वसुंधरा के समर्थक विधायकों के बयान पर 'मौन' सतीश पूनिया, कहा-अब कुछ नहीं कहूंगा
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वसुंधरा के समर्थक विधायकों के बयान पर 'मौन' सतीश पूनिया, कहा-अब कुछ नहीं कहूंगा

वसुंधरा राजे के समर्थक विधायक और पूर्व विधायकों के बयानों को लेकर उनसे सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि, वह पिछले चार-पांच दिन में इस पर बोल चुके हैं, लेकिन अब कुछ नहीं कहेंगे. 

 

राजस्थान बीजेपी के अध्यक्ष हैं सतीश पूनिया. (फाइल फोटो)

Jaipur: बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया के तेवर बदले-बदले से दिख रहे हैं. आखिर पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह के साथ संगठन पदाधिकारियों की बैठक में ऐसा क्या हुआ जो पूनिया ने वसुंधरा राजे (Vasundhara Raje) के समर्थन में आ रहे बयानों पर प्रतिक्रिया देने से चुप्पी साध ली?

दरअसल, वसुंधरा राजे के समर्थक विधायक और पूर्व विधायकों के बयानों को लेकर उनसे सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि, वह पिछले चार-पांच दिन में इस पर बोल चुके हैं, लेकिन अब कुछ नहीं कहेंगे. पूनिया की इस चुप्पी के कई मायने निकाले जा रहे हैं. पहला कयास तो यह लगाया जा रहा है कि अरुण सिंह ने पूनिया को खामोश रहने के लिए कहा हो. ऐसा इसलिए भी क्योंकि पूनिया अभी बड़े पद पर हैं. उनके पास प्रदेश अध्यक्ष का जिम्मा है और अगर वह इस पर लगातार प्रतिक्रिया देंगे तो बात थमने की बजाय ज्यादा बढ़ती जाएगी.

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दूसरा कारण इस रूप में भी देखा जा रहा है कि खुद सतीश पूनिया नहीं चाहते कि वसुंधरा राजे के समर्थन में आ रहे बयानों को कोई तवज्जों मिले. पूनिया इस बात को समझ रहे हैं कि इन बयानों पर प्रतिक्रिया देने से ही उन्हें ज्यादा तवज्जों मिलती है. लिहाजा अपने कद को ज्यादा बड़ा मानते हुए भी पूनिया चुप्पी साधते हुए दिख रहे हैं.

वहीं, कांग्रेस सरकार के मुद्दे पर सवाल आया तो पूनिया ने खूब भड़ास निकाली. उन्होंने मध्यावधि चुनाव को लेकर कहा कि वे भविष्यवक्ता तो नहीं हैं लेकिन कांग्रेस पार्टी के अंदरुनी हालात को देखते हुए जो स्थिति बनी है वह इस बात की तरफ साफ इशारा कर रही है.

उन्होनें कहा कि जो राजनीति को नजदीक से समझता है, वह जानता है कि कांग्रेस पार्टी खुद और उनकी सरकार पूरी तरह कमजोर हो चुकी है. उनमें यदि हिम्मत होती और अपने एजेंडे पर कायम होते तो मंत्रिमंडल का विस्तार हो चुका होता. पूनिया ने कहा कि कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं की कीमत पर ब्यूरोक्रेट मलाई खा रहे हैं और उनके कार्यकर्ता अभी केवल उनकी नियुक्तियों के नजारे देख रहे हैं.

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पूनिया ने कहा कि वैसे तो अभी मंत्रिमंडल फेरबदल की प्रदेश में संभावनाएं नहीं दिख रही हैं, लेकिन यह फेरबदल होने और नहीं होने, दोनों ही सूरत में सरकार कमजोर जरूर होगी. उन्होंने कहा कि  बसपा और निर्दलीयों के आधार पर वह सियासत भी ज्यादा लंबी चलने वाली नहीं है. सतीश पूनिया ने कहा कि नैतिकता के आधार से यह सरकार कमजोर हो चुकी है. पूनिया ने कहा कि 99 के फेर से शुरू हुई सरकार ज्यादा लंबे समय तक चलती नहीं है.

 

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