उपचुनाव के बाद जनप्रतिनिधि भूल गए 'वादे', बेरोजगारों ने Social Media पर छेड़ा बिगुल!
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उपचुनाव के बाद जनप्रतिनिधि भूल गए 'वादे', बेरोजगारों ने Social Media पर छेड़ा बिगुल!

सरकार तक अपनी मांग पहुंचाने के लिए इन बेरोजगारों ने सोशल मीडिया पर अपनी रणनीति तय की है, जिसके तहत तरह-तरह के कार्टून और व्यंग्यात्मक चित्र तैयार करके सरकार का ध्यान आकर्षित किया जा रहा है. 

प्रतीकात्मक तस्वीर.

Jaipur: राजस्थान (Rajasthan) में तीन सीटों पर हुए उपचुनाव में सरकार द्वारा जो वादे बेरोजगारों से किये गए थे. वो वादे अब सरकार के जनप्रतिनिधियों को बेरोजगार याद दिला रहे हैं. 

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कोरोना महामारी (Corona epidemic) के दौर में लॉकडाउन जारी है लेकिन लंबे समय से रोजगार की आस लगाए बैठे बेरोजगार अभ्यर्थी अब सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर सक्रिय नजर आने लगे हैं. स्कूल व्याख्याता भर्ती परीक्षा 2018 में कम किये गए 689 पदों को फिर से जोड़ने की मांग कर रहे बेरोजगार अलग-अलग तरीकों से सरकार तक अपनी बात पहुंचाने की कोशिश में जुटे हैं. 

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अपनी मांगों को लेकर यह बेरोजगार लॉकडाउन में बैनर, पोस्टर और धरना नहीं दे सकते हैं लेकिन सरकार तक अपनी मांग पहुंचाने के लिए इन बेरोजगारों ने सोशल मीडिया पर अपनी रणनीति तय की है, जिसके तहत तरह-तरह के कार्टून और व्यंग्यात्मक चित्र तैयार करके सरकार का ध्यान आकर्षित किया जा रहा है. 

क्या है पूरा मामला
गौरतलब है कि स्कूल व्याख्याता भर्ती 2018 में जून 2019 में  EWS और MBC का 14 फीसदी नया आरक्षण का प्रावधान लागू तो कर दिया गया लेकिन इस आरक्षण में शैडो पद स्थापित नहीं कर के जनरल और ओबीसी के पदों में ही कटौती कर दी गई, जिसके चलते सामान्य वर्ग और ओबीसी वर्ग के 689 अभ्यर्थी चयन प्रक्रिया से बाहर हो गए. 

क्या कहना है अभ्यर्थियों का 
अभ्यर्थियों का कहना है कि "जब अन्य परीक्षाओं में आरक्षण प्रावधान लागू करने पर पद बढ़ाए गए तो इस परीक्षा में क्यों नहीं. मांगों को लेकर राजधानी में अभ्यर्थियों ने धरना प्रदर्शन और आंदोलन किए तो सरकार की ओर से आश्वासन दिए गए. 8 अप्रैल 2018 को सुजानगढ़ कातर जनसभा में शिक्षा मंत्री ने पद बढ़ाने की घोषणा तो कर दी लेकिन अभी तक सरकार की ओर से कोई अधिकारिक सूचना जारी नहीं की गई."

स्कूल व्याख्याता भर्ती परीक्षा 2018

  • 5 हजार पदों पर अप्रैल 2018 भर्ती की विज्ञप्ति हुई जारी
  • जून 2019 में ईडब्ल्यूएस और एमबीसी का आरक्षण किया गया लागू
  • आरक्षण के समय शैडो पद स्थापित करने की कही गई थी बात
  • संशोधित विज्ञप्ति निकालते हुए जुलाई 2019 में परीक्षा तिथि की गई थी
  • लेकिन किन्हीं कारणों के चलते 2019 में नहीं हो सकी परीक्षा
  • जनवरी 2020 में परीक्षा का करवाया गया आयोजन
  • आरक्षण मामले को लेकर 2020 में कोर्ट में पहुंचा था मामला
  • आरक्षण के नए नियमों के चलते 689 जनरल ओबीसी के अभ्यर्थी हुए थे 10 प्रक्रिया से बाहर

पहले भी अभ्यर्थी दे चुके हैं धरना
अभ्यर्थियों का कहना है कि "कम किए गए पदों को फिर से जोड़ने की मांग को लेकर 22 दिनों तक जयपुर के शहीद स्मारक पर धरना दिया था, जिसके बाद शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा (Govind Singh Dotasra) ने सकारात्मक आश्वासन देते हुए धरने को समाप्त करवाया था. उसके बाद हमने 2 अप्रैल से सुजानगढ़ में गांधी चौक पर 13 दिन धरना प्रदर्शन किया. वहां भी केवल सकारात्मक आश्वासन ही मिल सका. सरकार 689 अभ्यर्थियों के साथ न्याय करें. 

अभ्यर्थियों ने सरकार को ध्यान दिलाया कि सुप्रीम कोर्ट ने भी मराठा आरक्षण को लेकर फैसला दिया है कि आरक्षण 50 फीसदी से ऊपर नहीं हो सकता है लेकिन राज्य में इस व्याख्याता भर्ती 2018 में भी इसी तरह का मामला है जब भर्ती निकली थी 2018 में तो आरक्षण 50 परसेंट था लेकिन जून 2019 में 14 फीसदी (10 फीसदी EWS के लिए 4 फीसदी MBC के लिए) आरक्षण लागू कर  दिया, जिसके कारण अनारक्षित श्रेणी के लिए केवल 36 फीसदी कोटा ही बचा. इसके कारण 14 फीसदी अनारक्षित श्रेणी के अभ्यर्थी इस भर्ती से सीधे तौर पर बाहर हो गए."

हालांकि मौजूदा दौर लॉकडाउन का है, जिसके चलते डिजिटल माध्यमों के जरिए कम्यूनिकेशन को बढावा मिला है. ऐसे में सड़कों के बजाय सोशल मीडिया का प्लेटफार्म भी अब अभ्यर्थी अपनी मांगों को लेकर उठाते नजर आ रहे हैं. इस भर्ती को लेकर भी इसी तरह का आंदोलन सोशल मीडिया पर चलाया जा रहा है.  

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