21 सितंबर को पूरी दुनिया वर्ल्ड अल्जाइमर डे मना रही है. यह एक ऐसी बीमारी है, जिसे लेकर अभी भी पर्याप्त जानकारी का सोसाइटी में अभाव है.
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Jaipur: 21 सितंबर को पूरी दुनिया वर्ल्ड अल्जाइमर डे मना रही है. यह एक ऐसी बीमारी है, जिसे लेकर अभी भी पर्याप्त जानकारी का सोसाइटी में अभाव है. आपको अमिताभ बच्चन की मूवी 'ब्लैक' तो याद होगी. फिल्म के जरिए इस बीमारी की गंभीरता को दिखाया गया था.
फिल्म में अमिताभ बच्चन को यह बीमारी थी, जिसमें शुरुआत में याददाश्त में कमी होने लगती है. बाद में वह सब कुछ भूलने लगते हैं, यहां तक कि खुद को भी वह भूल जाते हैं. आखिर में वह अपनी याददाश्त पूरी तरह खो देते हैं. यह एक ऐसी बीमारी है, जिसमें व्यक्ति को यह भी नहीं पता होता कि वह कौन है. दरअसल अल्जाइमर को पहले डिजीज ऑफ फॉरगेटफुलनेस के नाम से जाना जाता था. बाद में इस बीमारी का नाम मनोचिकित्सक डॉ. एलोइस अल्जाइमर के नाम पर पड़ा.
कोविड के इस दौर में जयपुर के मशहूर न्यूरोलॉजिस्ट डॉक्टर पृथ्वी गिरी इस बीमारी की वजह और इससे बचने के उपाय बता रहे हैं.
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क्या है अल्जाइमर
जयपुर के न्यूरोलॉजिस्ट डॉ पृथ्वी गिरी का कहना है कि दरअसल अल्जाइमर एक न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है, जिसमें ब्रेन सिकुड़ जाता है और उसकी कोशिकाएं यानी न्यूरॉन्स धीरे-धीरे मरने लगते हैं. न्यूरॉन्स के जरिए ही हम शारीरिक जरूरतों और हाव-भाव व सोच-समझ को जाहिर कर पाते हैं.
बीमारी होने के बाद सोचने-समझने की क्षमता घटती जाती है. मरीज के बर्ताव में बदलाव आते हैं और आखिर में वह खुद से कुछ भी कर पाने में असमर्थ हो जाता है. इससे पीड़ित व्यक्ति समय और जगह में तालमेल नहीं बिठा पाता है. इसका अक्सर 20 साल बाद तब पता चलता है, जब मरीज इलाज के लिए अस्पताल पहुंचता है लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी रहती है.
डॉ पृथ्वी गिरि ने बताया कि बुजर्गों में अल्जाइमर परिवार व उनसे जुड़े लोगों के धैर्य व उनके प्रति जिम्मेदारियों की एक प्रकार से परीक्षा होती है. जिसका सबसे बड़ा कारण है उनका लगातार भूलना, जैसे खाना खाकर भूल जाना और शिकायती लहजे में खाना न मिलने की बात कहना. दैनिक कार्यों को करने में आंशिक या पूरी तरह से अक्षम हो जाना, रिश्ते भूल जाना. परिवार के सदस्यों तक की पहचान भूल जाना. ऐसे में निश्चित रूप से अन्य सदस्यों के लिए चुनौतियां बढ़ जाती हैं.
डॉ पृथ्वी गिरी बताते हैं कि अल्जाइमर से जूझ रहे मरीजों के लिए तीनों प्रकार से सक्रिय रहना जरूरी है ताकि इस रोग से जुड़े प्रबंधन में आसानी हो. ऐसे बुजर्गों की रिटायरमेंट के बाद भी अलग-अलग तरह की एक्टिविटीज में व्यस्त रहने की कोशिश होनी चाहिए, जैसे घर में कोई इनडोर गेम खेलना, बच्चों के साथ वक्त बिताना, कोई शौक यदि हो तो उसमें मन लगाना.
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डॉक्टर पृथ्वी गिरी मानते हैं कि कोविड महामारी के दौर में अल्जाइमर के मरीजों का इलाज व्यापक स्तर पर प्रभावित हुआ है. उनकी तीनों प्रकार की गतिविधियों पर असर पड़ा है, इसके साथ-साथ कोविड संक्रमण.
गंभीरता के जोखिम के कारण अल्जाइमर के मरीजों की संख्या व रोग की गंभीरता में भी इजाफा हुआ है. इसके लिए जरूरी है कि इन मरीजों के प्रति और अधिक जागरूक हुआ जाए, इनके पोषण व इलाज प्रक्रिया व केयर गिविंग आदि पर और अधिक आवश्यक ध्यान दिया जाए, साथ ही कोविड के सन्दर्भ में अतिरिक्त सावधानी बरती जाए.