मुकेश सोनी/कोटा: प्रदेश के कोटा मेडिकल कॉलेज से जुड़े अस्पतालों में लोकल दवा खरीद में गड़बड़ी का मामला सामने आया है. साल भर पहले कॉलेज स्तर पर लोकल स्तर पर दवा खरीद का टेंडर होने के बाद भी सप्लायर द्वारा जरूरत की दवा की सप्लाई नही की जा रही. जिसके चलते मेडिकल कॉलेज प्रशासन टेंडर रेट से ज्यादा मूल्य पर पर दवा खरीद कर रहा है.
सूत्रों की मानें तो 81 प्रकार की मेडिसिन व 125 प्रकार के सर्जिकल आइटम, साल भर से टेंडर रेट पर सप्लाई नही होने के कारण मेडिकल कॉलेज प्रशासन को दवाओं के पेटे करीब डेढ़ करोड़ का नुकसान हुआ है. जानकारी के बावजूद भी मेडिकल कॉलेज प्रशासन धृतराष्ट्र की तरह आंखे मूंदे बैठा है. हाल ही में सम्भागीय आयुक्त के निरीक्षण में भी मामला सामने आया था. उसके बावजूद मेडिकल कॉलेज प्रशासन दवा सप्लायर पर कार्रवाई की हिम्मत नही जुटा पाया है. इस कारण मेडिकल कॉलेज प्रशासन की कार्यशैली संदेह के घेरे में है.
क्या है मामला
मेडिकल कॉलेज से जुड़े एमबीएस, जेके लोन व नए अस्पताल में मार्च 2018 में लोकल स्तर पर दवा खरीद का टेंडर हुआ था. जो काफी चर्चा में रहा था. इमसें एक ही परिवार की तीन फर्मो को दवा सप्लाई का टेंडर जारी हुआ था. इसके बाद सर्जिकल आइटम का टेंडर ही नहीं हो पाया. मेडिसिन टेंडर के तहत तीनो बड़े अस्पतालो में करीब 5 करोड़ की दवा सप्लाई की जानी थी. लेकिन लम्बे वक्त से सप्लायर द्वारा अस्पतालों में टेंडर रेट पर दवा सप्लाई नहीं की जा रही. जिसके चलते नए अस्पताल में सरकारी उपभोक्ता भंडार से एमआरपी मूल्य पर दवा व सर्जिकल आइटम खरीद रहा है. जबकि एमबीएस अस्पताल दूसरे सप्लायर से एमआरपी मूल्य से 37 प्रतिशत कम दामो पर दवा व सर्जिकल आइटम खरीद कर मरीजो को उपलब्ध करा रहा है. सूत्रों की माने तो सप्लायर द्वारा दवा सप्लाई नही करने के चलते एमबीएस अस्पताल को 80 लाख व नए अस्पताल को करीब 70 लाख का नुकसान हुआ है.
मुख्यमंत्री निशुल्क दवा योजना के तहत जो दवा सप्लाई में नहीं आती, उन दवाओं के लिए मेडिकल कॉलेज प्रशासन आरएमआरएस के जरिये टेंडर कर खरीद करता हैं भामाशाह कार्डधारी व बीपीएल मरीजो को राजस्थान मेडिकल ड्रग स्टोर के जरिये ये दवाएं व सर्जिकल आइटम निशुल्क उपलब्ध कराई जाती है. जानकारों की मानें तो एमबीएस अस्पताल में राजस्थान मेडिकल ड्रग स्टोर पिछले लंबे समय से रोगियों को केवल एनएसी जारी कर रहा है. जबकि नए अस्पताल में उपभोक्ता भंडार से खरीद कर भामाशाह व बीपीएल कार्डधारियों को उपलब्ध करवाई जा रही है.
