विधानसभा में संयम लोढ़ा ने ऐसा क्या किया की स्पीकर बोले- मार्शल थ्रो हिम आउट
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विधानसभा में संयम लोढ़ा ने ऐसा क्या किया की स्पीकर बोले- मार्शल थ्रो हिम आउट

प्रदेश में एक बार फिर पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठे हैं. राजस्थान विधानसभा में ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के जरिए मुख्यमंत्री के सलाहकार और निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा ने यह मुद्दा उठाया. संयम लोढ़ा के ध्यानाकर्षण पर मंत्री शांति धारीवाल ने जवाब भी दिया, लेकिन संयम लोढ़ा पीड़ित लिखमाराम को मुआवजे की बात पर अड़े रहे. 

संयम लोढ़ा

Jaipur: प्रदेश में एक बार फिर पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठे हैं. राजस्थान विधानसभा में ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के जरिए मुख्यमंत्री के सलाहकार और निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा ने यह मुद्दा उठाया. संयम लोढ़ा के ध्यानाकर्षण पर मंत्री शांति धारीवाल ने जवाब भी दिया, लेकिन संयम लोढ़ा पीड़ित लिखमाराम को मुआवजे की बात पर अड़े रहे. उन्होंने पुलिस पर गुंडागर्दी करने के आरोप लगाते हुए सदन के वेल में आकर नारेबाजी की. इस पर स्पीकर सीपी जोशी उखड़ गए और उन्होंने मार्शल बुलवाकर संयम लोढ़ा को सदन से बाहर फिंकवा दिया.

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सिरोही से निर्दलीय विधायक और सीएम अशोक गहलोत के सलाहकार संयम लोढ़ा ने विधानसभा में ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के जरिए मामला उठाते हुए कहा कि उनके विधानसभा क्षेत्र में रहने वाले लिखमाराम रेबारी को पुलिस ने हत्या के एक मामले में गिरफ्तार किया. लोढ़ा ने कहा कि पुलिस ने लिखनाराम को झूठे मामले में फंसाने की कोशिश की. संयम लोढ़ा ने सरकार से सवाल किया कि आखिर किसी भी व्यक्ति को झूठे मामले में फंसाने वाले पुलिस अधिकारियों पर सरकार क्या कार्रवाई करेगी? उन्होंने कहा कि ऐसे पीड़ित व्यक्ति को क्या कोई मुआवजा सरकार की तरफ से दिया जाएगा?

संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल ने ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर जवाब देते हुए कहा कि 6 जून 2018 को लिखमाराम रेबारी हत्या के मामले में नामजद रिपोर्ट के बाद गिरफ्तार हुआ था. इस मामले में बाद में दूसरी एजेंसियों की जांच में यह पता लगा कि लिखमाराम हत्या के प्रकरण में शामिल नहीं था. इसके बाद पुलिस मुख्यालय से सिरोही एसपी को लिखमाराम की रिहाई के लिए निर्देश दिए गए. न्यायालय में लिखमाराम की रिहाई के लिए आवेदन भी लगाया गया, लेकिन तकनीकी कारणों से न्यायालय ने उस आवेदन को खारिज कर दिया. शांति धारीवाल ने सदन को जानकारी देते हुए बताया कि बाद में हाईकोर्ट की जोधपुर बैंक से लिखमाराम की जमानत हो गई और वह अभी जमानत पर बाहर है.

धारीवाल ने कहा कि लिखमाराम क्यों गिरफ्तार हुआ? इसमें किसकी गलती थी? इस मामले की जांच चल रही है और जो भी पुलिस अधिकारी दोषी होगा उस पर कार्रवाई की जाएगी.

इस पर संयम लोढ़ा ने कहा कि एक नौजवान के 4 साल सलाखों के पीछे खराब कर दिए गए. लिखमाराम को बेरहमी से मारा गया. पुलिस की मारपीट से उसके कपड़ों में ही मल निकल गया. ऐसी मारपीट के बाद लिखमाराम से इकबालिया बयान पर पुलिस ने दस्तखत भी करा लिए. संयम लोढ़ा ने कहा कि वह इस मामले में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के आभारी हैं, जो उन्होंने सरकार की दूसरी एजेंसी से जांच कराई. जिसमें लिखमाराम कि इस मामले में लिप्तता नहीं पाई गई. उन्होंने कहा कि तत्कालीन एसपी भी मौके पर पहुंचे थे और सरकार ने अब जांच अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक को दी है. ऐसे में सवाल यह उठता है कि एडिशनल एसपी अपने एसपी के खिलाफ जांच कैसे करेगा?

लोढ़ा जब पुलिस की कलई खोल रहे थे, उस दौरान विपक्ष ने भी 'शेम-शेम' के नारे लगाकर संयम लोढ़ा का साथ दिया. हालांकि संयम लोढ़ा के सवालों पर मंत्री शांति धारीवाल ने निष्पक्ष जांच का आश्वासन दिया. उन्होंने कहा कि यह गलत मंशा से की गई गिरफ्तारी है या बिना दुर्भावना के ही ऐसा हो गया, इसकी जांच की जा रही है. धारीवाल ने सदन को आश्वासन देते हुए कहा कि 7 दिन में इस मामले की जांच कर ली जाएगी. इस पर संयम लोढ़ा ने पीड़ित लिखमाराम को मुआवजा दिए जाने की मांग रखी और पुलिस की गुंडागर्दी नहीं चलने की बात कहने लगे.

स्पीकर सीपी जोशी ने जब उन्हें बोलने की अनुमति नहीं दी, तो संयम लोढ़ा कागज लेकर सदन के वेल में आ गए और अकेले ही पुलिस की कार्यशैली के खिलाफ नारेबाजी करने लगे. स्पीकर ने बार-बार संयम लोढ़ा से अपनी सीट पर जाने को कहा लेकिन वे नहीं गए. स्पीकर ने उन्हें चेताया कि अगर वे नहीं माने तो मार्शल बुलवा कर उन्हें बाहर कर दिया जाएगा. इस पर भी जब संयम लोढ़ा नहीं माने तो स्पीकर ने मार्शल को निर्देश देते हुए कहा,'मार्शल थ्रो हिम आउट'.

निर्देश पाते ही मार्शल और उनके सहयोगी सदन के वेल में पहुंचकर संयम लोढ़ा को बाहर ले जाने लगे. हालांकि इस दौरान माकपा विधायक बलवान पूनिया तत्काल संयम लोढ़ा को मार्शल की गिरफ्त से बचाने के लिए आए. स्पीकर ने बलवान पूनिया को भी रोक दिया और मार्शल संयम लोढ़ा को पकड़कर बाहर ले गए.

हालांकि संयम लोढ़ा के बाहर जाने के बाद मामला शांत हो गया, लेकिन इस पूरे मामले बी यह सवाल उठा दिए हैं कि क्या किसी भी निर्दोष व्यक्ति की गिरफ्तारी के दूसरे मामलों में भी पीड़ित को मुआवजा देने की कोई व्यवस्था होगी?

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