Union Budget 2022: राजस्थान के कर्मचारियों के लिए खुशखबरी, NPS को लेकर बड़ा ऐलान
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Union Budget 2022: राजस्थान के कर्मचारियों के लिए खुशखबरी, NPS को लेकर बड़ा ऐलान

राजस्थान में राज्य सरकार के कर्मचारी एनपीएस (National Pension System) को लेकर पहले से काफी विरोध कर रहे हैं. प्रदेश के अलग-अलग जिलों में आए दिन कर्मचारी एनपीएस को हटाकर पुरानी पेंश व्यवस्था लागू करने की मांग कर रहे हैं. ये मांग दूसरे प्रदेश के कर्मचारी भी लगातार कर रहे हैं.

Union Budget 2022: राजस्थान के कर्मचारियों के लिए खुशखबरी, NPS को लेकर बड़ा ऐलान

Jaipur: राजस्थान में राज्य सरकार के कर्मचारी एनपीएस (National Pension System) को लेकर पहले से काफी विरोध कर रहे हैं. प्रदेश के अलग-अलग जिलों में आए दिन कर्मचारी एनपीएस को हटाकर पुरानी पेंश व्यवस्था लागू करने की मांग कर रहे हैं. ये मांग दूसरे प्रदेश के कर्मचारी भी लगातार कर रहे हैं. इसी बीच Union Budget 2022 में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बड़ा ऐलान किया है. 

1 फरवरी यानी मंगलवार को केंद्रीय बजट के माध्यम से घोषणा की गई है कि राज्य कर्मचारियों को भी NPS में केंद्र सरकार के कर्मचारियों के बराबद छूट मिलेगी. इस घोषणा के बाद उम्मीद है कि राजस्थान के राज्य कर्मचारियों को बड़ी राहत मिलेगी. दरअसल एनपीएस में राज्य सरकार के कर्मचारी के मूल वेतन और डीए का 10 फीसदी कटता है और इतनी ही राशि राज्य सरकार भी देती है. हालांकि केंद्र सरकार के कर्मियों के मामले में ये योगदान 14 फीसदी का होता है. अब माना जा रहा है कि राज्य कर्मचरियों को भी डीए में 14 फीसदी का योगदान मिलेगा. 

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ऐसे समझे NPS को
अगर किसी को 25 साल की उम्र में सरकारी नौकरी मिल गई है तो अगले 35 साल तक एनपीएस में योगदान पर अच्छी-खासी राशि का फंड तैयार हो जाएगा और इस कंट्रीब्यूशन से टैक्स डिडक्शन के फायदे के साथ बेहतर रिटर्न पा सकते हैं. यानी आपका रिटायरमेंट का प्लान नहीं है तो एक अच्छी खासी रकम आप भविष्य के लिए तैयार कर सकते हैं. 

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इसलिए कर रहे थे विरोध
राज्य सरकार के कर्मचारी NPS का काफी विरोध कर रहे हैं. करीब 17 साल पहले वर्ष 2004 में नेशनल पेंशन सिस्टम लागू होने के बाद से ही पुरानी पेंशन व्यवस्था (ओपीएस) बहाल करने को लेकर राज्यों में खासकर राजस्थान में कर्मचारी एकजुट हो रहे हैं. हालांकि ये तय है कि पुरानी पेंशन व्यवस्था के स्थान पर लाई गई नई पेंशन व्यवस्था नहीं चुनने पर कर्मियों को भविष्य में बहुत आर्थिक नुकसान उठाना पड़ सकता है. अधिकतर कर्मचारी पुरानी पेंशन व्यवस्था को इसलिए बेहतर मानते हैं क्योंकि यह उन्हें अधिक भरोसा देती है. 

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जानते हैं पुरानी और नई पेंशन स्कीम में क्या है अंतर
जनवरी 2004 में एनपीएस लागू हुआ था. इसके लागू होने से पहले सरकारी कर्मचारी जब रिटायर होता था तो उसकी आखिरी सैलरी के 50 फीसदी हिस्से के बराबर  पेंशन तय की जाती थी. नौकरी 40 साल कीहो या 15 साल की, पेंशन की राशि अंतिम सैलरी से ही तय होती थी.  वहीं NPS में डेफिनिट कांट्रिब्यूशन स्कीम लागू किया गया है. यानी इसमें पेंशन राशि इस पर निर्भर करती है कि नौकरी कुल कितने साल की थी और एन्यूटी राशि कितनी है. इसके तहत एक निश्चित राशि हर महीने कंट्रीब्यूट की जाती है और रिटायर होते ही कुल रकम का 60 फीसदी एकमुश्त निकाल लेने की सुविधा दी जाती है. बाकी 40 फीसदी रकम से बीमा कंपनी का एन्यूटी प्लान खरीदना होता है जिस पर मिलने वाले ब्याज की राशि हर महीने पेंशन के रूप में मिलती है. 

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