1 हजार करोड़ की लागत से तैयार हो रहा प्रोजेक्ट, कोटा को देगा नई पहचान
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1 हजार करोड़ की लागत से तैयार हो रहा प्रोजेक्ट, कोटा को देगा नई पहचान

कोटा में बन रहा चम्बल रिवर फ्रंट का एक ऐसा प्रोजेक्ट जो कोटा को देश ही नहीं बल्कि दुनिया भर में एक नई और अलग पहचान देगा.

ड्रीम प्रोजेक्ट-चंबल रिवर फ्रंट.

Kota: राजस्थान के कोटा में बन रहा चम्बल रिवर फ्रंट का एक ऐसा प्रोजेक्ट जो कोटा को देश ही नहीं बल्कि दुनिया भर में एक नई और अलग पहचान देगा. करीब 1000 करोड़ की लागत से कोटा की लाइफ लाइन चम्बल नदी पर नगर विकास न्यास कोटा तैयार हो रहा है. नायाब प्रोजेक्ट चम्बल रिवर फ्रंट दुनिया के सभी रिवर फ्रंट से सबसे अलग बनने जा रहा है. यहाँ मनोरंजन, ज्ञान, संस्कृति, अध्यात्म के साथ दुनिया के अलग-अलग देशों की अलग-अलग झलक देखने को मिलेगी. चम्बल नदी को कोटा में देवी का दर्जा दिया जाता है, और उसी का ध्यान रखते हुए यहाँ विशाल चम्बल माता की प्रतिमा भी बनने जा रही है. इसमें 20 मीटर पेडस्टल और 40 मीटर ऊंची चम्बल माता की प्रतिमा स्थापित की जाएगी.

नदी में दिखेगा मशालों का प्रतिबिम्ब 
इस घाट पर एक अनुक्रम में कई मशालें लगाई जा रही हैं. इनका प्रतिबिम्ब नदी में दिखाई देगा. गांधी की यादों को संजोये रिवर फ्रंट यहाँ महात्मा गांधी की अस्थि विसर्जन स्थल को यादगार स्थल के रूप में विकसित किया जा रहा है जिसकी लम्बाई 240 मीटर है. इस पर विश्व के पर्यटकों के लिए उनके खाने पिने की व्यवस्था के साथ अनेक देशों की वास्तुकला को एक फसाड के रूप में प्रदर्शित किया जाएगा. यहाँ अलग-अलग लगभग हर थीम पर घाटों का निर्माण हो रहा है.

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आध्यात्मिक से जोड़ेगा ये घाट
भारतीय जीवन शैली के योग, अध्यात्म और ध्यान की शिक्षा से लोगों को जोड़ने के लिए आध्यात्मिक घाट का निर्माण किया जा रहा है. इसका मुख्य आकर्षण भगवत गीता पर आधारित कई निर्मित स्कल्पचर्स होंगे.

राजस्थान विरासत की दिखेगी झलक
360 मीटर लम्बे इस घाट में राजस्थान के 9 क्षेत्रों का वास्तुशिल्प कला संस्कृति को प्रदर्शित करते हुए इस घाट का निर्माण किया जा रहा है. ढूंढाड़, बृज, हाड़ौती, मेवाड़, मारवाड़, वागड़, शेखावाटी, किशनगढ़ के वास्तुशिल्प की झलक अनुसार राजस्थान विरासत स्ट्रीट बनाई जा रही है. जिसमें हर क्षेत्र की हस्तशिल्प, खानपान, इतिहास, कला एवं संस्कृति कॉम्प्लेक्स बनाया जा रहा है. इस घाट के सामने पर्यटकों के हाथी, घोड़ा, ऊंट की सवारी के आनंद सुविधा मिलेगी. इस जगह का निर्माण घड़ियाल को रेखांकित करते हुए बताया जाएगा.

पुस्तक की तरह होगा साहित्य घाट
60 मीटर लंबाई में साहित्य घाट का निर्माण किया जा रहा है. जिसका वास्तुशिल्प पुस्तक की तरह होगा. यहां पांच मंजिला हवेली को पुस्तकालय के रूप में बनाया जा रहा है. जिसमें साहित्य की संरचनाओं को आधुनिक तकनीक के साथ पढ़ा जा सकेगा. साहित्य घाट पर बनी पुस्तक में बनी सीढ़ियों में कवि तुलसीदास, सूरदास, कालिदास, कबीर, मुंशी प्रेमचंद और महादेवी वर्मा की आकृति भी दिखाई देगी.

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यहाँ लगेगा विश्व का सबसे बड़ा नंदी
यहाँ बनेगा भारत का पहला LED गार्डन, आधुनिक तकनीक और एलईडी क्रांति को पेड़ों और ऑर्ट इफेक्ट में प्रदर्शित करते इस गार्डन का निर्माण किया जा रहा है. जहां पर एक भव्य वाटरफॉल भी बनाया जा रहा है.

यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल
सबसे ख़ास यहाँ बनने जा रही घंटी, जो दुनिया की सबसे बड़ी घंटी होगी. चम्बल रिवर फ्रंट पर दुनिया के सात अजूबों में से ये आठवां अजूबा होगा. 57 हजार किलो वजन की ये घंटी यहाँ बनेगी घंटी को रंग भी अपने आप में बेमिसाल दिया जाएगा. इसका केमिकल कंपोजिशन इस तरह से सेट होगा की ये गोल्डन लुक का अहसास कराएगी. ये घंटी जमीनी सतह से 70 फिट ऊँचे स्टेण्ड पर लगेगी. इसकी ध्वनि तरंगे 7 से 8 किलोमीटर दूर तक सुनाई देगी.

इस घंटी को तैयार करने वाले इंजिनियर- देवेंद्र कुमार आर्य
तो खुबिया अनगिनत है और ऐसा ही नायाब होगा. यूडीएच मंत्री शान्ति धारीवाल के विजन वाला विकास पुरुष का ड्रीम प्रोजेक्ट चम्बल रिवर फ्रंट कोटा को नई पहचान देगा. कोटा को पर्यटन सिटी बनाएगा. कोटा के लिए नायाब होगा और कोटा में रोजगार के नए राश्ते प्रशस्त करेगा. कोटा को पर्यटन के पटल पर नया मुकाम महैया कराएगा. चंबल रिवर फ्रंट का काम तेजी से चल रहा है जो अब 2022 के अंत तक दिखाई दे रहा है. इस काम के पूरा होने की सम्भावना जल्द है और 2023 में इसकी सौगात कोटा को मिलगी. 

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