Lohawat: मारू-गुलाबी शकरकंद बनाने में मिली सफलता
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Lohawat: मारू-गुलाबी शकरकंद बनाने में मिली सफलता

शकरकंद कर अपने प्रयोग जारी रखे और इस बार इन्होंने सात वर्षो की कड़ी मेहनत के बाद मरु-गुलाबी शकरकंद तैयार करने में सफलता प्राप्त की है. 

शकरकंद बनाने में मिली सफलता

Lohawat: लोहावट तहसील के नोसर गांव निवासी प्रगतिशील जैविक किसान रावल चंद पंचारिया ने नवाचार द्वारा सलेक्शन विधि से शकरकंद की नयी किस्म 'मरू गुलाबी' शकरकंद तैयार करने में सफलता प्राप्त की है. जैविक किसान रावल चंद पंचरिया ने बताया कि करीब सात साल पहले उन्होंने शकरकंद में नवाचार करने का सोचा. जिसके बाद उन्होंने सलेक्शन विधि द्वारा दो वर्षो में देशी शकरकंद से थार-मधु किस्म की शकरकंद तैयार की. उसके बाद उन्होंने पांच वर्ष के प्रयास से सफेद शकरकंद बनाने में सफलता प्राप्त की जो की राज्य का पहला नवाचार रहा.

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जिसके लिए उन्हें सरकार और अन्य संस्थाओं द्वारा सम्मानित भी किया गया. उनके बाद भी उन्होंने शकरकंद कर अपने प्रयोग जारी रखे और इस बार इन्होंने सात वर्षो की कड़ी मेहनत के बाद मरु-गुलाबी शकरकंद तैयार करने में सफलता प्राप्त की है. मरू-गुलाबी शकरकंद की उपयोगिता-किसान रावलचंद ने बताया कि उनके द्वारा उगाई गई. सभी फसले पूर्णतया जैविक हैं. वहीं इस शकरकंद में हीमोग्लोबिन प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है और खाने में स्वादिष्ट है. इसे ज्यूस और सलाद दोनों रूप में उपयोग कर सकते हैं.

किसान रावल चंद ने किसानों को सलाह दी कि शकरकंद की फसल कम पानी में पकती है. बुआई के बाद पत्तो से जमीन ढक जाती है जिससे की जमीन में नमी बनी रहती है. पश्चिमी राजस्थान वाले किसानों के लिए यह आमदनी बढ़ाने में उपयोगी है. इन फसलों में किया नवाचार-जैविक तरीके अपना कर किसान रावल ने सुपरफूड चिया सीड्स, विभिन्न प्रकार के गेंहू,जैसे काले, लाल, खपलि, बैंगनी रंगो में उत्पादित किए हैं और अब अगर लोग इस तरह से खेती करते हैं तो उन्हें कम कीमत में ज्यादा फायदा मिलेगा. ऐसे में अब क्षेत्र के किसान इस और अग्रसर हो रहे हैं और जैविक खेती कर रहे हैं.

Reporter: Arun Harsh

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