Jaisalmer: 7 बच्चों के सिर से उठ गया पिता का साया, बेबस मां लगा रही मदद की गुहार
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Jaisalmer: 7 बच्चों के सिर से उठ गया पिता का साया, बेबस मां लगा रही मदद की गुहार

पूंजा राम की मौत के बाद अनाथ हो चुके बच्चों एवं परिवार को सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने के लिए प्रशासन एवं क्षेत्र में कार्यरत कोई स्वयंसेवी संस्था भी मदद के लिए आगे आए तो इन बच्चों का भविष्य संवर सकता है.

परिवार में एकमात्र कमाने वाले मुखिया मौत के बाद अब सात बच्चों के परवरिश की जिम्मेदारी विधवा लूणी देवी पर आ पड़ी.

Jaisalmer: पिता का स्नेह बच्चे के विकास का मुख्य आधार होता है, पर यदि छोटी उम्र में ही उनका साया उठ जाए तो बच्चे के पालन-पोषण की राह भी मुश्किल हो जाती है. कुछ ऐसी ही दुख भरी दास्तां है जैसलमेर (Jaisalmer) के झलौडा भाटियान गांव के एक परिवार की. 

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जैसलमेर जिले के झलौडा भाटियान निवासी पूंजा राम पुत्र शक्ता राम भील गांव में दिहाड़ी मजदूरी करता था. उसे दमे की बीमारी ने दो साल से उसे ऐसा चंगुल में लिया कि सब कुछ बिक गया. छोटी सी बचत की रकम उपचार पर खर्च की फिर भी बच नहीं पाया. चालीस वर्ष की उम्र में ही पूंजाराम भील की कल मौत हो गई. वो हमेशा हमेशा के लिए इस दुनिया को अलविदा कह गया. 

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पीछे उसकी 6 मासूम बेटियां और एक नौ वर्षीय बेटे के सिर से पिता का साया उठ जाने के कारण अनाथ हो गए. विधवा हो चुकी लूणी देवी पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा रो-रोकर बुरा हाल हो रहा है. आसपास की महिलाएं संभाल रही हैं. ईश्वर की नियति मानकर दिलासा दिला रही है. परिवार में एकमात्र कमाने वाले मुखिया मौत के बाद अब सात बच्चों के परवरिश की जिम्मेदारी विधवा लूणी देवी पर आ पड़ी.

बीपीएल योजना से वंचित
जानकारी के अनुसार, जब पहली बार जब उसे दमे की बीमारी होने की शिकायत हुई तो स्थानीय अस्पताल में जांच करवाई. यहां उपचार नहीं होने पर जोधपुर के नीजी अस्पताल ले गए. जहां एक साल तक उपचार करवाया. लेकिन गरीबी हालात होने के कारण निरन्तर जोधपुर में उपचार नहीं करवा सके. स्थानीय स्तर पर उपचार लिया. दूसरी ओर पूंजा राम का परिवार बीपीएल योजना में चयनित नहीं होने के कारण सरकार द्वारा दी जाने वाली तमाम योजनाओं से वंचित हैं. इस परिवार को ना तो प्रधानमंत्री आवास मिला, ना ही टांका शौचालय. विधवा लूणी देवी सहित सात बच्चे घांस-फूस से बनी झोपड़ी में सिर छुपाने को मजबूर हैं हालांकि खाद्य सूची में नाम होने से परिवार को 20 किलो राशन का गेहूं मिल रहा है. 

मदद मिले तो संवरे जिंदगी
पूंजा राम की मौत के बाद अनाथ हो चुके बच्चों एवं परिवार को सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने के लिए प्रशासन एवं क्षेत्र में कार्यरत कोई स्वयंसेवी संस्था भी मदद के लिए आगे आए तो इन बच्चों का भविष्य संवर सकता है.

क्या कहना है समाजसेवी का
पूंजाराम भील दो साल से दमे की बीमारी से पीड़ित था. बीपीएल योजना में चयनित नहीं होने के कारण सरकारी सहायता नहीं मिली. स्थानीय स्तर पर  उपचार ले रहा था, जिसकी रविवार को मृत्यु हो गई. परिवार में इकलौता कमाने वाला था 7 बच्चें पत्नी अनाथ हो गए हैं. सरकार प्रशासन गरीब परिवार की सुध लें.

Reporter- Shankar Dan

 

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