इस बार सावन में दो दुर्लभ संयोग, 26 को पहला सोमवार, जानिए रुद्राभिषेक से लाभ
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इस बार सावन में दो दुर्लभ संयोग, 26 को पहला सोमवार, जानिए रुद्राभिषेक से लाभ

चतुर्मास का पहला मास सावन मास होता है. इस मास में भगवान शंकर की आराधना की जाती है.

प्रतीकात्मक तस्वीर.

Jaipur : चतुर्मास का पहला मास सावन मास होता है. इस मास में भगवान शंकर की आराधना की जाती है. भूत भावन शमशानवासी देवा दी देव महादेव के सावन मास में इस बार 4 सोमवार आ रहे हैं. यह अद्भुत संयोग है और इस बार श्रावण मास रविवार से शुरू हो कर रविवार को विराम हो रहा. इस मास में अनेक प्रकार के शुभ योग बनेंगे जो की शिव भक्तों के लाभकारी होंगे. 
 
ज्योतिषाचार्य पंडित निलेश शास्त्री ने बताया कि 25 जुलाई यानी की रविवार से सावन मास आराम हो रहा है. 11 अगस्त की हरियाली तीज मनाई जाएगी.

यह भी पढ़ें : चातुर्मास 20 जुलाई से 15 नवंबर तक, इस बार 3 महीने 26 दिन तक रहेगा देवशयन

पहला सोमवार 26 जुलाई दोज/तीज कृष्ण पक्ष
दूसरा सोमवार 2 अगस्त नवमी कृष्ण पक्ष
तीसरा सोमवार 9 अगस्त प्रतिपदा शुक्ल
चोथा सोमवार 16 अगस्त अष्टमी शुक्ल पक्ष
8 अगस्त हरियाली अमावस्या
22 अगस्त पूर्णिमा रक्षाबंधन संस्कृत दिवस

सावन मास पंचमी
28 जुलाई शुक्ल पक्ष नाग पंचमी
13 अगस्त  कृष्ण पक्ष रंगीली पंचमी
दो प्रदोष व्रत
5 अगस्त
20 अगस्त

रुद्राभिषेक से लाभ
ज्योतिषाचार्य पंडित नीलेश शास्त्री ने बताया कि शिवपुराण के अनुसार सभी सुखों की प्राप्ति के लिए सहस्त्र घट करना चाहिए और अन्य कामनाएं के लिए वेदपाठी ब्राह्मणों द्वारा भगवान शंकर का अभिषेक करवाना चाहिए जो व्यक्ति रुद्राभिषेक नही करवा सकते वो लोग सावन मास में नित्य शिवलिंग पर पंचामृत अभिषेक कर सकते हैं.

- यदि वर्षा चाहते हैं तो जल से रुद्राभिषेक करें.

- रोग और दुःख से छुटकारा चाहते हैं तो कुशा जल से अभिषेक करना चाहिए.

- मकान, वाहन या पशु आदि की इच्छा है तो दही से अभिषेक करें.

- लक्ष्मी प्राप्ति और कर्ज से छुटकारा पाने के लिए गन्ने के रस से अभिषेक करें.

- धन में वृद्धि के लिए जल में शहद डालकर अभिषेक करें.

- मोक्ष की प्राप्ति के लिए तीर्थ से लाये गये जल से अभिषेक करें.

- बीमारी को नष्ट करने के लिए जल में इत्र मिला कर अभिषेक करें.

- पुत्र प्राप्ति, रोग शांति तथा मनोकामनाएं पूर्ण करने के लिए गाय के दुग्ध से अभिषेक करें.

- ज्वर ठीक करने के लिए गंगाजल से अभिषेक करें.

- सद्बुद्धि और ज्ञानवर्धन के लिए दुग्ध में चीनी मिलाकर अभिषेक करें.

- वंश वृद्धि के लिए घी से अभिषेक करना चाहिए.

