डॉक्टरों ने परिजनों को आंख जबड़ा निकालने के बारे में जानकारी दी तो 2 दिन पहले परिजन मरीज को वापस अपने गांव लेकर आ गए.
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Barmer: बाड़मेर में ब्लैक फंगस (Black Fungus) की पुष्टि होने के बाद में मरीज का जोधपुर एम्स में ऑपरेशन करवाने की बजाय परिजन उसे वापस गांव आए. परिजन मरीज का इलाज डॉक्टर से कराने की बजाए झांड-फूंककर करवाने में लग गए. इसकी सूचना मिलने पर बीते दो दिनों से प्रशासन के अधिकारी लगातार गांव पहुंचकर मरीज के परिजनों से उसका इलाज करवाने की अपील कर रहे थे. लेकिन इसके बावजूद वो तैयार नहीं हो रहे थे.
हालांकि, आज उनको किसी तरह मनाकर मरीज को जोधपुर एम्स में ऑपरेशन के लिए भेज गया. दरअसल, ककराला गांव पंचायत के सांवलाराम राम देवासी (55) के ब्लैक फंगस के सिम्टम्स के बाद नर्स ने बालोतरा रेफर कर दिया था, उसके बाद जोधपुर के एम्स में रिपोर्ट करवाई गई जिसमें ब्लैक फंगर्स की पुष्टि हो गई.
इसके बाद डॉक्टरों ने परिजनों को आंख जबड़ा निकालने के बारे में जानकारी दी तो 2 दिन पहले परिजन मरीज को वापस अपने गांव लेकर आ गए. यहां पर डॉक्टरों से इलाज न करवाकर झाड़ा-फूंक करवाने में लग गए. गांव की सरपंच प्रतिनिधि वगताराम राम प्रजापत के अनुसार, ब्लैक फंगस (Black Fungus) की पुष्टि होने के बाद सावल राम देवासी को परिजन गांव में लेकर आए और झाड़-फूंक करवा रहे थे.
उन्होंने कहा कि 2 दिन से लगातार प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के साथ ही गांव के मौजूद लोग लगातार परिवार वालों को इस बात में मनाने में जब लगे थे कि इसका इलाज डॉक्टर ही कर सकते हैं, झाड़-फूंक से इसका इलाज संभव नहीं है. इसके बाद आज परिवार के लोग इलाज के लिए राजी हुए तो उन्हें जोधपुर एम्स भेजा गया.
वहीं, उप स्वास्थ्य केंद्र खारवा मनोज के अनुसार, कुछ दिन पहले ही सांवरलाल देवासी को कोरोना की बाद ब्लैक फंगस के लक्षण नजर आने लगे. इस पर हमने बालोतरा भेजा था, जहां पर निजी अस्पताल में इलाज करवाया गया. वहां से जोधपुर के एम्स में भर्ती करवाया जहां पर डॉक्टरों ने ऑपरेशन करने की बात कही तो परिवार के लोग 2 दिन पहले ही वापस आ गए थे. आज फिर से समझाकर एम्स ऑपरेशन के लिए भेजा है.
(इनपुट-भूपेश आचार्य)