सिविल न्यायालय के सामने पिछले कई दिनों से जलदाय विभाग की पाईप लाइन के लीकेज के कारण हजारों लीटर पानी व्यर्थ बह जाता है.
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Todabhim: टोडाभीम कस्बे में इन दिनों जलापूर्ति को लेकर विभाग द्वारा बहानेबाजी व लापरवाही की पोल खुलती दिखाई दे रही है. पुराने सिविल न्यायालय के सामने सड़क किनारे डाली गई पाईप लाईन से की जाने वाली जलापूर्ति के दौरान लीकेज पाईप लाईन से हजारों लीटर पानी व्यर्थ बह रहा है. जबकि कस्बे के कई मोहल्लों में लोग पेयजल के लिये भटक रहे है. इस भीषण गर्मी के दौर में लोगों को अपना गला तर करने के लाले पड़े है. वहीं, दूसरी ओर विभागीय कार्मिकों की जलापूर्ति की लचर कार्यशैली से लोगों को परेशान होना पड़ रहा है.
जलापूर्ति ठप्प होने के कारण कई मोहल्लो के लोगों को काफी दूर चलकर पीने के लिये पानी लाना पड़ रहा है. जबकी पेयजल आपूर्ति गड-बडाने की शिकायत विभागीय अधिकारियों से की तो वे विधुत आपूर्ति गड़बड़ाने का बहाना बनाकर टाल देते है. टोडाभीम यूथ कांग्रेस के ब्लॉक उपाध्यक्ष महेश बड़ापुरा व दिनेश बड़ापुरा ने बताया की सिविल न्यायालय के सामने पिछले कई दिनों से जलदाय विभाग की पाईप लाइन के लीकेज के कारण हजारों लीटर पानी व्यर्थ बह जाता है. लीकेज के कारण पानी सड़क पर भर जाने से लोगों को आवागमन भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा हैं.
अवगत करवाने के बाद भी कुछ नहीं हुआ
पाईप लाईन में हो रहे उक्त लीकेज कि शिकायत स्थानीय उपभोक्ताओं ने कई बार जलदाय विभाग के अधिकारियों एवं कर्मचारियों से लिखित एवं मौखिक रूप से की लेकिन जलदाय विभाग के अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने उक्त लीकेज को दुरुस्त करने की आवश्यकता महसूस नहीं की गई. जिसे देखकर ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि उपखण्ड मुख्यालय पर कार्यरत जलदाय विभाग के अधिकारी एवं कर्मचारी कितने लापरवाह और उदासीन हैं. साथ ही, जलदाय विभाग के कर्मचारियों की मनमानी के चलते कस्बे के अधिकतर मौहल्लों में पेयजल आपूर्ति ठप्प रहती है जिससे कस्बे के लोगों को पेयजल के लिये इधर-उधर भटकना पड़ता है.
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कस्बे में अनियमित पेयजल आपूर्ति होने का मुख्य कारण जलदाय विभाग में स्थानीय कर्मचारियों का कार्यरत होना है. विभाग में स्थानीय कर्मचारी होने के कारण ये कर्मचारी अपनी मनमानी करते हैं जिससे कस्बे में हमेशा पेयजल आपूर्ति अव्यवस्थित रहती है. साथ ही, इन कर्मचारियों को कस्बे की पाईप लाईनों में हो रहे लीकेजों का पता होते हुए भी ये कर्मचारी इन लीकेजों को दुरुस्त नहीं करते हैं.
रिपोर्ट: आशीष चतुर्वेदी