- शत्रु नाश के लिए सरसों के तेल से अभिषेक करें.

- पापों से मुक्ति चाहते हैं तो शुद्ध शहद से रुद्राभिषेक करें.

कहां करना चाहिए रुद्राभिषेक
शास्त्र के अनुसार कहा करना चाहिए भगवान का रुद्राभिषेक भविष्यवक्ता निलेश शास्त्री ने बताया कि वैसे तो भगवान सभी सावन मास में चार सोमवार केसे करे अभिषेक जानिए शास्त्री से

चतुर्मास का पहला मास सावन मास होता है. इस मास में भगवान शंकर की आराधना की जाती है. भूत भावन शमशानवासी देवा दी देव महादेव के सावन मास में इस बार 4 सोमवार आ रहे हैं. यह अद्भुत संयोग है और इस बार श्रावण मास रविवार से शुरू हो कर रविवार को विराम हो रहा इस मास में अनेक प्रकार के शुभ योग बनेंगे जो की शिव भक्तों के लाभकारी होंगे.
 
आइए जानते हैं पंडित निलेश शास्त्री से कब है सोमवार अमावस्या पूर्णिमा प्रदोष व्रत है कब से आराम हो रहा सावन मास निलेश शास्त्री ने बताया की 25 जुलाई यानी की रविवार से सावन मास आराम हो रहा है. 11 अगस्त की हरियाली तीज मनाई जाएगी.

पहला सोमवार 26 जुलाई  दोज/तीज कृष्ण पक्ष
दूसरा सोमवार 2 अगस्त नवमी कृष्ण पक्ष
तीसरा सोमवार 9 अगस्त  प्रतिपदा शुक्ल
चोथा सोमवार 16 अगस्त  अष्टमी शुक्ल पक्ष
8 अगस्त  हरियाली अमावस्या
22 अगस्त  पूर्णिमा रक्षाबंधन संस्कृत दिवस
 सावन मास पंचमी
28 जुलाई शुक्ल पक्ष नाग पंचमी
13 अगस्त  कृष्ण पक्ष रंगीली पंचमी
दो प्रदोष व्रत
5 अगस्त
20 अगस्त

रुद्राभिषेक से लाभ
ज्योतिषाचार्य पंडित नीलेश शास्त्री ने बताया कि शिवपुराण के अनुसार सभी सुखों की प्राप्ति के  लिए सहस्त्र घट करना चाहिए और अन्य कामनाएं के लिए  वेदपाठी ब्राह्मणों द्वारा भगवान शंकर का अभिषेक करवाना चाहिए जो व्यक्ति रुद्राभिषेक नही करवा सकते वो लोग सावन मास में नित्य शिवलिंग पर पंचामृत अभिषेक कर सकते हैं.

- यदि वर्षा चाहते हैं तो जल से रुद्राभिषेक करें.

- रोग और दुःख से छुटकारा चाहते हैं तो कुशा जल से अभिषेक करना चाहिए.

- मकान, वाहन या पशु आदि की इच्छा है तो दही से अभिषेक करें.

- लक्ष्मी प्राप्ति और कर्ज से छुटकारा पाने के लिए गन्ने के रस से अभिषेक करें.

- धन में वृद्धि के लिए जल में शहद डालकर अभिषेक करें.

- मोक्ष की प्राप्ति के लिए तीर्थ से लाये गये जल से अभिषेक करें.

- बीमारी को नष्ट करने के लिए जल में इत्र मिला कर अभिषेक करें.

- पुत्र प्राप्ति, रोग शांति तथा मनोकामनाएं पूर्ण करने के लिए गाय के दुग्ध से अभिषेक करें.

- ज्वर ठीक करने के लिए गंगाजल से अभिषेक करें.

- सद्बुद्धि और ज्ञानवर्धन के लिए दुग्ध में चीनी मिलाकर अभिषेक करें.

- वंश वृद्धि के लिए घी से अभिषेक करना चाहिए.

