झुंझुनूं: बेजुबानों के लिए बनाया गया अनूठा शेल्टर होम, पशु और पक्षियों के बने अलग-अलग वार्ड
Advertisement
trendingNow1/india/rajasthan/rajasthan1432674

झुंझुनूं: बेजुबानों के लिए बनाया गया अनूठा शेल्टर होम, पशु और पक्षियों के बने अलग-अलग वार्ड

Jhunjhunu News: झुंझुनूं जिला मुख्यालय से पांच किमी दूर नयासर गांव के पास पशु-पक्षियों के लिए अनूठा शेल्टर होम बनाया गया है, जहां पशु और पक्षियों के लिए अलग-अलग वार्ड बने हैं. 

झुंझुनूं: बेजुबानों के लिए बनाया गया अनूठा शेल्टर होम, पशु और पक्षियों के बने अलग-अलग वार्ड

Jhunjhunu News, झुंझुनूं: अपाहिज, बेबस, बेजुबान पशु-पक्षियों के लिए झुंझुनूं में प्रदेश का अनूठा शेल्टर होम बनाया गया है यानी पक्षियों का प्यारा घर. यहां पर उन्हें सेवा के साथ उपचार मिल रहा है. बिना किसी सरकारी सहयोग से तैयार यह आश्रय स्थल प्रदेश का अनूठा है. इसका अभी विधिवत उद्घाटन नहीं हुआ है, लेकिन यहां सौ से अधिक पशु-पक्षियों का उपचार किया जा चुका है. 

साथ ही, यहां सड़क हादसों में घायल आधा दर्जन से अधिक स्ट्रीट डॉग, बाज व अन्य पक्षियों का उपचार चल रहा है. यह शेल्टर होम झुंझुनूं जिला मुख्यालय से पांच किमी दूर नयासर गांव के पास बनाया गया है. 

झुंझुनूं में पशु-पक्षियों के उपचार के लिए काम कर रहे पशु चिकित्सक डॉ. अनिल खीचड़ के प्रयासों से इसकी शुरुआत हुई है. उन्होंने पहले तो सरकारी सहायता के लिए प्रयास किया, लेकिन वहां से कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिला तो खुद ने ही नयासर गांव के पास जमीन खरीद कर पक्षियों के प्यारे घर का निर्माण करवा दिया. इसमें उनकी मित्र मंडली ने उनका पूरा सहयोग किया. उन्होंने प्राणी-मित्र सेवा समिति के नाम से सामाजिक संगठन बनाकर इसका निर्माण शुरू किया. एक वर्ष की अवधि में यह शेल्टर होम बनकर तैयार हो गया है. इसी के साथ यहां बीमार पशु-पक्षियों का उपचार करना शुरू कर दिया गया. 

पशु और पक्षियों के बने हैं अलग-अलग वार्ड
शेल्टर होम में पशु-पक्षियों के लिए अलग-अलग वार्ड बनाए गए हैं. सड़क हादसों में घायल होने वाले स्ट्रीट डॉग के लिए चार वार्ड बनाए गए हैं. पक्षियों के लिए अलग वार्ड होने के साथ बड़े पशुओं के उपचार की भी अलग से व्यवस्था की गई हैं. इन वार्डों में प्राकृतिक वातावरण का भी पूरा ध्यान रखा गया है. वार्डों में बीमार पशुओं को हवा और धूप पूरी तरह से मिल सके, इसके लिए लोहे की जालियां लगाई गई हैं. साथ ही, बाहर खुले में भी उपचार की व्यवस्था की गई है. 

घायल बेजुबानों को अपनी ही कार से लाते हैं शेल्टर होम
डॉ. अनिल खीचड़ की जिले में पशु-पक्षियों के मसीहा के रूप में पहचान है. पिछले दस वर्ष में डॉ. खीचड़ ने पांच हजार से अधिक पशु-पक्षियों का आम रास्तों यहां तक कि सड़क पर भी उपचार किया है. सड़क दुर्घटना में किसी पशु-पक्षी के घायल होने पर डॉ. खीचड़ तत्काल मौके पर पहुंचते हैं और बेजुबान की मरहम पट्टी करते हैं. डॉ. खीचड़ कहते हैं कि पशु-पक्षी का आम रास्ते में उपचार तो कर दिया जाता, लेकिन उसे खाने की तलाश में इधर-उधर जाना पड़ता है. इससे उसको फायदा नहीं होता. ऐसे में उन्होंने शेल्टर होम खोलने की योजना बनाई. इसके लिए पहले तत्कालीन कलेक्टर से सहयोग मांगा, लेकिन जब सरकारी मदद नहीं मिली तो उन्होंने अपने स्तर पर ही शेल्टर होम खोलने का निर्णय किया. 

दवा के साथ चारे-पानी की व्यवस्था
शेल्टर होम में दवा के साथ पशु-पक्षियों के लिए चारे पानी की भी पूरी व्यवस्था की गई है. यहां तक की स्ट्रीट डॉग को जल थैरेपी देने के लिए छोटा टैंक भी बनाया गया है.  शेल्टर होम में दो व्यक्तियों को लगाया गया है. वे वहां पर आने वाले पशु-पक्षियों का पूरा ध्यान रखते हैं. डॉ. खीचड़ दोनों समय वहां जाकर पशु पक्षियों को अपने हाथों से दवा देते हैं. शेल्टर होम का दूसरे चरण में बड़े पशुओं के उपचार के हिसाब से विस्तार किया जाएगा. बड़े पशुओं के उपचार के लिए अभी वहां पर्याप्त व्यवस्था नहीं है. उन्हें खुले में ही रखकर उपचार किया जाता है. दूसरे चरण में बड़े पशुओं के लिए भी बड़े वार्डों का निर्माण करवाया जाएगा. 

यह भी पढ़ेंः Jaipur: सरिस्का वन में कार्रवाई, LNT मशीन और पत्थर से भरे 2 डंपर जब्त

बीमार पशुओं को लाने के लिए एंबुलेंस की दरकार
शेल्टर होम में बीमार पशुओं को लाने, दवा, चारे सहित सभी व्यवस्थाएं निशुल्क है. डॉ. खीचड़ इनकी व्यवस्था स्वयं और मित्रों के सहयोग से करते हैं, लेकिन यहां पर पशुओं को लाने के लिए एक एंबुलेंस की आवश्यकता है, जिससे किसी भी घायल पशु-पक्षी की सूचना मिलने पर उसे वहां से शेल्टर होम लाया जा सकें. उपचार के बाद पशु-पक्षी को वहीं पर वापस छोड़ दिया जाता है. कोई गोद लेना चाहे तो उसे गोद भी दिया जाता है, लेकिन इसके लिए उसे बेसहारा नहीं छोड़ने की शर्त रखी जाती है. 

Reporter- Sandeep Kedia 

Trending news