Rajasthan Politics : मंत्री प्रतापसिंह खाचरियावास ने कहा कि सचिन पायलट मंत्री रहते भरते ACR थे, तो CM अशोक गहलोत हमे अधिकार क्यों नहीं दे सकते. फिर मंत्रिमंडल का क्या फायदा है.
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Rajasthan Politics : ब्यूरोक्रेसी के काम का आकलन करने का अधिकार राजनीति में हलचल ला रहा है. मंत्री प्रतापसिंह खाचरियावास ने कैबिनेट साथी, विधानसभा में सचेतक और जलदाय मंत्री महेश जोशी को गुलाम बताने वाला बयान वापस ले लिया है, उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा कि वो मेरे बयान से आहत हुए है तो शब्दों को वापिस लेता हूं, बाकि मेरा ACR को लेकर स्टैंड कायम रहेगा.
मंत्री प्रतापसिंह खचारियावास ने मीडिया से रूबरू होते हुए कहा कि ACR भरने के स्टैंड पर अभी भी कायम हूं. मंत्री महेश जोशी मेरे शब्दों से आहत हुए तो बयान वापस लेता हूं. महेश जोशी बड़े भाई है जैसे है, गलतफहमी नहीं है. अशोक गहलोत जब केंद्र में मंत्री थे तब खुद ACR भरते थे. भंवर जितेंद्र सिंह से बात हुई वो भी मंत्री थे तब ACR भरते थे. सचिन पायलट भी केंद्र के मंत्री रहते हुए ACR भर चुके है.
खाद्य मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा कि जब संविधान में उनको अधिकार मिले हैं तो देने में देरी क्यों. सारे अधिकार ही सीएम को दे दें तो मंत्री मंडल गठन का क्या फायदा रहा. सीएमओ कंट्रोल करें यह ठीक है, लेकिन अधिकार ही छीन ले तो यह गलत है. खाद्य मंत्री ने कहा कि अभी राजाओं का राज नहीं, लोकतंत्र है. सीएम से हम इस मसले पर अपनी बात कहेंगे. सभी मंत्रियों को चाय पर बुलाकर इस मसले पर चर्चा करूंगा. जो नहीं आएगा उनके विधानसभा क्षेत्र में जाकर बात कहूंगा. CM से इस मसले पर मेरा कोई टकराव नहीं है. उनकी सरकार बचाने के लिए सबसे आगे मैं ही खड़ा था.
मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने यह भी कहा कि जलदाय मंत्री महेश जोशी मेरे गुलामी को लेकर दिए गए बयान से आहत हैं मैं उनके घर जाकर इस संबंध में बातचीत करूंगा मेरी ACR को लेकर कही गई बात को शायद और ठीक से समझ नहीं पाए. इस मुद्दे पर मैं उनका भी समर्थन लूंगा इस पूरे मामले में गहलोत सरकार के मंत्रियों की फूट तो जगजाहिर हुई है साथ ही सीएमओ की ओर से किए जा रहे कंट्रोल को लेकर मंत्रियों की नाराजगी भी अब खुलकर सामने आई है. मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास से पहले अधिकार नहीं मिलने पर मंत्री अशोक चांदना नाराजगी जता चुके हैं. वही हाल ही में चिकित्सा मंत्री परसादी लाल मीणा पुलिस की कार्यशैली पर अपना गुस्सा जाहिर कर चुके हैं. ऐसे में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के सामने भी बड़ी चुनौती मंत्रिमंडल के सदस्यों के बढ़ते आक्रोश को थामने की होगी.
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