- शत्रु नाश के लिए सरसों के तेल से अभिषेक करें.

- पापों से मुक्ति चाहते हैं तो शुद्ध शहद से रुद्राभिषेक करें.

कहां करना चाहिए रुद्राभिषेक
शास्त्र के अनुसार कहा करना चाहिए भगवान का रुद्राभिषेक 

ज्योतिषाचार्य पंडित निलेश शास्त्री ने बताया कि वैसे तो भगवान सभी जगह विराजमान हे परन्तु भक्ति और शक्ति प्राप्ति करने के लिए शास्त्र नियमों का पालन करके भगवान की भक्ति करनी चाहिए. उसे पूर्ण फल भी मिलता है और किसी प्रकार की समस्या भी नहीं होती है जीवन में नियम से चलने वाले लोगों कभी कोई परेशानी नहीं आती है.

- यदि किसी मंदिर में जाकर रुद्राभिषेक करेंगे तो बहुत उत्तम रहेगा.

- किसी ज्योतिर्लिंग पर रुद्राभिषेक का अवसर मिल जाए तो इससे अच्छी कोई बात नहीं.

- नदी किनारे या किसी पर्वत पर स्थित मंदिर के शिवलिंग पर रुद्राभिषेक करना सबसे ज्यादा फलदायी है.

- कोई ऐसा मंदिर जहां गर्भ गृह में शिवलिंग स्थापित हो वहां पर रुद्राभिषेक करें तो ज्यादा अच्छा रहेगा.

- घर में भी रुद्राभिषेक किया जा सकता है.

- शिवलिंग न हो तो अंगूठे को भी शिवलिंग मानकर उसका अभिषेक कर सकते हैं.
 
गौशाला में रुद्राभिषेक करने से सहस्त्र  पुण्य मिलता
 
रुद्राभिषेक करते समय रखे विशेष ध्यान

पंडित निलेश शास्त्री के अनुसार शिवपुराण में बताया गया है कि रुद्राभिषेक के लिए तांबे के बर्तन को छोड़कर किसी अन्य धातु के बर्तन का उपयोग करना चाहिए. तांबे के बरतन में दूध, दही या पंचामृत आदि नहीं डालना चाहिए. तांबे के पात्र में जल का तो अभिषेक हो सकता है, लेकिन तांबे के साथ दूध का संपर्क उसे विष बना देता है इसलिए तांबे के पात्र में दूध का अभिषेक वर्जित होता है. चांदी के पात्र से अभिषेक करना बहुत लाभकारी माना गया है. जगह विराजमान हे परन्तु भक्ति ओर शक्ति प्राप्ति करने के लिए शास्त्र नियमों का पालन करके भगवान की भक्ति करनी चाहिए. उसे पूर्ण फल भी मिलता है और किसी प्रकार की समस्या भी नहीं होती है. जीवन में नियम से चलने वाले लोगों कभी कोई परेशानी नहीं आती है.

- यदि किसी मंदिर में जाकर रुद्राभिषेक करेंगे तो बहुत उत्तम रहेगा.

- किसी ज्योतिर्लिंग पर रुद्राभिषेक का अवसर मिल जाए तो इससे अच्छी कोई बात नहीं.

- नदी किनारे या किसी पर्वत पर स्थित मंदिर के शिवलिंग पर रुद्राभिषेक करना सबसे ज्यादा फलदायी है.

- कोई ऐसा मंदिर जहां गर्भ गृह में शिवलिंग स्थापित हो वहां पर रुद्राभिषेक करें तो ज्यादा अच्छा रहेगा.

- घर में भी रुद्राभिषेक किया जा सकता है.

- शिवलिंग न हो तो अंगूठे को भी शिवलिंग मानकर उसका अभिषेक कर सकते हैं.
 
- गौशाला में रुद्राभिषेक करने से सहस्त्र  पुण्य मिलता है.

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