मई में इस तारीख से शुरू होगा 'नौ तपा', शनि के वक्री रहने से आसमान से बरसेगी 'आग'
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मई में इस तारीख से शुरू होगा 'नौ तपा', शनि के वक्री रहने से आसमान से बरसेगी 'आग'

विख्यात भविष्यवक्ता अनीष व्यास ने बताया कि परंपरा के अनुसार नौतपा के दौरान महिलाएं हाथ पैरों में मेहंदी लगाती हैं. क्योंकि मेहंदी की तासीर ठंडी होने से तेज गर्मी से राहत मिलती है. 

विख्यात भविष्यवक्ता अनीष व्यास से जानिए राशिफल.

Jaipur/Delhi: इस माह की 25 मई को सूर्य देव प्रातः 8 बजकर 47 मिनट पर रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करेंगे और 15 दिनों तक इसी नक्षत्र में स्थित रहेंगे. रोहिणी नक्षत्र में सूर्यदेव के प्रवेश से नौतपा भी प्रारंभ हो जाएंगे. 

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नौतपा से आशय सूर्य का नौ दिनों तक अपने सर्वोच्च ताप में होना है यानि इस दौरान गर्मी अपने चरम पर होती है. पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास (Anish Vyas) ने बताया कि चंद्र देव रोहिणी नक्षत्र के स्वामी हैं, जो शीतलता का कारक हैं, परंतु इस समय वे सूर्य के प्रभाव में आ जाते हैं. जब सूर्य रोहिणी नक्षत्र में 15 दिनों के लिए आता है तो उन पंद्रह दिनों के पहले नौ दिन सर्वाधिक गर्मी वाले होते हैं. इन्हीं शुरुआती नौ दिनों को नौतपा के नाम से जान जाता है. 

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ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि नौतपा के कारण देश में कोरोना महामारी संक्रमण में कमी आयेगी. कोरोना महामारी संक्रमण से होने वाली मृत्यु दर में कमी आएगी और कोरोना का असर न्यूनतम होगा. देश में फैला डर का माहौल खत्म होगा. लोगों में अनुकूलता और आरोग्यता भी बढ़ेगी. खगोल विज्ञान के अनुसार, इस दौरान धरती पर सूर्य की किरणें सीधी लम्बवत पड़ती हैं, जिस कारण तापमान अधिक बढ़ जाता है. यदि नौतपा के सभी दिन पूरे तपें, तो यह अच्छी बारिश का संकेत होता है.

सूर्य के रोहिणी नक्षत्र में आने का प्रभाव
ज्योतिष गणना के मुताबिक, शनि की वक्री चाल के चलते नौतपा खूब तपेगा. हालांकि नौतपा के आखिरी दो दिनों के भीतर आंधी तूफान व बारिश होने की संभावना रहेगी. 

नौतपा का पौराणिक महत्व
ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि नौतपा का ज्योतिष के साथ-साथ पौराणिक महत्व भी है. ज्योतिष के सूर्य सिद्धांत और श्रीमद् भागवत में नौतपा का वर्णन आता है. कहते हैं जब से ज्योतिष की रचना हुई, तभी से ही नौतपा भी चला आ रहा है. सनातन संस्कृति में सदियों से सूर्य को देवता के रूप में भी पूजा जाता रहा है.

नौपता पर क्या कहता है विज्ञान
वैज्ञानिक मतानुसार नौतपा के दौरान सूर्य की किरणें सीधी पृथ्वी पर आती हैं. इस कारण तापमान बढ़ता है. अधिक गर्मी के कारण मैदानी क्षेत्रों में निम्न दबाव का क्षेत्र बनता है, जो समुद्र की लहरों को आकर्षित करता है. इस कारण ठंडी हवाएं मैदानों की ओर बढ़ती है. चूंकि समुद्र उच्च दबाव वाला क्षेत्र होता है इसलिए हवाओं का यह रूख अच्छी बारिश का संकेत देता है.

ग्रह-नक्षत्रों के अनुसार नौतपा
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक अनीष व्यास ने बताया कि 25 मई को सुबह करीब 8:47 पर सूर्यदेव रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करेंगे. सूर्य जब रोहिणी नक्षत्र में होकर वृष राशि के 10 से 20 अंश तक रहता है तब नौतपा होता है. इस नक्षत्र में सूर्य करीब 15 दिनों तक रहेगा लेकिन शुरुआती 9 दिनों में गर्मी बहुत बढ़ जाती है. इसलिए इन 9 दिनों के समय को ही नौतपा कहा जाता है. ये समय 25 मई से 3 जून तक रहेगा. इसके अलावा ज्येष्ठ महीने के शुक्लपक्ष में चंद्रमा जब आर्द्रा से स्वाती तक 10 नक्षत्रों में रहता हो तो नौतपा होता है. रोहिणी के दौरान बारिश हो जाती है तो इसे रोहिणी नक्षत्र का गलन भी कहा जाता है.

नौतपा पर परंपरा
विख्यात भविष्यवक्ता अनीष व्यास ने बताया कि परंपरा के अनुसार नौतपा के दौरान महिलाएं हाथ पैरों में मेहंदी लगाती हैं क्योंकि मेहंदी की तासीर ठंडी होने से तेज गर्मी से राहत मिलती है. इन दिनों में पानी खूब पिया जाता है और जल दान भी किया जाता है ताकि पानी की कमी से लोग बीमार न हो. इस तेज गर्मी से बचने के लिए दही, मक्खन और दूध का उपयोग ज्यादा किया जाता है. इसके साथ ही नरियल पानी और ठंडक देने वाली दूसरी और भी चीजें खाई जाती हैं.

नौतपा में सूर्य की आराधना
विख्यात कुण्डली विश्ल़ेषक अनीष व्यास ने बताया कि रोहिणी नक्षत्र के दौरान सूर्य की आराधन करना विशेष फलदायी होता है. सुबह सूर्योदय के पहले स्नान कर सूर्य को अर्घ्य दें. जलपात्र में कंकूम डालें और सूर्य को जल चढ़ाएं. जल चढ़ाते समय सूर्यदेव का मंत्र ऊं घृणि सूर्याय नमः, या ऊं सूर्यदेवाय नमः का निरंतर जाप करें.

 

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