Jodhpur Diwali: दिवाली की शाम को जोधपुर के घरों में विशेष लक्ष्मी पूजन होता है. लोग अपने घरों के मुख्य द्वार पर रंगोली और छोटे-छोटे दीये जलाकर मां लक्ष्मी का स्वागत करते हैं. माना जाता है कि नीले शहर की हर गली में जब दीपक जलता है, तो उसकी लौ में आस्था, विश्वास और समृद्धि की चमक झलकती है.
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Jodhpur News: जोधपुर शहर अपनी नीली गलियों, ऊंचे किलों और शाही परंपराओं के लिए दुनिया भर में मशहूर है लेकिन जब दिवाली आती है, तो यह नीला शहर सुनहरी रोशनी में नहा उठता है. दिवाली के दिनों में जोधपुर की गलियां, हवेलियां और बाजार इस तरह सजते हैं कि लगता है जैसे पूरा शहर सोने की चमक से ढक गया हो. आइए जानते हैं कि जोधपुर का नीला शहर दिवाली कैसे मनाता है और इस त्यौहार की रौनक यहां कितनी खास होती है.
लगता सितारे जमीन पर उतर आए हों
दिवाली की तैयारियां जोधपुर में कई दिन पहले से शुरू हो जाती हैं. लोग अपने घरों की सफाई करते हैं, दीवारों पर चूना-पुताई होती है और घरों को रंग-बिरंगे 'मांडना डिजाइनों से सजाया जाता है. पुराने जोधपुर की संकरी नीली गलियां जब दीयों से जगमगाने लगती हैं, तो उनका नजारा देखने लायक होता है. खासकर नवचौकिया, घण्टाघर और महामंदिर इलाके में दिवाली की रात को ऐसा लगता है जैसे सितारे जमीन पर उतर आए हों.
दुकानदार अपने स्टॉल्स को रोशनी और फूलों से सजाते
शहर के प्रमुख बाजारों सर्दार मार्केट, घण्टाघर बाजार और नई सड़क में दिवाली से पहले जबरदस्त रौनक रहती है. यहां लोगों की भीड़ मिठाइयां, कपड़े, दीये, पटाखे और सजावटी सामान खरीदने में व्यस्त रहती है. मक्खनिया लस्सी, मावा कचौरी और घेवर जैसे पारंपरिक व्यंजन दिवाली की मिठास को और बढ़ा देते हैं. दुकानदार अपने स्टॉल्स को रोशनी और फूलों से सजाते हैं, और हर दुकान पर शुभ लाभ और लक्ष्मी गणेश की झिलमिलाती तस्वीरें देखने को मिलती हैं.
आस्था, विश्वास और समृद्धि की चमक झलकती
दिवाली की शाम को जोधपुर के घरों में विशेष लक्ष्मी पूजन होता है. लोग अपने घरों के मुख्य द्वार पर रंगोली और छोटे-छोटे दीये जलाकर मां लक्ष्मी का स्वागत करते हैं. माना जाता है कि नीले शहर की हर गली में जब दीपक जलता है, तो उसकी लौ में आस्था, विश्वास और समृद्धि की चमक झलकती है.
उम्मैद भवन पैलेस रोशनी से जगमगाते
जोधपुर के शाही परिवार की दिवाली भी बेहद खास होती है. मेहरानगढ़ किला और उम्मैद भवन पैलेस रोशनी से जगमगाते हैं. यहां पारंपरिक पूजा के साथ आतिशबाजी का शानदार नजारा देखने को मिलता है. पर्यटक और स्थानीय लोग इस दृश्य को देखने के लिए दूर-दूर से आते हैं.
दिवाली की रात जब जोधपुर का नीला रंग सुनहरी रोशनी में बदल जाता है, तो यह नज़ारा किसी सपने से कम नहीं लगता. यह त्योहार जोधपुर के लोगों के लिए सिर्फ एक परंपरा नहीं, बल्कि एक उत्सव है जो प्रेम, मिलन और समृद्धि का प्रतीक बन चुका है. नीले शहर की यह चमक सच में दिवाली की असली रौनक को बयान करती है.
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