कृषि विभाग का कहना है कि डीएपी के विकल्प के रूप में यूरिया में सिंगल सुपर फॉस्फेट मिलाकर उपयोग में लें.
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Baran: जिले में मानसून सीजन (Monsoon) के बाद अब रबी की बुवाई का दौर शुरू हो गया है. इस बीच किसानों को खाद के लिए परेशान होना पड़ रहा है.
डीएपी की किल्लत के कारण किसानों को घंटों कतार में लगने के बाद दो कट्टे मिल रहे हैं. विदेश से आयात में कमी के कारण डीएपी नहीं मिल रही है.
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कृषि विभाग का कहना है कि डीएपी के विकल्प के रूप में यूरिया में सिंगल सुपर फॉस्फेट मिलाकर उपयोग में लें. शहर में अटरू रोड स्थित सहकारी समिति परिसर से डीएपी खाद का वितरण किया गया. इसमें किसानों को दो-दो कट्टे दिए गए. डीएपी मिलने की उम्मीद में किसान सुबह से ही यहां आकर खड़े हो जाते हैं.
किसानों ने बताया कि घंटों तक कतारों में लगने के बाद भी डीएपी नहीं मिला, किसानों की भीड़ अधिक होने पर पुलिसकर्मी और महिला कर्मी भी तैनात रहे. कतारों के बीच धक्का-मुक्की होती रही. वर्तमान मांग के हिसाब से 18 हजार 500 मीट्रिक टन डीएपी की आवश्यकता है, जिसके मुकाबले 8 हजार 601 मीट्रिक टन डीएपी पहुंच चुका है. अभी 10231 टन एसएसपी और 11 हजार टन यूरिया उपलब्ध है. तिलहन और दलहन फसलों के लिए दोनों को मिलाकर उपयोग में लेना बेहतर है.
जानें रबी फसलों की बुवाई का लक्ष्य
जिले में इस बार 30 हजार हैक्टेयर में हुई फसलों की बुवाई हुई जिले में 3 लाख 36 हजार हैक्टेयर में रबी फसलों की बुवाई का लक्ष्य है. अभी 30 हजार हैक्टेयर में बुवाई हुई है. लक्ष्य में से 25 हजार हैक्टेयर में सरसों, ढाई हजार हैक्टेयर में चना और ढ़ाई हजार हैक्टेयर में अन्य फसलों की बुवाई हो चुकी है. अभी जिले में बुवाई का दौर जारी है.
Reporter- Ram Mehta