जैसलमेर: कुंरजा ने किया स्वदेश का रुख, पांच माह तक रहा प्रवास, अब भरने लगीं उड़ान
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जैसलमेर: कुंरजा ने किया स्वदेश का रुख, पांच माह तक रहा प्रवास, अब भरने लगीं उड़ान

जैसलमेर जिले के अनेक क्षेत्र में डेरा डाले बैठी कुरजा पक्षियों ने फिर अपने घरों का रुख कर लिया है. गौरतलब है कि कुंरजा विदेशी पक्षी है, जो सर्दी के मौसम में राजस्थान में प्रवास करती हैं.

 

कुंरजा ने किया स्वदेश का रुख.

 जैसलमेर: गत पांच माह से जैसलमेर जिले के अनेक क्षेत्र में डेरा डाले बैठी कुरजा पक्षियों ने फिर अपने घरों का रुख कर लिया है. गौरतलब है कि कुंरजा विदेशी पक्षी है, जो सर्दी के मौसम में राजस्थान में प्रवास करती है. जैसलमेर के लाठी क्षेत्र में तीन हजार से अधिक कुंरजा प्रवास करती हैं. सर्दी के मौसम के ढ़लने के साथ कुरजाओं ने फिर स्वदेश का रुख कर लिया है. कुरजा विशेष रूप से कजाकिस्तान, मंगोलिया,चीन, रूस आदि क्षेत्र में पाई जाती है.

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वन्य जीव प्रेमी सुमेर सिंह जानकारी देते हुए बताया कि अक्टूबर से फरवरी तक इन क्षेत्रों में सर्दी का असर कम हो जाने और राजस्थान में सर्दी का असर बढ़ने के साथ कुरजाएं यहां आ जाती हैं, जो चार से पांच माह तक यहां निवास करने के बाद पुन: स्वदेश का रुख करती हैं. इस वर्ष जिले में अकाल की स्थिति होने व कई तालाबों में पानी कम होने के कारण उन तालाबों पर कुरजाएं नहीं देखी गईं. सुमेर सिंह ने बताया कि इस क्षेत्र में करीब 2 हजार कुरजाओं ने प्रवास किया. लाठी सहित क्षेत्र के लोहटा तालाब, डेलासर स्थित कोजेरी नाडी, भादरिया स्थित तालाब, खेतोलाई, चाचा स्थित तालाब, देगराय तालाब के आसपास इन कुरजाओं ने डेरा डाल रखा था. पांच माह तक इन कुरजाओं ने यहां प्रवास किया.

अब लौटने लगी अपने वतन कुरजाएं
सर्दी के मौसम में सुबह की सूरज की किरणों के साथ कुरजाओं की चहक से गुलजार होने वाले क्षेत्र अब विरान होने लगे हैं. गर्मी की दस्तक के साथ ही कुरजाओं ने अपना रुख स्वदेश की ओर कर लिया है. एक हजार कुरजाएं यहां लौट चुकी हैं,तो शेष कुरजाएं धीरे-धीरे लौट रही हैं. पक्षी विशेषज्ञों के अनुसार प्रवासी पक्षी कुरजा वतन वापसी से पूर्व एक निश्चित ऊंचाई पर उड़ती हैं और गर्म हवा का आभास होते ही कुरजाएं यहां लौट जाती हैं.

अब लौट रही है कुरजाएं
मौसम के बदलाव के साथ पश्चिमी राजस्थान में कई जगह कुरजां का प्रवास रहता है. प्रतिवर्ष बारिश व क्षेत्र के कई तालाबों में पानी भरा होने के कारण 3 हजार तक कुरजां यहां आकर डेरा डालती हैं. इस वर्ष बारिश नहीं होने और कुछ तालाबों में ही पानी होने के कारण करीब दो हजार कुरजां ने क्षेत्र में प्रवास किया जो अब लौटने लगी हैं.

Report- Shankar Dan

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