झालावाड़: राजस्थान के झालावाड़ जिले (Jhalawar News) की अनमोल धरोहर माने जाने वाली बेशकीमती 12 मूर्तियां (Precious Statues) अजमेर राजपूताना संग्रहालय (Ajmer Rajputana Museum) में रखी हुई है, जो जल्द ही 113 वर्षों बाद एक बार फिर झालावाड़ लौटेगी. इन बेशकीमती मूर्तियों को लाने के लिए झालावाड़ के नवागत जिला कलेक्टर हरिमोहन मीणा (Harimohan Meena) की पहल रंग लाई, जिसकी बदौलत झालावाड़ वासियों को यह खुशी की खबर मिल पाई है.
झालावाड़ के नवागत जिला कलेक्टर हरिमोहन मीणा ने अपना पदभार ग्रहण करने के बाद गत 10 जनवरी को झालावाड़ संग्रहालय का निरीक्षण किया था. उस दौरान उन्हें जानकारी मिली कि झालावाड़ की 12 बेशकीमती मूर्तियां अजमेर के राजपूताना संग्रहालय में रखी हुई है. यह 12 मूर्तियां 113 साल पहले वर्ष 1908 में झालावाड़ से अजमेर में स्थापित राजपूताना संग्रहालय भेजी गई थी, क्योंकि उस समय झालावाड़ में जिला संग्रहालय नहीं हुआ करता था. ऐसे में इन बेशकीमती मूर्तियों को अजमेर भेजकर वहां स्थापित करवा दिया गया, लेकिन वर्ष 1915 में झालावाड़ में भी संग्रहालय की स्थापना हो गई, लेकिन उसके बावजूद यह मूर्तियां झालावाड़ नहीं लौट पाई और ना ही किसी प्रशासनिक अधिकारी ने इस मामले में कोई गंभीरता दिखाई.
ऐसे में झालावाड़ की ये बेशकीमती मूर्तियां अजमेर के राजपूताना संग्रहालय की शोभा बढ़ाती रही हैं. शिव पार्वती, योग नारायण विष्णु, तोरण द्वार मूर्तियां, वाराह अवतार मूर्ति, विष्णु तोरण, नायक नायिका मूर्ति, देवीय स्तंभ, जैन मूर्ति शीर्ष, तथा सिरगल खंड की मूर्तियां इस समय अजमेर के राजपूताना संग्रहालय के भंडार में रखी है. जिन्हें 113 वर्ष पूर्व ही झालावाड़ संग्रहालय की शोभा बन जाना था.
झालावाड़ के नवागत जिला कलेक्टर हरिमोहन मीणा ने संग्रहालय के निरीक्षण के दौरान मूर्तियों के अजमेर होने की जानकारी मिलते ही पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग निदेशक जयपुर को पत्र लिखा. जिस पर निदेशक ने तत्काल कार्रवाई करते हुए अजमेर संग्रहालय के भंडार से इन मूर्तियों को झालावाड़ संग्रहालय भेजने के आदेश जारी कर दिए. पूरे मामले में विशेष सराहनीय प्रयास करने वाले जिला कलेक्टर हरिमोहन मीणा ने बताया कि मूर्तियों लाने की आदेश जारी हो गए हैं. अब पुरातत्व विभाग के अधिकारी मूर्तियों को अजमेर से झालावाड़ लाने की तैयारियों में जुट गए हैं, संभवतः एक माह के भीतर इन मूर्तियों को झालावाड़ जिला संग्रहालय में स्थापित कर दिया जाएगा.
उधर बेशकीमती मूर्तियों को झालावाड़ लाने के लिए लगातार प्रयासरत रहे प्रसिद्ध इतिहासकार ललित शर्मा भी जिला कलेक्टर के सराहनीय प्रयासों पर आभार जताया और कहा कि पूर्व में कई प्रशासनिक अधिकारियों को इस मामले में जानकारी दी गई, लेकिन कोई संज्ञान नहीं लिया गया, लेकिन जिला कलेक्टर विमान मीणा के प्रयासों की बदौलत 113 वर्ष बाद जिले की धरोहर 12 में से 11 मूर्तिया एक बार फिर झालावाड़ लौटेगी. हालांकि ब्रह्मा की एक मूर्ति फिलहाल अजमेर संग्रहालय में ही रहेगी, लेकिन 11 मूर्तियां जल्द ही झालावाड़ संग्रहालय में स्थापित हो जाएगी, जो झालावाड़ वासियों के लिए खुशी से भरी खबर है, तो वहीं, पर्यटकों को भी अब जिला संग्रहालय की ओर आकर्षित करने में मदद मिलेगी.
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