करौली के टोडाभीम में किसान ने कम खाद, बीज और पानी से बोये गेहूं, पैदावार देखने पहुंचे लोग
Advertisement

करौली के टोडाभीम में किसान ने कम खाद, बीज और पानी से बोये गेहूं, पैदावार देखने पहुंचे लोग

किसान द्वारा पूरी तरीके से वैज्ञानिक पद्धति से खेती की गई है, जिसमे कम खाद बीज और कम पानी से बोये गए गेहूं को देखने के लिए आसपास के किसान भी पहुंचे. 

बेड प्लांटर खेती कर अपने खेतों की सूरत बदल दी.

Todabhim: कस्बे के बड़ापुरा निवासी किसान शिवचरण मीणा ने वैज्ञानिक पद्धति से बेड प्लांटर खेती कर अपने खेतों की सूरत बदल दी. उन्होंने बताया कि बेड प्लांटर तरीके से खेती करने से सामान्य पैदावार से 20 से 25% ज्यादा पैदा होती है और अच्छे मुनाफे में बाजार में भी बेची जा सकती है. वहीं, इस विधि से लागत भी कम आती है. 

टोडाभीम के बड़ापुरा निवासी किसान शिवचरण मीना भी वैज्ञानिक पद्धति का इस्तेमाल कर विकास और खुशहाली की एक नई कहानी लिख रहा है. किसान द्वारा पूरी तरीके से वैज्ञानिक पद्धति से खेती की गई है, जिसमे कम खाद बीज और कम पानी से बोये गए गेहूं को देखने के लिए आसपास के किसान भी पहुंचे. 

यह भी पढ़ेंः Today Rashifal: मेष के लिए बनेगा करियर का योग, इन राशियों को हो सकता है बड़ा नुकसान

किसान ने बताया कि वैज्ञानिक पद्धति से खेती करने का विचार बनाया और कृषि विभाग से जानकारी जुटाकर मैंने गेहूं व सरसों की फसल बोई कम लागत में अधिक उपज है. यह 100% सही है और किसानों द्वारा जहां गेहूं की फसल में तीन से चार पानी दिये जाते हैं. वहां विज्ञानिक पद्धति की खेती में दो से तीन बार ही पानी दिया जाता है। वही खाद बीज की मात्रा भी कम उपयोग होती है. 

उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक पद्धति से खेती करने से किसान को अधिक लाभ पहुंचता है और कम लागत में अधिक पैदावार होने से किसान को अपनी बोई हुई फसल का अच्छा दाम भी मिलता है. मुड़िया सहायक कृषि अधिकारी श्रीराम छाबड़ी ने गोष्ठी के दौरान बताया कि किसान को इस विधि से खेती करने के लिए मिट्टी का कंप्यूटर लेजर लेबलर मशीन से समतलीकरण करना पड़ता है. 

उसके बाद प्लाऊ से फसल कटने के बाद मिट्टी को पलटना चाहिए, जिससे खरपतवार वह फसल अवशेष नष्ट हो जाए और वह खाद कार्य करता है. पिलाओ के बाद जमीन में रोटावेटर लगाना चाहिए, जिससे मिट्टी भूरभूरी हो जाए. 

बेड पलांटर मशीन से लगभग सभी सब्जियों, रबी और खरीब की फसल बेड पर समान दूरी पर लाइन से लगाई जाती है. बेड पर होने कारण ये फसल पानी की नमी से होती इसमें आधा से भी कम पानी लगता है. पैदावार सामान्य विधि से 20-25% ज्यादा पैदा होती है. इस दौरान सहायक कृषि अधिकारी जंतुराम मीणा ने जैविक खेती के बारे बताया और सुमेर सिंह राजावत ने गो आधारित खेती के बारे में किसानों को विस्तृत जानकारी दी. 

Reporter- Ashish Chaturvedi

Trending news