बढ़ते कोरोना के कारण जेल में मुलाकत पर लगी रोक, वीडियो कॉल के जरिए हो सकेगी बात
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बढ़ते कोरोना के कारण जेल में मुलाकत पर लगी रोक, वीडियो कॉल के जरिए हो सकेगी बात

बढ़ते कोरोना के कारण जेल में बंदियों के परिजन उनसे मुलाकत नहीं कर पाएंगे. हालांकि वीडियो कॉल और एसटीडी के बंदियों की परिजनों से बात हो सकेगी.

झुंझुनूं जेल

Jhunjhunu: कोरोना ने जेल के बंदियों को अपनों से कुछ वक्त की मुलाकात से भी दूर कर दिया है. कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए सरकार ने फेस टू फेस मुलाकात व्यवस्था को एक बार फिर बंद कर दिया है. पहले भी कोरोना के चलते डेढ़ साल से बंदियों के परिजनों से फेस टू फेस मुलाकात बंद थी.

तकरीबन डेढ़ महीने पहले ही जेल में बंदी-परिजन मुलाकात की व्यवस्था शुरू हुई थी. अब जेल में बंदियों को ई-मुलाकात, यानी मोबाइल पर वीडियो कॉलिंग के जरिए मुलाकात या फिर एसटीडी फोन के जरिए परिजनों से बातचीत कराई जाएगी. इस संबंध में कारागार महानिदेशक ने आदेश जारी किए हैं. झुंझुनूं जेल के डीएसपी भैरू सिंह ने बताया कि कारागार महानिदेशक ने आदेश जारी किए हैं. आदेश में बंदियों की परिजन से व्यक्तिगत मुलाकात पर कोरोना वायरस की वर्तमान स्थिति को देखते हुए रोक लगाई गई है.

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साल 2020 और 2021 में कोरोना वायरस के कारण बंदियों की परिजन से व्यक्तिगत मुलाकात बंद थी. साल 2020 में अप्रैल से दिसंबर तक बंदी और परिजनों की आमने-सामने मुलाकात नहीं हो पा रही थी. साल 2021 में कोरोना वायरस कम हुआ तो दिसम्बर 2021 के लास्ट में मुलाकात वापस शुरू की गई. फिर तकरीबन 27 दिनों तक फेस टू फेस मुलाकात जारी रही. कोरोना बढ़ा तो यह व्यवस्था वापस बंद कर दी गई.

जेल से फोन पर वीडियो कॉल से मुलाकात

बंदी और परिजनों की आमने-सामने की मुलाकातें बंद होने के बाद फोन के जरिए ही बात करवाई जा रही है. इसके लिए पहले कॉल बुक करवाना पड़ता है. ऑनलाइन स्लॉट लिया जाता है, जिस नम्बर पर बात होनी है, वह दिए जाते हैं. इसके बाद जेल से परिजनों के फोन पर बात करवाई जाती है. एक बंदी 5 मिनट तक अपने परिजन से वीडियो कॉल कर सकता है.

तनाव से मुक्त करने के लिए आवश्यक

जेल प्रशासन का मानना है कि बंदियों को तनाव से मुक्त करने और अपराध की दुनिया से बाहर निकालने के लिए परिजन से मुलाकात जरूरी है. परिजन से मिलने से उनके दिमाग में अपराध संबंधी विचार कम आते हैं. इसका फायदा यह है कि जेल में रहकर बंदी समाज और परिवार के साथ जुड़ कर जीवन बिताने की सोचते हैं. मनोचिकित्सक का भी मानना है कि बंदियों के दिमाग को दूसरी तरफ लगाना और स्थिर रखना जरूरी है. बंदी अपनों से मिलकर अपराध की दुनिया से बाहर निकलने का प्रयास करते हैं. सरकार और समाज भी गलती करने वाले व्यक्ति को सुधारना चाहता है. इसलिए परिजन से बंदियों की व्यक्तिगत मुलाकात जरूरी है.

Report-Sandeep Kedia

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