कोटा: जिले में यूआईटी 7 साल में भी सेंट्रल जेल के लिए जमीन ढूंढ कर पीडब्ल्यूडी को नहीं दे पाई है. आखिकार यूआईटी ने प्रशासन के सामने हार मानते हुए कोटा पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों ने राज्य सरकार को पत्र लिखकर नई जेल के प्रस्ताव को निरस्त करने की सिफारिश की है.
दरसअल, कोटा जेल में कैदियों की बढ़ती संख्या को देखते हुए और नयापुरा की मौजूदा जेल छोटी पड़ने के कारण 2012 में नई जेल बनाने के लिए 51 करोड़ का बजट तत्कालीन सरकार ने स्वीकृत किया था इसके लिए जेल प्रशासन ने 3.72करोड़ रुपये यूआईटी में जमा करवाकर बंधा धर्मपुरा में 200 बीघा जमीन आवंटित करवा ली थी. पीडब्ल्यूडी ने इसके लिए निविदा जारी कर वर्कऑर्डर भी जारी कर दिया था लेकिन मौके पर अतिक्रमण के चलते ठेका कंपनी वहां काम नहीं कर सकी थी. 3 बार इसके लिए वर्कऑर्डर जारी किए गए लेकिन तीनो बार वहां जेल निर्माण का काम शुरू नही हो सका.
यूआईटी के अधिकारियों की इस लापरवाही का खामियाजा कोटा सेंट्रल जेल में बंद कैदियों और उनके परिजनों को भुगतना होगा. जहां प्रदेश में सबसे ज्यादा कैदी बंद है. जहां मौजूदा जेल में 1 हजार कैदियों को रखने की क्षमता है वहां उसकी जगह 1700 कैदी बंद हैं. ऐसे में जेल में निश्चित संख्या से ज्यादा बंद कैदियों में झगड़े और बीमारियों के फैलने का खतरा हमेशा बरकरार रहता है.
सरकारी सिस्टम की शिथिलता और नाकारापन की वजह से कई बार जनता को उसका नुकसान उठाना पड़ता है. वहीं सरकारी सिस्टम में बैठे अफसरों के नाकारापन को दर्शाने वाली ये एक और तस्वीर कोटा यूआईटी से निकल कर आयी है. जिसने प्रशासन की कार्यप्रणाली को सवालों के घेरे में ला दिया है. अब देखना होगा कि गृह विभाग इस मामले को लेकर पत्र मिलने के बाद क्या कदम उठाता है.