नरसी भक्त और नानी बाई की करूण पुकार सुनकर भगवान राधा रूकमणी और लाव लश्कर के साथ मायरा लेकर आते है. धूमधाम से नानी बाई का मायरा भरते है. लेकिन नरसी भक्त ठाकुरजी के देर करने पर रूठ जाते है. रूठे हुए भक्त को भगवान अनुनय विनय कर मानते है.
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Chidawa: झुंझुनूं के चिड़ावा कस्बे में चौरासिया मंदिर में नानी बाई को मायरो कथा आयोजित की गयी. तीसरे और आखिरी दिन भगवान ने मायरा भरने का वृतांत सुनाया गया. इस मौके पर कथा स्थल को रंग बिरंगे गुब्बारों से सजावट की गई.
झुंझुनूं की बाल व्यास ऋतम कौशिक ने भक्ति गीतों की संगीतमयी प्रस्तुति दी. उन्होंने इस मौके पर बताया कि नरसी भक्त व्याकुल होकर अपने मायरे की लाज सांवलशाह को सौंप, सात संतों और ठाकुारजी को साथ लेकर अंजार नगर जाते है. जहां सब लोग नरसी की दीन हीन दुर्दशा को देखकर हंसी उड़ाते है. जिससे नानी बाई भी दुखी हो जाती है और सांवलसाह बीर को पुकारती हैं.
नरसी भक्त और नानी बाई की करूण पुकार सुनकर भगवान राधा रूकमणी और लाव लश्कर के साथ मायरा लेकर आते है. धूमधाम से नानी बाई का मायरा भरते है. लेकिन नरसी भक्त ठाकुरजी के देर करने पर रूठ जाते है. रूठे हुए भक्त को भगवान अनुनय विनय कर मानते है.
कथा व्यास कौशिक ने स्पष्ट किया कि बस भक्ति का ये भाव ही भगवान को सबसे ज्यादा प्रिय है. ईश्वर को धन वैभव नहीं बल्कि निष्काम भक्ति से ही रिझाया जा सकता है. जिसके अनेक उदाहरण मिले है. आरंभ में आचार्य नरेश शास्त्री ने यजमन संदीप रेखा हिम्मतरामका से व्यासपीठ का पूजन करवाया.
आयोजन में धर्मप्रेमी झंडीप्रसाद हिम्मतरामका, व्यापार मंडल अध्यक्ष महेश मालानी, कैलाश फतेहपुरिया, अग्रवाल समाज के अध्यक्ष दामोदरप्रसाद हिम्मतरामका, सुशील गोयल, सहायक प्रशासनिक अधिकारी कैलाशसिंह कविया, साहित्यकार श्याम जांगिड़, विमल खेतान, विनोद चौरासिया, सुभाष पांडे, सुभाष धाबाई, ओमप्रकाश शर्मा, ममता शर्मा, ममता चौमाल, राजकुमारी तिवाड़ी, उषा महमिया समेत कई श्रद्धालुओं ने शिरकत की.
रिपोर्टर- संदीप केड़िया
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