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जोधपुर: पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बजट घोषणा के दौरान खेजड़ली स्थित अमृता देवी शहीद पार्क को विकसित करने के लिए करोड़ों रुपए का बजट आवंटित किया था, लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों की और ठेकेदार की मिलीभगत से लाखों रुपए से बना अमृता देवी शहीद स्मारक का पैनोरमा प्री मानसून की बारिश में ही टूट कर बिखर गया. जिससे विश्नोई समाज के लोगों में रोष व्याप्त है और लोग जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं.


हालांकि, जिम्मेदार अधिकारी अब दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की बात कर रहे है जिसके लिए यूडीएच विभाग को पत्र लिखकर चार्ज सीट व विभागीयकार्रवाई करने की अनुशंसा की है लेकिन अधिकारियों की लापरवाही का ही नतीजा है कि 45 लाख रुपयों में शहीदों के लिए बनाया गया पैनोरमा ताश के पत्तों की तरह टूट कर बिखर गया.


दरअसल, खेजड़ी के पेड़ों को बचाने के लिए अमृता देवी विश्नोई सहित 363 लोगों के शहीद होने के सम्मान में खड़ा किया गया पैनोरमा प्री मानसून की बारिश ही नहीं झेल पाया. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की बजट घोषणा की पालना में करीब 5 महीने पहले 45 लाख रुपए की लागत में यह पैनोरमा बनकर तैयार हुआ था और इसमें खेजड़ली शहीद स्मारक पर मुख्य मूर्ति के आसपास गोलाकार में पत्थर लगाकर सभी शहीदों के नाम अंकित किए गए थे, इसमें लाइटिंग व अन्य व्यवस्था भी की गई थी. इस पैनोरमा के माध्यम से आने वाली पीढ़ियों को 363 शहीदों के बारे में जानकारी मिले और जोधपुर आने वाले पर्यटक भी इस स्थल को देखकर पर्यावरण के प्रति जागरूक हो सके इसी उद्देश्य से मुख्यमंत्री ने इस पार्क को विकसित करने के लिए बजट आवंटित किया था, लेकिन गुणवत्ता का ध्यान नहीं रखने के कारण से यह पैनोरमा अब टूट कर बिखर चुका है.


वहीं, बिश्नोई समाज के लोग प्रशासन द्वारा करवाए जा रहे कार्य को लेकर अपनी नाराजगी जाहिर कर रहे हैं और जेडी ए के अधिकारी कर्मचारियों को ही दोषी मान रहे हैं विश्नोई समाज के युवा कालू राम बिश्नोई का कहना है कि अगर अधिकारी गुणवत्ता का ध्यान रखते तो शायद यह पैनोरमा टूटकर नहीं बिखरता लेकिन 24 में से 12 पिलर टूट कर बिखर गए वही युवा स्वरूप राम विश्नोई का कहना है कि शहीदों के नाम पर तो इस तरह का भ्रष्टाचार नहीं होना चाहिए यह तो गनीमत रही अगर मेले वाले दिन यह हादसा होता तो ना जाने कितने लोग घायल हो जाते और इस पैनोरमा में शहीदों के नाम भी उल्टे लगाए गए हैं जिसको लेकर भी अधिकारियों ने ध्यान नहीं दिया.


वही युवा भजनलाल विश्नोई का कहना है कि इस कार्य में जो भी नुकसान हुआ है उसकी भरपाई जेडीए के अधिकारी और ठेकेदार से वसूल की जाए जनता का पैसा इन लोगों की वजह से बर्बाद हुआ है. ऐसे में इन लोगों से ही वसूली करनी चाहिए बरहाल इस पूरे मामले में अब जेडीए के अधिकारी लीपापोती करने में जुटे हुए हैं. वहीं, कह सकते हैं कि मुख्यमंत्री की अपेक्षा के अनुसार शहर का विकास कार्य सही तरीके से नहीं हो रहा है और यही कारण है कि लाखों रुपए का बजट आवंटन के बाद भी गुणवत्ता का ध्यान नहीं रखा जा रहा.


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