खबर के मुताबिक केंसर की इमटीनीब दवा आरएमडीएस स्टोर पर 900 रु सप्लाई रेट है. जबकि इसका बाजार में एमआरपी मूल्य 3000 रुपए है. सप्लायर द्वारा टेंडर रेट पर दवा सप्लाई नहीं करने के चलते अस्पताल प्रशासन इसे बाजार मूल्य से 37 प्रतिशत डिस्काउंट पर खरीद कर मरीज को उपलब्ध करवा रहा है.
ब्लड प्रेशर की लोर्साटन की आरएमडीएस स्टोर पर 3 रुपए सप्लाई रेट है. इसका बाजार में एमआरपी मूल्य 40 से 50 रुपए है. सप्लायर द्वारा टेंडर रेट पर दवा सप्लाई नहीं करने के चलते अस्पताल प्रशासन इसे बाजार मूल्य से 37 प्रतिशत डिस्काउंट पर खरीद कर मरीज को उपलब्ध करवा रहा है. इसी तरह पेंटाप्राजोल गैस की दवा का आरएमडीएस स्टोर में 14 रु सप्लाई रेट है. जबकि बाजार में इसका एमआरपी मूल्य 85 रुपये है. सप्लायर द्वारा टेंडर रेट पर दवा सप्लाई नहीं करने के चलते अस्पताल प्रशासन इसे एमआरपी से 37 प्रतिशत डिस्काउंट पर खरीद कर मरीज को उपलब्ध करवा रहा है.
जिफिटिनिब 400 केंसर की दवा आरएमडीएस स्टोर में 1000 रु सप्लाई रेट है जबकि इसका बाजार में एमआरपी 2500 रुपये है. सप्लायर द्वारा टेंडर रेट पर दवा सप्लाई नहीं करने के चलते अस्पताल प्रशासन इसे एमआरपी से 37 प्रतिशत डिस्काउंट पर खरीद कर मरीज को उपलब्ध करवा रहा है. इसके अलावा ओमीप्राजोल, इनफिसिमेब 100 एमजी, इंट्राकोनोजोल, टेनोफिविर सहित कई जीवन रक्षक दवाएं है जो सप्लायर ,टेंडर रेट पर अस्पतालों को उपलब्ध नही करा रहा. एमबीएस अस्पताल प्रशासन इन दवाओं को एमआरपी मूल्य से 37 प्रतिशत डिस्काउंट पर खरीद कर मरीजो को उपलब्ध करा रहा है. जबकि नए अस्पताल में उपभोक्ता भंडार से एमआरपी मूल्य पर खरीद कर मरीजो को उपलब्ध कराई जा रही है.
आरएमडीएस स्टोर इंचार्ज पीयूष मीणा ने बताया कि 81 तरह की दवाएं व 125 तरह के सर्जिकल आइटम सप्लाई नहीं हो रहे हैं. आरएमडीएस स्टोर से केवल एनओसी जारी की जा रही है. भामाशाह व बीपीएल लाभार्थियों को प्रति दिन 100 से ज्यादा एनओसी जारी कर रहे है. इन दवाओं को अस्पताल में लगे एक फर्म के दवा काउंटर से खरीद कर भामाशाह व बीपीएल कार्डधारियों को उपलब्ध कराया जा रहा. इन दवाओं की रेट में काफी अंतर है. इससे मेडिकल कॉलेज प्रशासन को लाखों की चपत लग रही है जो बड़े घोटाले की ओर इशारा कर रही है.
जब इस बारे एमबीएस अस्पताल अधीक्षक व परचेज कमेटी सदस्य डॉक्टर नवीन सक्सेना से पूछा तो उन्होंने बताया कि दवाओं की सप्लाई नहीं होने के मामले में मेडिकल कॉलेज प्रशासन को लिखित में सूचना दी है कि सम्बंधित दवा सप्लायर पर कार्रवाई करें. दवाओं का टेंडर मेडिकल कॉलेज प्रशासन स्तर पर ही हुआ है इसलिए सप्लायर पर मेडिकल कॉलेज प्रशासन ही जुर्माना लगाएगा.