Rajasthan High Court: राजस्थान हाईकोर्ट ने स्नातक और स्नातकोत्तर कोर्स में स्थानीय छात्रों के लिए 25 प्रतिशत सीटें आरक्षित करने की याचिका को खारिज कर दिया.
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Rajasthan High Court: राजस्थान हाईकोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश डॉ. पुष्पेन्द्रसिंह भाटी की खंडपीठ ने राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय जोधपुर में स्नातक और स्नातकोत्तर कोर्स में स्थानीय छात्रों के लिए 25 प्रतिशत सीटें आरक्षित करने की नीति को यथावत रखते हुए याचिका को खारिज कर दिया.
हाईकोर्ट में अनिंदिता बिस्वास और अन्य की ओर से स्थानीय छात्रों के लिए 25 प्रतिशत सीटे आरक्षित करने की नीति को चुनौती दी थी. याचिका पेश करते हुए स्थानीय आधारित आरक्षण की संवैधानिक वैधता को चुनौती देते हुए अनुच्छेद 14 का उल्लंघन बताया है.
सुनवाई के बाद कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि राजस्थान राज्य ने विवादित अधिसूचना के माध्यम से राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय जोधपुर को देश भर में अपनी सहयोगी एनएलयू द्वारा अपनाई जाने वाली मानक संरचना के साथ संरेखित किया है. ऐसा करने में राज्य ने न तो मनमाने ढंग से काम किया है और न ही उसने राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय जोधपुर अधिनियम 1999 के तहत वैधानिक योजना का उल्लंघन किया है.
इस तरह के आरक्षण प्रावधानों को अपनाना एक सुसंगत और विकसित राष्ट्रीय नीति ढांचे को दर्शाता है, जिसके तहत एनएलयू की स्थापना और वित्तपोषण करने वाले राज्य स्थानीय छात्रों के लिए पहुंच सुनिश्चित करने की आवश्यकता के साथ संस्थान के राष्ट्रीय चरित्र को संतुलित करना चाहते हैं.
इस तरह के अधिवास-आधारित आरक्षण भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 और 15 के तहत समानता संहिता के अनुरूप हैं. इसके साथ ही हाईकोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया. हाईकोर्ट ने अधिवास आधारित आरक्षण की नीति को वैध ठहराया है. यह निर्णय प्रवेश के लिए स्थानीय छात्रों के आधार पर कोटा लागू करने के विश्वविद्यालय के अधिकार को बरकरार रखता है.
Reporter-Rakesh Kumar Bhardwaj
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