कम जमीन-पानी के बावजूद Jodhpur के किसान हर साल कमा रहे लाखों रुपये, जानें खास तकनीक
लगातार गिरते भूजल स्तर और कम पड़ती जोत यानि जमीन के बाद अब मारवाड़ खासकर जोधपुर जिले के किसानों ने खेती में नई तकनीक का सहारा लेकर अच्छी आमदनी भी ले रहे हैं.
Jodhpur: प्रधानमंत्री ने किसानों की आय बढ़ाने के लिए कई योजनाएं शुरू की. अब किसान इन योजनाओं का लाभ लेकर खेती में नवाचार अपनाकर लाखों की कमाई कर रहे हैं.
जोधपुर जिले के एक प्रगतिशील किसान ने सरकारी योजनाओं का लाभ लेकर पौधशाला लगाकर एक साल में साढ़े छ: लाख की आय की, बल्कि खेत में पौधशाला स्थापित कर विभिन्न प्रकार के पौधे तैयार किए, पौधशाला का उद्यान विभाग मे करवाया रजिस्ट्रेशन. अब आस-पास के किसान भी इस पौधशाला से पौधे खरीद कर रहे हैं.
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लगातार गिरते भूजल स्तर और कम पड़ती जोत यानि जमीन के बाद अब मारवाड़ खासकर जोधपुर जिले के किसानों ने खेती में नई तकनीक का सहारा लेकर अच्छी आमदनी भी ले रहे हैं. इसके लिए केंद्र और राज्य सरकार की योजना भी किसानों के लिए किसी वरदान से कम नही हैं. जोधपुर जिले के भोपालगढ़ उपखंड के पालडी राणावता गांव के प्रगतिशील किसान सीताराम सेगवां ने एक किसान समूह तैयार कर खेती में नवाचार अपनाया. इसके बाद अब किसान ने खेती नगदी आय का लाभ प्राप्त किया.
क्या कहना है किसान का
प्रगतिशील किसान सीताराम सेगवां ने बताया कि नाबार्ड वित्तीय सहायता व काजरी जोधपुर और उद्यान विभाग से पौधे तैयार करने, मशाला खेती की उन्नत तकनीकी से खेती आय का लाभ मिला. कृषि- उद्यान विभाग से विभिन्न प्रकार की कृषि उन्नत तकनीकी का भी लाभ मिला, जिससे सबसे पहले खेत में चार हेक्टर में ड्रिप इरीगेशन सिस्टम को अपनाया ताकि खेती सिंचाई जल की बचत हो. फिर बारह आठ मीटर पौधंशाला शैडनेट नार्बाड से वित्तीय सहायता से खेत में एक किसान समूह तैयार कर स्थापित किया. उद्यानिकी विभाग काजरी से उन्नत तकनीक से पौधे तैयार करने की तकनीकी का प्रशिक्षण लिया. अब वह खुद विभिन्न प्रकार के फलदार, वानिकी एवं सब्जियों की पौध तैयार कर रहा है. पौधशाला से इस वर्ष साढ़े छ: लाख की आय प्राप्त हुई. काजरी से उन्नत तकनीकी से देशी खेजड़ी से कलम द्धारा थारशोभा खेजड़ी तैयार की. अब तक पांच हजार पौधे किसान भाइयों में वितरित किए.
जानें थारशोभा खेजड़ी की खासियत
थारशोभा खेजड़ी की खासियत है कि इसमे कांटे नहीं होते हैं. दूसरे साल में ही अच्छी सांगरी का उत्पादन प्राप्त होता है. पशुचारे का भी अच्छा उत्पादन मिलता है. यह तकनीक काजरी से ली. फलदार पौधों में नींबू गुंदा, आंवला, ताइवान पपीता, बेर तथा वांनिकी के तहत पौधों में रोहिडा, शीशम, नीम, अमलतास एवं सब्जी में टमाटर और गोभी के पौध तैयार कर रहा है, जिससे अच्छी आय हो रही हैं.
क्या कहना है कृषि पर्यवेक्षक रफीक अहमद कुरैशी का
कृषि पर्यवेक्षक रफीक अहमद कुरैशी ने बताया कि खेती में सिचांई जल बचत मे बूंद-बूंद सिचांई पद्धति बहुपयोगी तकनीकी है. फसलों के साथ साथ विभिन्न प्रकार के फलदार खेती और मशाला खेती आज की आवश्यकता है. कृषि-उद्यानिकी योजना मे लाभान्वित हो और नवाचार पद्धति को अपनाकर खेती उत्पादन का वांछित लाभ प्राप्त किया जा सकता है. ऐसे में किसानों को परम्परागत खेती को छोड़ नई तकनीक से खेती करने की जरूरत है ताकि उन्हें अच्छी आय हो सके.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार किसानों की आय दुगुनी करने की बात कह रहे हैं. केंद्र और राज्य सरकार भी किसानों को खेती में नई तकनीक के इस्तेमाल के लिए ना केवल प्रेरित कर रही बल्कि कई योजना भी संचालित कर रही हैं ताकि किसानों की आय बढ़े और खेती अच्छी आय का स्रोत बन सके. सरकारी योजनाओं का लाभ उठाकर किसान सीताराम सेंगवा ने साबित कर दिया कि कम पानी, कम जमीन के बावजूद भी किसान इन योजनाओं और तकनीक के सहारे अच्छी आय हासिल कर सकते हैं. जरूरत है तो अन्य किसानों को ऐसे लोगो से प्रेरित होकर नई तकनीक से खेती करने की.
Reporter- Bhawani bhati