केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत रविवार को एक अलग भूमिका में नजर आए. मंत्री ने आजादी के अमृत महोत्सव पर आयोजित भारत प्रदक्षिणा कार्यक्रम में शामिल हुए .
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Jodhpur: केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत रविवार को एक अलग भूमिका में नजर आए. मंत्री ने आजादी के अमृत महोत्सव पर आयोजित भारत प्रदक्षिणा कार्यक्रम में शामिल हुए . कार्यक्रम में बाईक रैली का भी आयोजन किया था, जिसमें शामिल होकर मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने भी बीकानेर की सड़कों पर हार्ले डेविडसन चलाने का मजा भी लिया. कार्यक्रम के बारे में शेखावत ने कहा, "भारत प्रदक्षिणा से राष्ट्र वंदना का कांसेप्ट" राष्ट्रवाद और देशभक्ति से ओत-प्रोत है. अमृतकाल में हम यशस्वी भारत, नया भारत, सामर्थ्य भारत, सशक्त भारत, संपूर्ण भारत, समृद्ध भारत और सुशांत भारत बनाने का संकल्प लें.
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गौरतलब है कि, क्रीड़ा भारती के कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री शेखावत ने शामिल होने पर कहा कि, हम सब लोग सौभाग्यशाली हैं, जो हमें इस समय में देश के लिए काम करने का अवसर मिला है. देश की सनातन सभ्यता और संस्कृति को बचाने के लिए हमारे पूर्वजों ने हजार साल से ज्यादा संघर्ष किया. लाखों नाम-अनाम लोगों ने अपना जीवन और जवानी समर्पित की. पीढ़ियां कुर्बान करके हंसते-हंसते अपने बच्चों को पत्थर में चिनवा दिया. महिलाओं ने आत्मदाह कर सनातन संस्कृति और धर्म को बचाने के लिए अपने आप को अर्पित किया. आजादी की लड़ाई में लाखों लोग हंसते-हंसते फांसी के फंदे पर झूल गए.
बता दें कि बाइक रैली श्री विश्वकर्मा स्कूल ए-सेक्टर शास्त्री नगर से होकर दल्ले खां की चक्की, बारहवीं रोड चौराहा, पांचवीं रोड, जालोरी गेट, सोजती गेट से मेजर शैतान सिंह चौराहा पावटा, बावड़ी तक पहुंची. पांच किलोमीटर बाइक चलाने के बाद केंद्रीय मंत्री शेखावत ने क्रीड़ा भारती जोधपुर प्रांत को जोधपुर क्षेत्र के सात स्थानों पर गर्वमय बाइक रैली निकालने के लिए धन्यवाद दिया. इस बारे में उन्होंने कहा कि विशेषकर इसके जोधपुर के अध्यक्ष पृथ्वीराज सिंह जोधा और संयोजक डॉ. कमल जांगिड़ बधाई के पात्र हैं.
शेखावत ने कहा कि भारत की लाखों वर्षों की सभ्यता है, उसमें 75 वर्ष का यह कालखंड बहुत छोटा है. प्रधानमंत्री जी हमेशा कहते हैं कि हम सबको इस बात का आकलन करने की आवश्यकता है कि 75 साल तक हम क्या कर सकते थे, जो हमने नहीं किया. हम क्या हासिल कर सकते थे, जो हम हासिल नहीं कर पाए. एक राष्ट्र के नाते हम किस मुकाम पर पहुंचना चाहते थे और अमर शहीदों ने किस लक्ष्य को लेकर, किस भाव को लेकर अपना जीवन न्यौछावर किया था, क्या हम उनके साथ में न्याय कर पाए हैं. इसकी कल्पना करते हुए हम अपने आगामी 25 वर्ष राष्ट्र के लिए समर्पित होकर कार्य करें.