जनप्रतिनिधि और नौकरशाही की उदासीनता से ठंडा हुआ पोकरण, अब 'परमाणु शहर' के रूप में इसकी पहचान
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जनप्रतिनिधि और नौकरशाही की उदासीनता से ठंडा हुआ पोकरण, अब 'परमाणु शहर' के रूप में इसकी पहचान

पोकरण की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और इसकी लोक संस्कृति और लोक कला की देश में एक अलग पहचान है.

परमाणु शहर' के रूप में इसकी पहचान

Pokaran: राजस्थान के पोकरण (Jodhpur News) में परमाणु परीक्षण के बाद पोकरण को मिला 'परमाणु नगरी' का दर्जा. लोक कला और संस्कृति की एक अलग पहचान है. जनप्रतिनिधियों और नौकरशाही की उदासीनता के चलते सरकारी कागजों में दबे पोकरण के ऐतिहासिक स्थल हर साल लाखों की संख्या में परमाणु शहर की खूबसूरती को निहारने आते हैं. देशी और विदेशी सैलानी कई बॉलीवुड फिल्मों की हो चुकी है. पोकरण में शूटिंग और लाल मिट्टी के बर्तनों की विदेशों में पहचान है लेकिन अभी तक मान्यता नहीं मिली है.

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पोकरण फिल्ड फायरिंग रेंज में 1974 और 1998 में हुए परमाणु परीक्षणों के बाद विश्व स्तर पर पहचान बना चुकी परमाणु नगरी को आज भी पर्यटन नगरी बनने का इंतजार है. गौरतलब है कि पोकरण की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और इसकी लोक संस्कृति और लोक कला की देश में एक अलग पहचान है. यहां प्रतिवर्ष चार से पांच लाख से अधिक देशी, विदेशी और धार्मिक पर्यटक आते हैं लेकिन ऐतिहासिक पृष्ठ भूमि का पर्याप्त प्रचार नहीं होने से वह यहां की कला से बिना रुबरु हुए ही रुखसत हो जाते है. जिससे यहां आने वाले सैलानियों से पर्यटन व्यवसाय को परोक्ष रूप से लाभ नहीं मिल पा रहा.

पर्यटन स्टेशन में दिखे, तो बने बात
जानकारी के अनुसार परमाणु नगरी पोकरण को स्वर्णनगरी की तरह पर्यटन स्थल के रूप में केवल नक्शे में जगह देने की जरूरत है. पोकरण के इतिहास यहां के पर्यटन और धार्मिक स्थलों को पर्यटन स्टेशनों के नक्शे में खास जगह मिले तो यहां भी पर्यटन व्यवसाय को बढ़ावा मिलने और देशी विदेशी पर्यटकों की आवक बढ़ने की उम्मीद है.

नहीं हो रही है नजरें इनायत
गौरतलब है कि परमाणु नगरी पोकरण में कई ऐसे ऐतिहासिक स्थल है जो पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करने की क्षमता रखते हैं यहां का लाल पत्थर से निर्मित सुंदर फोर्ट और उसमें बने राजप्रासाद पहाड़ी पर स्थित कलात्मक छतरियां और सुंदर झरोखेदार हवेलियां स्थित है. जिससे पर्यटन व्यवसाय के चमकने की पूरी संभावना है लेकिन पर्यटन और पुरातत्व विभाग स्थानीय प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की ओर से इस ओर ठोस योजना बनाने और नजरें इनायत करने को लेकर कोई रुचि नहीं दिखाई जा रही है. जिससे पोकरण अपनी विश्व स्तरीय पहचान के बाद पर्यटन नगरी के रूप में पहचान बनाने में कामयाबी हासिल नहीं कर सका है.

अब तक यह हो चुके है प्रयास
जानकारी के अनुसार पोकरण से पर्यटकों को जोड़ने के लिए जहां मरु मेले की तर्ज पर कार्यक्रम आयोजित किए गए थे. जिसके अंतर्गत दो बार 2008 और 2009 में पोकरण मरु महोत्सव का आयोजन भी किया गया था. वर्ष 2020 में एक दिन के लिए छोटा मरु महोत्सव भी आयोजित किया गया लेकिन वृहद स्तर पर आयोजन नहीं हो पाया. इसी प्रकार देशी विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए जिला प्रशासन और नगरपालिका के सहयोग से जैसलमेर रोड पर पोकरण शक्तिस्थल के नाम से एक स्थल विकसित करने के भी प्रयास किए गए. यहां कुछ इस तरह के मॉडल भी तैयार किए गए. जिससे पर्यटक आकर्षित हो सके लेकिन कुछ समय बाद इसे बंद कर दिए जाने और देखभाल के अभाव में यहां पड़े मॉडल खराब हो जाने के कारण यह योजना भी कारगर नहीं हो सकी.

Reporter: Shankar Dan

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