Jodhpur News: राजस्थान हाईकोर्ट के जस्टिस सुनील बेनीवाल की बेंच ने आठ करोड़ रूपए के गेहूं घोटाले मामले में सेवानिवृत आईएएस निर्मला मीणा को राहत देने से इंकार करते हुए याचिका को खारिज कर दिया गया.
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Jodhpur News: राजस्थान हाईकोर्ट के जस्टिस सुनील बेनीवाल की बेंच ने आठ करोड़ रूपए के गेहूं घोटाले मामले में सेवानिवृत आईएएस निर्मला मीणा को राहत देने से इंकार करते हुए अभियोजन स्वीकृति रद्द करने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया गया.
निर्मला मीणा की ओर से ओर से उनके खिलाफ अभियोजन स्वीकृति के बाद याचिका दायर की गई, जिसमें उनकी ओर से अधिवक्ता ने याचिका में तर्क दिया कि विभागीय जांच अधिकारी ने उन्हें बरी करने की सिफारिश की थी. अभियोजन स्वीकृति के प्रस्ताव को पहले अस्वीकार किया गया था और कार्मिक विभाग ने पिछली अस्वीकृति पर विचार किए बिना अभियोजन स्वीकृति दे दी.
पहले अभियोजन स्वीकृति से इनकार किया गया था. इसकी नोट शीट सीएम ऑफिस में भेजी गई थी. मामले को फिर से खोलने का कोई औचित्य नहीं था. गेहूं घोटाले मामले में एफआईआर साल 2017 में दर्ज की गई थी. चार्जशीट साल 2018 में दाखिल की गई थी. चार्जशीट दाखिल करने के लगभग 7 साल बाद 27 जनवरी 2025 को अभियोजन स्वीकृति देना पूरी तरह से मनमानी है.
एक तरीके से ये शक्ति के अनुचित प्रयोग को दर्शाता है. मामले में जोधपुर की सबसे पॉश उम्मेद हेरिटेज की रहने वाली सेवानिवृत आईएएस निर्मला मीणा जो कि 2017 में जोधपुर जिला रसद अधिकारी के पद पर थी. उस दौरान मीणा पर गेहूं के दुरुपयोग और उनके आदेश पर अतिरिक्त गेहूं की सप्लाई कर करोड़ों की गड़बड़ी करने का आरोप लगा था, उनके खिलाफ एसीबी जयपुर में एफआईआर दर्ज की गई थी.
एसीबी ने 2018 में चालान पेश किया और 2025 में सरकार से जांच स्वीकृति यानि अभियोजन स्वीकृति मंजूर की है. निर्मला मीणा के घोटाले का पता लगने पर रसद विभाग ने उनके खिलाफ 2017 में चार्जशीट जारी की थी. विभागीय स्तर पर मामले की तहकीकात के बाद जांच अधिकारी ने उन्हें क्लीन चिट दे दी थी. इसी बीच निर्मला मीणा के खिलाफ 2018 में दो अन्य एफआईआर आय से ज्यादा संपत्ति अर्जित करने और पुलिस विश्वविद्यालय में गड़बड़ी को लेकर दर्ज की गई थी.
दोनों ही मामलों में एसीबी की ओर से नकारात्मक रिपोर्ट पेश की गई. गेहूं घोटाले के आरोप को सही मानकर साल 2018 में एसीबी ने चालान पेश कर दिया था. आधिकारिक मंजूरी के लिए राज्य सरकार को फाइल भेजी गई थी, लेकिन सरकार ने अभियोजन स्वीकृति नहीं दी थी. अब 27 जनवरी 2025 में भजनलाल सरकार ने उनके खिलाफ कार्रवाई की आधिकारिक मंजूरी दे दी है.
सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता राजेश पंवार ने कहा कि अभियोजन स्वीकृति देने या इनकार करने के आदेश में हस्तक्षेप का दायरा बहुत सीमित है. निर्मला मीणा के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी, उनके खिलाफ गबन का गंभीर आरोप लगाया गया है. याचिकाकर्ता ने जिला रसद अधिकारी के पद रहते हुए अपनी ताकत और पद का दुरुपयोग किया और करोड़ों रुपये के गेहूं का गबन किया था.
वे लगभग एक महीने तक जेल में भी रही थी. हाईकोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए कहा कि अभियोजन स्वीकृति देने का निर्णय न तो मनमाना है और न ही अवैध... यह मामला गेहूं के कथित दुरुपयोग से जुड़ा है, जिसमें मीणा पर जोधपुर में डीएसओ रहते हुए करोड़ों रुपए के घोटाले का आरोप है. ऐसे में याचिका खारिज होने के चलते मीणा की मुश्किले फिर से बढ़ गई है.
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