्जी प्रमाण पत्र खुला खेल चल रहा है. अबकी बार तो दो अफसरों के फर्जी हस्ताक्षर कर फर्जीवाड़ा किया. मैसर्स राठौड़ कंस्ट्रक्शन कंपनी ने तत्कालीन चुरू अधीक्षण अभियंता मनीष बेनीवाल और अधिशाषी अभियंता मोहनलाल कंवल के फर्जी हस्ताक्षर कर प्रमाण पत्र बना लिए.
सबसे हैरानी की बात तो ये है कि प्रमाण पत्र में जो तारीख लिखी है,उस समय दोनों ही अफसर चूरू में पोस्टिंग नहीं थी. जबकि तत्कालीन अधिषाशी अभियंता मोहनलाल कंवल तो उस वक्त रिटायर्ड ही हो गए थे. सबसे हैरानी की बात ये है कि 5 साल तक मैसर्स राठौड कंस्ट्रक्शन कंपनी इस प्रमाण पत्र का इस्तेमाल करती रही. जलदाय विभाग में 900 करोड का घोटाला भी फर्जी प्रमाण पत्र के जरिए हुआ था, जिसमें ईडी, सीबीआई और एसीबी ने छापेमारी की थी.
कैसे खुली पूरे खेल की पोल
चूरू के हरदेसर की डबल ए क्लास फर्म मैसर्स राठौड कंस्ट्रक्शन कंपनी ने जयपुर नार्थ की निविदा में भाग लिया. इस निविदा में राठौड कंस्ट्रक्शन ने शहरी जल योजना राजलदेसर के तहत पुराने उच्च जलाशय को ध्वस्त करने, निर्माण का 55 लाख का अनुभव प्रमाण पत्र लगाया. जिसमें अनुभव प्रमाण पत्र की तारीख 13 अप्रैल 2020 लिखी गई और एक्सईएन मोहनलाल कंवल के हस्ताक्षर किए हुए लेकिन जब इस अनुभव प्रमाण पत्र की जांच के लिए रतनगढ चिट्ठी भेजी तो पोल खुल गई.
मोहनलाल कंवल तो 2018 में रिटायर्ड हो गए थे.जबकि तत्कालीन अधीक्षण अभियंता मनीष बेनीवाल के नाम से 10 मार्च 2019 की तारीख का वर्क आर्डर जारी किया, जबकि मनीष बेनीवाल तो 23 मार्च 2018 से 7 सिंतबर 2019 तक जयपुर वृत में पोस्टेड थे.
अब मनीष बेनीवाल चीफ इंजीनियर है.उनका कहना है कि ये केस मेरी जानकारी में नहीं है.मैं उस समय तो जयपुर में पोस्टेड था. वहीं मोहनलाल कंवल का कहना है कि मैं तो रिटायर्ड हो चुका था, मेरे नाम से कैसे हस्ताक्षर कर दिए. विभाग को इसमें कार्रवाई करनी चाहिए.
फर्जी हस्ताक्षर पर एफआईआर कब?
राठौड़ कंस्ट्रक्शन कंपनी 5 साल से जलदाय विभाग को चूना लगाकर इस प्रमाण पत्र से टैंडर हासिल करती रही. अधीक्षण अभियंता सुरेंद्र सिंह राठौड़ ने फर्म राठौड़ कंस्ट्रक्शन के खिलाफ कार्रवाई के लिए चीफ इंजीनियर टीएम नीरज माथुर को लिखा है लेकिन अब तक फर्म के खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं करवाई.
चीफ इंजीनियर माथुर ने कहा कि कार्रवाई के लिए सुरेंद्र राठौड़ को प्रपोजल के लिए बोला है. जल्द ही फर्जीवाड़ा करने वाली फर्म के खिलाफ एक्शन होगा. इस फर्जीवाड़े पर राठौड कंस्ट्रक्शन कंपनी ने कहा कि हमे इस बात की जानकारी नहीं है. मैं मेरे दफ्तर पहुंचकर बताता हूं लेकिन इसके बाद कंपनी ने कोई सफाई नहीं दी. अब आरटीपीपी नियमों के तहत जलदाय विभाग फर्म के खिलाफ ब्लैक लिस्टेड या डिबार की कार्रवाई कर सकता है.
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