राजस्थान का वो मंदिर जहां प्रसाद चढ़ाते तो हैं, लेकिन घर नहीं लाया जाता
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राजस्थान का वो मंदिर जहां प्रसाद चढ़ाते तो हैं, लेकिन घर नहीं लाया जाता

आमतौर पर जब आप किसी धार्मिक स्थल या मंदिर में जाते हैं तो वहां प्रसाद चढ़ाकर, भगवान को भोग लगाकर वापस प्रसाद घर लिया जाता है और प्रसाद को फिर लोगों के बीच बांटा जाता है.

राजस्थान का वो मंदिर जहां प्रसाद चढ़ाते तो हैं, लेकिन घर नहीं लाया जाता

Mehandipur Balaji: आमतौर पर जब आप किसी धार्मिक स्थल या मंदिर में जाते हैं तो वहां प्रसाद चढ़ाकर, भगवान को भोग लगाकर वापस प्रसाद घर लिया जाता है और प्रसाद को फिर लोगों के बीच बांटा जाता है. लेकिन अब आज बात कर रहे है उस मंदिर की जहां भक्त प्रसाद चढ़ाते तो है लेकिन वापस घर लेकर नहीं जाते बल्कि प्रसाद को वही छोड़ दिया जाता है.  हम बात कर रहे हैं मेंहदीपुर बालाजी  मंदिर की जहां दुनियाभर से लोग दर्शन को आते है विशेषतौर पर आज हनुमान जन्मोत्सव पर तो मंदिर में खासी भीड़ रहती है.

राजस्थान के दौसा में स्थित इस मंदिर में हनुमान जी अपने बाल रूप में विराजित है. मान्यता है कि यहां भक्तों के सब सकंट कट जाते हैं और हर मनोकामना पूरी होती है. दो पहाड़ियों के बीच स्थित मंदिर को लेकर कई कहानियां हैं. मान्यता है कि इन मंदिर में भूत-प्रेत की बाधाओं से मुक्ति मिल जाती है. मंदिर में प्रेतराज सरकार और भैरवबाबा यानि कोतवाल कप्तान की प्रतिमा है. कहा जाता है कि जिन लोगों पर प्रेम आत्मा का अंश होता है उनकी प्रेतराज सरकार के सामने पेशी होती है. पेशी का वक्त भी निर्धारित है और वो है हर दोपहर दो बजे. इतना ही नहीं. मंदिर आने वाले कई भक्त मंदिर के प्रसाद को घर लेकर नहीं जाते.  

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मेंहदीपुर बालाजीसे जुड़ी मान्यता
स्थानीय लोग कहते हैं कि मेंहदीपुर बालाजी मंदिर में बालाजी की छाती के बीच में एक छेद है, जिसमें से लगातार पानी बहता रहता है. मान्यता है कि इसे बालाजी का पसीना है. यही नहीं यहां भगवान हनुमान बाल रूप में मौजूद हैं. वहीं, मंदिर के पास ही भगवान राम और माता सीता की मूर्ति है और हनुमान जी हमेशा इनके दर्शन करते रहते हैं. रोजाना दोपहर 2 बजे मंदिर में नकारात्मकता और बुराइयों को भगाने के लिए कीर्तन किया जाता है. ऐसा करने पर प्रेम आत्माओं से मुक्ति मिलने की मान्यता है. 

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मेंहदीपुर बालाजी जाने से पहले जान लें नियम

  • अगर आप मेहंदीपुर बालाजी मंदिर में दर्शन करने जा रहे है तो एक हफ्ते तक अंडा-मांस-शराब-लहसुन और प्याज का सेवन बंद करना पड़ता है.
  • बालाजी को लड्डू, प्रेतराज को चावल और भैरोंनाथ जी को उड़द का प्रसाद चढ़ाया जाता है.
  • मंदिर से खाने पीने की चीज, प्रसाद और सुगंधित चीजों को घर नहीं ले जाया जा सकता है.
  • मंदिर में बालाजी को दो तरह का प्रसाद चढ़ता है एक-दर्खावस्त और दूसरा अर्जी
  • दर्खावस्त लगाने के बाद तुरंत मंदिर से निकल जाना होता है
  • अर्जी के प्रसाद को दो बार खरीदना पड़ता है जो तीन थालियों में होता है और इस प्रसाद को वापस लौटते वक्त लेना होता है और पीछे की तरफ फेंकना होता है. इस दौरान पीछे नहीं देखना होता

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

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