फलोदी में महिला शक्ति द्वारा प्राचीन तालाब का हो रहा कायाकल्प
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फलोदी में महिला शक्ति द्वारा प्राचीन तालाब का हो रहा कायाकल्प

जिले में भीषण गर्मी के चलते लोगों के पसीने छूटने लगे हैं. वही पेयजल संकट बढ़ता जा रहा है. बाप क्षेत्र का प्राचीन तालाब पर्याप्त जलापूर्ति के साथ कई गांवों को पीने के पानी उपलब्ध करवाने की क्षमता रखता है. इस तालाब में जमा कचरा और सफाई के साथ रखरखाव को लेकर गांव की सरपंच श्रीमती लीला देवी पालीवाल के साथ बड़ी संख्या में महिला शक्ति तालाब मेघराज सर पर श्रमदान कर रही है. जो समूचे विधानसभा क्षेत्र में चर्चा का विषय बन गया है.

तालाब में जमा कचरा हटाया जा रहा

Jodhpur- जिले में भीषण गर्मी के चलते लोगों के पसीने छूटने लगे हैं. वही पेयजल संकट बढ़ता जा रहा है. बाप क्षेत्र का प्राचीन तालाब पर्याप्त जलापूर्ति के साथ कई गांवों को पीने के पानी उपलब्ध करवाने की क्षमता रखता है. इस तालाब में जमा कचरा और सफाई के साथ रखरखाव को लेकर गांव की सरपंच श्रीमती लीला देवी पालीवाल के साथ बड़ी संख्या में महिला शक्ति तालाब मेघराज सर पर श्रमदान कर रही है. जो समूचे विधानसभा क्षेत्र में चर्चा का विषय बन गया है.

प्राचीन तालाब मेघराज सर पानी से लबालब भरा होने के बावजूद इस तालाब में जमा कचरा और जलीय झाड़ियां पानी को दूषित और बदबूदार बनाती है. जिसको लेकर सरपंच द्वारा तालाब के रखरखाव के साथ-साथ उसकी सफाई व्यवस्था की मुहिम चलाई जा रही है. सामाजिक कार्यकर्ता अखेराज खत्री से मिली जानकारी के अनुसार बाप सरपंच लीला देवी पालीवाल गांव के प्राचीन तालाब के रखरखाव और उसमें लबालब भरे पानी की महत्वता को समझते हुए तालाब में जमा कचरा और जलीय झाड़ियां को हटाने की मुहिम शुरू की है.

जो पानी में सड़कर पानी को दूषित और बदबूदार बना रही थी उसे कटवाकर तालाब को स्वच्छ सुंदर निर्मल सरोवर बनाने की कोशिश है. इसमें सरपंच पालीवाल के सहयोग से महिलाएं बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रही है.

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इस दौरान सरपंच ने कहा कि हम अपने क्षेत्र के तालाब, नाड़ी, कुएं, बावड़ी सहित गांवों के पेयजल श्रोत का ध्यान नही रखेंगे तो आने वाले दिनों में हमें पानी की एक-एक बूंद के लिए यहां वहां दौड़ना पड़ेगा. सरपंच के इस कदम को फलौदी के पूर्व विधायक ओम जोशी, बाप प्रधान मोन कवर भाटी, जिला परिषद सदस्य ठेकेदार रेशमा राम गोदारा, जांबा महंत भगवान दास महाराज सहित कई जनप्रतिनिधियों और ग्रामीणों ने इसकी सराहना की. गौरतलब है कि प्राचीन जल स्रोतों के रखरखाव को लेकर केंद्र और राज्य सरकारें समय-समय पर विभिन्न योजनाओं के माध्यम से तालाबों सहीत नाड़ियों के संरक्षण पर करोड़ों के बजट घोषित करती है. जिसमें गांव ढाणियों के पेयजल संकट दूर करने का प्रयास होता है लेकिन स्थानीय ग्राम पंचायत किस तरह का काम करती है. ये ग्रामीण क्षेत्र के लुप्त होते तालाब नाडिया खुद बयां कर रही है.

रिपोर्ट- अरुण हर्ष

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