क्या है थ्रोम्बोलाइटिक इंजेक्शन, जो हृदय रोगियों की बचा सकती है जान
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क्या है थ्रोम्बोलाइटिक इंजेक्शन, जो हृदय रोगियों की बचा सकती है जान

डॉ सुरेंद्र देवड़ा ने कहा कि छोटी उम्र से लेकर विशेषकर 40 साल के ऊपर आयु के लोग इससे पीड़ित हैं. ऐसे में हमें इसकी रोकथाम के उपायों को जनचेतना बनाना आवश्यक है.

हृदय रोग को लेकर एक कार्यशाला का आयोजन.

जोधपुर: फलोदी के होटल लाल निवास सभागार में डॉक्टर एसोसिएशन फलोदी के द्वारा हृदय रोग को लेकर एक कार्यशाला का आयोजन किया गय. इसमें भारत में हृदय रोग को लेकर बढ़ती संख्या को एक चिंता का विषय मानकर विचार संगोष्ठी आयोजित की गई.

उपायों को जनचेतना बनाना आवश्यक 
इस मौके पर एम्स जोधपुर में हृदय रोग विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ सुरेंद्र देवड़ा ने कहा कि छोटी उम्र से लेकर विशेषकर 40 साल के ऊपर आयु के लोग इससे पीड़ित हैं. ऐसे में हमें इसकी रोकथाम के उपायों को जनचेतना बनाना आवश्यक है.

मृत्यु दर में बढ़ोतरी नरजअंदाज नहीं कर सकते
देवड़ा ने कहा कि अगर हम ऐसा नहीं कर पाएंगे तो हमें कई ऊर्जावान व्यक्तियों की सेवाएं उचित रूप से उपलब्ध नहीं हो पायेगी. उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में हृदय रोगियों की संख्या में वृद्धि और इसके कारण मृत्यु दर में बढ़ोतरी को अब नजरअंदाज नहीं किया जा सकता.

क्या है थ्रोम्बोलाइटिक इंजेक्शन?
उन्होंने चिकित्सकों को बताया कि भारत सरकार आईसीएमआर एवं एम्स द्वारा एक प्रोजेक्ट के माध्यम से तहसील स्तर के सरकारी एवं निजी चिकित्सालयों में एक थ्रोम्बोलाइटिक इंजेक्शन उपलब्ध कराया जा रहा है, हार्ट अटेक की स्थिति में 40 से 50 वर्ष की आयु के रोगी को लगाने से गंभीर स्थिति से बचा जा सकता है.

60 फीसदी बचाव संभव
डॉ देवड़ा ने पांच इंजेक्शन जिला चिकित्सालय, फलोदी में उक्त प्रोजेक्ट के इंचार्ज डॉ. रमेश खत्री को उपलब्ध कराया. वहीं, फिजिशियन डॉ. सतीश पुरोहित ने कहा कि पूर्व में हृदय रोगियों की संख्या वृद्धजनों में अधिक होती थी लेकिन अब युवा वर्ग में भी वृद्धि हो रही है, इसका 60 फीसदी बचाव कर सकते है. 

कैसे करें बचाव?
उन्होंने कहा कि इसके लक्षण बाईं भुजा,पीठ, छाती में दर्द, गले एवं जबड़े में दर्द ज्यादा चलने से पसीना एवं थकान महसूस होना होता है. अतः समय पर उचित जांच कराने तथा वजन नहीं बढ़ने देना, व्यायाम, पैदल चलना, उचित भोजन, योगा आदि से हृदय रोग से बचाव संभव है. 

पुरोहित ने कहा कि 30 से 50 वर्ष आयु वर्ग को वार्षिक स्वास्थ्य जांच की भी सलाह दी जाती है. एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ . बीआर पालीवाल ने अतिथियों का स्वागत करते हुए बताया कि हृदय रोग से बचाव हेतु जानकारी देने हेतु यह विचार गोष्ठी ग्रामीण क्षेत्रों में कार्यरत चिकित्सकों के लिये विशेष रूप से आयोजित की गई है, जिसमें फलोदी , लोहावट, बाप, आऊ क्षेत्र के 32 चिकित्सकों ने भाग लिया. 

(इनपुट-अरुण हर्ष)

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