Phalodi: लूणा गांव की महिलाएं आत्मनिर्भर बनकर खुशी से कर रही ऊन कताई कार्य
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Phalodi: लूणा गांव की महिलाएं आत्मनिर्भर बनकर खुशी से कर रही ऊन कताई कार्य

सामाजिक कार्यकर्ता मनोज पंचारिया चाखू ने बताया कि धोरों में बसे इस गांव में ऊन कटाई का कार्य गर्मी में शीतल जल जैसा है. 

महिलाएं खुशी से कर रही ऊन कताई कार्य

Phalodi: राजस्थान के फलोदी के बाप उपखंड क्षेत्र के लूणा गांव की महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही हैं. ऊन कताई का कार्य जिससे महिलाएं आत्मनिर्भर होकर रोजगार प्राप्त कर रही हैं जो क्षेत्र आकर्षण का केंद्र बनता जा रहा है. यह काम जयपुर रग्स प्राइवेट लिमिटेड कंपनी जो निजी क्षेत्र में ऊन कताई का काम कर रही है. वहीं साथ-साथ पशुपालन और बच्चों को शिक्षा और कृषि कार्य भी कर रही हैं.

बाप उपखंड क्षेत्र की महिलाएं आत्मनिर्भरता के साथ स्वरोजगार की ओर अपना रुख कर अपने परिवार के साथ-साथ लूणा गांव के लिए भी एक उदाहरण के तौर पर पेश आ रही है. गांव की महिलाएं जयपुर की एक कंपनी से कच्चा माल मंगवा कर उन कटाई का कार्य करती देखी जा रही हैं. जो देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के आत्मनिर्भर भारत के नारे को कहीं ना कहीं सार्थक करती देखी जा रही हैं. लूणा गांव की ग्रामीण महिला बाधू देवी ने बताया की में अशिक्षित हूं पर में वर्ष 2017 से ऊन कताई के कार्य से जुड़ी हूं. यह ही नहीं मेरे साथ-साथ बहुत सी क्षेत्रीय महिलाएं यह कार्य करके खुशी से जीवनयापन कर रही हैं. उन की रोजमर्रा जीवनशैली देखी जाए तो वे परिवार के कार्य करके ऊन कताई का कार्य भी कर लेती हैं. जिससे परिवार चलाना आसान हो जाता है. बच्चों की पढ़ाई हो या पशुपालन सब में बहुत सहारा मिलता है.

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सामाजिक कार्यकर्ता मनोज पंचारिया चाखू ने बताया कि धोरों में बसे इस गांव में ऊन कटाई का कार्य गर्मी में शीतल जल जैसा है. इससे अनेकों महिलाएं अपने सपने साकार कर रही हैं और महिलाएं जो आत्म निर्भर हैं, जो अपने हाथ से ऊन कताई का कार्य करके निर्भर होती हैं, आज अनेको महिलाएं इस कार्य को कर रही हैं. स्थानिय दुकानदार ईशाराम गढ़ेर ने बताया कि उन्होने 2017 में कार्य को प्रारंभ किया था. तब उनके कार्य के लिए 70 महिलाएं कताई का काम करती थी लेकिन धीरे-धीरे कारवां बनता गया और वर्तमान में यानी 2022 में 300 महिलाएं आत्म निर्भरता के साथ कार्य कर रही हैं. 

इशारान गढ़ेर ने बताया कि यह ऊन यहां जयपुर से आती है और इसको वापिस कताई करके कंपनी में भेजा जाता है और महिलाओं को मासिक वेतन दे दिया जाता है. क्षेत्र में चाखू, लुणां, उदट, घंटियाली, चिमाणा, बाबा का धौरा, नारायणपुरा और नजदीकी क्षेत्र की महिलाएं खुशी-खुशी कार्य करके अपने आपको और परिवार को सशक्त बना रही हैं जो धौरा धरती में पशुपालन और शिक्षा की लहर लाने में भी यह कार्य सहयोग कर रहा है.

Reporter: Arun Harsh

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