शक्ति की आराधना का पर्व शारदीय नवरात्र शुरू, डोली में हुआ आगमन
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शक्ति की आराधना का पर्व शारदीय नवरात्र शुरू, डोली में हुआ आगमन

शक्ति स्वरूपा देवी की आराधना का पर्व शारदीय नवरात्र आश्विन शुक्ल प्रतिपदा से शुरू हो चुका है. 

शहर स्थापना के बाद दूसरी बार शारदीय नवरात्र में शिला माता का दरबार सूना.

Jaipur : शक्ति स्वरूपा देवी की आराधना का पर्व शारदीय नवरात्र आश्विन शुक्ल प्रतिपदा से शुरू हो चुका है. अभिजीत मुहूर्त में मंदिरों से लेकर घरों में घटस्थापना की गई. नवरात्रि (Navratri 2021) के नौ दिन माता के जयकारों से गुंजायमान रहेंगे. सुबह से मंदिरों से लेकर घरों तक भक्त भक्ति में लीन नजर आए.

जगत जननी मां भगवती की अराधना का महापर्व शारदीय नवरात्र (Navratri Puja) का शुभारंभ आज से हो गया है. शक्ति और भक्ति के इस पर्व में सभी लोग श्रद्धा और यथा शक्ति के अनुसार मां भगवती की आराधना करते हैं. नवरात्रि का पहला दिन मां दुर्गा के शैलपुत्री स्वरूप को समर्पित होता है. हिमालय की पुत्री होने के कारण इन्हें प्रकृति स्वरूपा भी कहा जाता है. अभिजीत मुहूर्त में घरों से लेकर मंदिरों तक घटस्थापना हुई. इस बार तिथियों की घट-बढ़ होने से नवरात्रि 8 दिनों की ही रहेगी. इस बार माता रानी का डोली पर आगमन हुआ. राजधानी में राजा-महाराजाओं ने नगर की सभी दिशाओं में दुश्मनों का प्रवेश रोकने के लिए स्थापित किए दुर्गा माता के मंदिर अपनी विशेष पहचान और महत्व रखते हैं.

आमेर में शिला देवी, दुर्गापुरा में दुर्गा माता, झालाना वनक्षेत्र स्थित कालक्या माता विराजमान है. शहर स्थापना के बाद दूसरी बार आमेर स्थित शिला माता मंदिर आम दर्शनार्थियों के प्रवेश के लिए बंद रहा. सभी अनुष्ठान मंदिर पुजारियों के सान्निध्य में आयोजित हुए. पुजारी बनवारी शर्मा ने बताया कि रियासतकालीन समय से पूर्व और इसके बाद दूसरी बार ऐसा मौका होगा जब भक्त माता के साक्षात दर्शन नहीं कर पाएंगे. 15 अक्टूबर तक आमश्रद्धालुओं का प्रवेश मंदिर में निषेध रहेगा. भक्तों से घरों से ईदर्शन की अपील की है. आमेर स्थित शिला माता मंदिर का निर्माण राजा मानसिंह (प्रथम) ने 16वीं शताब्दी में करवाया था. यहां स्थापित माता की प्रतिमा पूर्वी बंगाल के जसोर से लाई गई थी. चमकीले काले पत्थर से निर्मित इस अष्टभुजा प्रतिमा के ऊपरी भाग में मस्तक के ऊपर बाएं से दाएं क्रमश: गणेश, ब्रह्मा, शिव, विष्णु और सरस्वती की छोटे आकार की मूर्तियां उत्कीर्ण हैं. मंदिर का मुख्यद्वार चांदी का बना है. शारदीय व चैत्र नवरात्र में छठ का मेला भरता है. इस बार यह मेला नहीं भरेगा.

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दुर्गापुरा स्थित दुर्गामाता मंदिर में ब्रह्म मुहूर्त में घटस्थापना  के बाद भक्तों के 20 फीट दूरी से माता के दर्शन हुए. सुबह 6 से 12 शाम 5 से 9.30 बजे तक दर्शन कर सकेंगे. प्रसाद माला नहीं चढ़ा सकेंगे. नौ दिनों तक माता रानी को आरी तारी, गोटा चुनरी की पोशाक धारण करवाई जाएगी. सप्तमी का मेला नहीं भरेगा. यह मंदिर लगभग 300 साल पुराना है. राजापार्क पंचवटी सर्किल स्थित माता वैष्णो देवी मंदिर में घटस्थापना दोपहर 12.51 बजे हुई. आम भक्त दर्शन सुबह 6 बजे से दोपहर 12 बजे तक और शाम 5.30 बजे से रात 9 बजे तक कर सकेंगे. रोजाना छह बार माता की साड़ी बदली जाएगी. साड़ी, चुनरी भक्त चढ़ा सकेंगे. वहीं, शाम को हलवा, छोले और पूरी का प्रसाद बांटा जाएगा. अपेक्स सर्किल झालाना औद्योगिक क्षेत्र स्थित कालक्या माता मंदिर सुबह सात से शाम छह बजे बजे तक खुलेगा. मंदिर में सामजिक दूरी की पूरी पालना करवाई जाएगी. अलग से सेवक व्यवस्थाओं को संभालेंगे. प्रसाद आदि नहीं चढ़ा सकेंगे. इसके अलावा गलताजी की पहाड़ियों में सूर्य मंदिर के आगे आमागढ़, जलमहल के सामने गुर्जर घाटी स्थित माता का मंदिर, दिल्ली रोड पर मनवा की पहाड़ियों में माता राजराजेश्वरी का कलात्मक मंदिर भी इतिहास की दृष्टि से खास है. खोले के हनुमान मंदिर में मंदिर शिखर पर पर ध्वजारोहण गया. इसके साथ ही अखण्ड बाल्मिकी रामायण का पारायण शुरू होगा. यहां स्थित प्राचीन वैष्णो माता, अन्नपूर्णा माता, गायत्री माता के मंदिरों में भी घट स्थापना होगी। सुबह से रात 9 बजे तक भक्त दर्शन कर सकेंगे.

बहरहाल, मान्यता है कि कलश स्थापना से मां अन्नपूर्णा प्रसन्न होती हैं और घर को खुशियों, धन-धान्य व सुख-समृद्धि से भर देती हैं. धर्मशास्त्रों के अनुसार, कलश सुख-समृद्धि, वैभव और मंगल कामनाओं का प्रतीक होता है. माना जाता है कि मां शैलपुत्री सुख-समृद्धि की दाता होती हैं. नवरात्रि के पहले दिन इनकी पूजा-अर्चना करने से जीवन में सुख-समृद्धि की प्रप्ति होती है. शैलपुत्री की आराधना करने से जीवन में स्थिरता आती है.

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