Jaipur: जयपुर के चौंमू में प्रदेश सरकार द्वारा त्यौहारी सीजन में चलाए जा रहे शुद्ध के लिए अभियान के लिए पोल खुलती नजर आ रही है. मिलावटखोरों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए सरकार शुद्ध के लिए युद्ध अभियान चला रही है जो महज खानापूर्ति साबित हो रहा है. अभियान के तहत लिए गए सैंपल की लेबोरेट्री से रिपोर्ट आने में ही महीनों का वक्त लग जाता है. जब तक रिपोर्ट आती है, तब तक मिठाईयां बाजार में बिक जाती हैं, फिर कार्रवाई के नाम पर महज खानापूर्ति होती है.


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जयपुर ग्रामीण में खाद्य सामग्री की 55 हजार लाइसेंसशुदा दुकानें हैं. इस बार त्यौहारी सीजन में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की टीम ने 8 सितंबर से 25 सितंबर तक अभियान चलाकर पूरे जिले में 115 सैम्पल लिए लेकिन अभी तक 17 सैम्पलों की रिपोर्ट आई है, जिनमे 6 सैम्पल फेल हो गए. पनीर,घी, मिठाई में मिलावट मिली है, लेकिन बाकी सैम्पलों की रिपोर्ट आने का इंतज़ार है.


इस दौरान इलाके में लंपी के चलते दूध की सप्लाई 20% घटी, इसलिए भी मिलावट की आशंका लंपी बीमारी के कारण दूध की सप्लाई 20% तक घट गई. इसलिए नकली पनीर, मावा सप्लाई का कारोबार कितना हुआ होगा, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है. चिकित्सा व प्रशासनिक अधिकारियों का भी मानना है कि त्यौहार पर मिलावटी मिठाई का कारोबार 50% तक बढ़ जाता है, लेकिन रिपोर्ट आने की रफ्तार कम हो जाती है.


त्यौहारी सीजन में मिठाइयों के लिए गए सैंपल में आधे सैंपल्स की रिपोर्ट ही नहीं आई है. अब रिपोर्ट आए तो भी फायदा भी क्या, माल बिक चुका और लोग मिलावटी घी-तेल, दूध, मिठाइयां तो खा चुके. रसद और स्वास्थ्य विभाग मिलावट की रोकथाम के लिए अधिकृत हैं, पर स्टाफ के नाम पर जयपुर जिले में मात्र 3 फू इंस्पेक्टर हैं, 3 पोस्ट दो साल से खाली पड़ी है. सैंपलिंग ऑफिसरों के जयपुर प्रथम में 1 और द्वितीय में 2 पद एक से दो साल से रिक्त हैं. ऐसे में प्रभावी मॉनिटरिंग के बिना मिलावट रुक नहीं पा रही.


कुल मिलाकर लेबोरेटरी में 3 कर्मचारी ही काम कर रहें हैं, तो वही फील्ड में भी तीन फूड इंस्पेक्टर ही मौजूद हैं. ऐसे में समय पर सैंपल लेना और रिपोर्ट तैयार करना इन कर्मचारियों के लिए बड़ी चुनौती है. जिलेभर की दुकानों की जांच करने, सैंपल लेने सहित कई काम होते हैं. पर्याप्त स्टाफ नहीं होने, जांच लैब की कमी, मुकदमों के निस्तारण में देरी और मिलीभगत भी कारण हैं. बाजारों में खाद्य विभाग के अधिकारी कार्रवाई के लिए आते हैं, लेकिन भनक लगते ही सारे व्यापारी अशुद्ध सामग्री भंडार में ले जाकर छुपा देते हैं.


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