हिंगोनिया गौशाला की अनोखी पहल, अब गायों के गोबर से बनेगी CNG गैस
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हिंगोनिया गौशाला की अनोखी पहल, अब गायों के गोबर से बनेगी CNG गैस

हिंगोनिया गौशाला का पांच एकड भूमि का एरिया में 31.78 करोड की लागत से सीएनजी गैस प्लांट लगाया गया हैं. प्लांट में प्रतिदिन 100 मेट्रिक टन गोबर से 6 हजार किलो CNG गैस का उत्पादन होगा.

इस प्रोजेक्ट से गोशाला के कदम आत्मनिर्भर बनने की ओर बढ़ेगे.

Jaipur: जयपुर के हिंगोनिया गौशाला में अब गायों के 100 मेट्रिक टन गोबर से बनने वाली सीएनजी से गाडियां दौडेंगी. करीब पांच एकड़ एरिया में बनकर तैयार इस प्लांट का उद्घाटन जल्द होगा. पहली बार किसी गोशाला में इस तरह का प्लांट लगाकर गोबर से बड़े स्तर पर गैस बनाई जाएगी. इससे न सिर्फ गोबर का उपयोग होगा, बल्कि गोशाला को आर्थिक मजबूती भी मिलेगी. गोबर से जो सीएनजी बनेगी उसे आइओसीएल श्रीकृष्ण बलराम सेवा ट्रस्ट से खरीदेगा. इससे गोशाला को आय भी होगी.

हिंगोनिया गौशाला का पांच एकड भूमि का एरिया में 31.78 करोड की लागत से सीएनजी गैस प्लांट लगाया गया हैं. इस प्लांट में प्रतिदिन 100 मेट्रिक टन गोबर से 6 हजार किलो सीएनजी गैस का उत्पादन होगा. खास बात ये है कि ये प्लांट फुट ऑटोमेटिक है. जिसमें एक बार गोबर को अनलोड करने के बाद आगे की सारी प्रक्रिया अपने आप होगी. सीएनजी बनने से लेकर उसे स्टोर करने तक के काम के लिए मैन पॉवर की जरूरत नहीं पड़ेगी. प्रतिदिन बनने वाली सीएनजी गैस से गौशाला में काम आने वाली गाडियां तो चलाई ही जाएंगी. साथ में बची हुई सीएनजी को बेचकर उससे होने वाली इनकम से गौशाला का संचालन किया जाएगा.

इस प्रोजेक्ट से गोशाला के कदम आत्मनिर्भर बनने की ओर बढ़ेगे. लोगों के भी यह जानकारी में आएगा कि कि अगर गाय दूध नहीं दे रही है. तब भी वह आर्थिक रूप से फायदेमंद हो सकती है. हिंगौनिया गौशाला में देखरेख का जिम्मा संभाल रहे अक्षयपात्र फाउंडेशन के रघपतिदास का कहना हैं गैस बनने के प्रोसेस के बाद जो गोबर बचेगा, उसका उपयोग खाद के तौर पर पेड़ पौधों और खेती में किया जाएगा. 

बता दें कि, 2 साल पहले आईओसीएल की ओर से इस प्रोजेक्ट की शुरूआत की गई थी. अब प्रोजेक्ट बनकर तैयार हो चुका है. मौजूदा समय में जयपुर के नगर निगमों द्वारा प्रति बडे पशुधन के 57 रुपए और छोटे गौवंश के 37 रुपए देता है. वर्तमान में दोनों नगर निगम पर गोशाला प्रशासन का करीब पांच करोड़ रुपए बकाया चल रहा है. 2016 के बाद हिंगोनिया गौशाला के संचालन के लिए नगर निगम और अक्षय पात्र ट्रस्ट के बीच 19 वर्ष का अनुबंध हुआ था.

गौशाला की देखरेख कर रहे रघुपतिदास ने बताया की हिंगौनिया गौ पुनर्वास केन्द्र में 13 हजार 800 से ज्यादा गौवंश है. इस पुनर्वास केन्द्र पर हर रोज औसतन 90 से 100 हजार किलोग्राम गोबर निकलता है. इस गोबर का उपयोग अब सीएनजी प्लांट में किया जाएगा. 100 मीट्रिक टन गोबर से हर रोज 6 हजार किलोग्राम तक CNG बनाई जा सकेगी. इससे पूरे गौशाला में संचालित 15 ट्रेक्टर, 3 जेसीबी, 1 डम्पर समेत कुछ जीप और अन्य वाहन है. जिनके डीजल पर हर महीने 6-7 लाख रुपए का डीजल खपत होती है वह बचेगी.

इसके अलावा बचने वाली सीएनजी को बेचकर करीब 15-20 लाख रुपए महीने का रेवेन्यू अलग से मिलेगा. उन्होने बताया की शुरुआत में इस प्लांट में मिक्सिंग पिट में निर्धारित अनुपात में गोबर और पानी डाला जाएगा. इस सॉल्यूशन को प्री डाइजेस्टर टैंक में ले जाकर वहां बैक्टीरिया के जरिए सीएनजी बनने की प्रक्रिया अपनाई जाएगी. यहां बैक्टीरिया के जरिए गोबर से गैस बनने की प्रक्रिया शुरू होगी. अगले स्टेप में प्लांट में मौजूद एसएलएस शेड के जरिए सॉलिड और लिक्विड को अलग-अलग कर लिया जाता है. प्लांट से खाद को एसएलएस शेड से ही प्राप्त कर, लिक्विड फॉर्म मेन डाइजेस्टर टैंक में डाल दिया जाता है, जहां गैस तैयार होगी. उसके बाद बैलेंस गैस दो बड़े गैस होल्डिंग टैंक में स्टोर किया जाता है. प्यूरीफिकेशन शेड में रॉ गैस को फिल्टर कर गाड़ियों में इस्तेमाल होने वाली सीएनजी गैस लेवल तक प्यूरीफाई किया जाता है. यहां से सिलेंडर में गैस को भरकर बाहर वितरित किया जाता है.

बहरहाल, सीएनजी से प्रदूषण को भी रोका जा सकेगा और नगर निगम के वाहन में भी इस सीएनजी के उपयोग से पर्यावरण संरक्षण भी होगा और पेट्रोल-डीजल का खर्च भी कम हो सकेगा. इसके अलावा यहां गोबर गैस प्लांट में बनने वाले गोबर गैस खाद को किसानों को खेतों में उपयोग के लिए बेचा जाएगा, इससे भी आमदनी होगी.

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