राजस्थान का वो जिला जहां कचहरी में रेस लगाते हैं आवारा मवेशी, ऑफिस कर्मचारी होते है दर्शक
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राजस्थान का वो जिला जहां कचहरी में रेस लगाते हैं आवारा मवेशी, ऑफिस कर्मचारी होते है दर्शक

आवारा पशुओं को पकड़ने के नाम पर केवल कागजी खानापूर्ति कर सरकारी रुपए को हजम कर लिया जाता है. मुख्य बाजार में घूमते आवारा पशुओं के चलते की बार हादसे हो चुके हैं.

सड़क पर आराम करते मवेशी

Deedwana: राजस्थान के नागौर के डीडवाना  में आवारा पशुओं के आतंक से आम लोग परेशान है. नगरपालिका हर साल आवारा पशुओं को पकड़ने के लिए लाखों रुपये के टेंडर निकालती है. लेकिन आवारा पशुओं को पकड़ने के नाम पर केवल कागजी खानापूर्ति कर सरकारी रुपए को हजम कर लिया जाता है. मुख्य बाजार में घूमते आवारा पशुओं के चलते की बार हादसे हो चुके हैं.

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आवारा पशुओं से होने वाले हादसों के बाद नगर पालिका कुछ वक्त के लिए आवारा पशुओं को गोशालाओं में पहुंचाती है. लेकिन कुछ दिन बाद फिर वही ढाक के तीन पात. नगरपालिका और कचहरी परिसर जहां तहसीलदार से लेकर अतिरिक्त जिला कलेक्टर और नगरपालिका के सेनेटरी इंस्पेक्टर से लेकर अधिशाषी अधिकारी और नगर की प्रथम नागरिक तक बैठती है, ठीक उनके सामने लगने वाले सब्जी के ठेलों पर दिनभर आवारा पशु घूमते हैं, लेकिन कोई भी अधिकारी अपनी जवाबदेही समझने तक को तैयार नहीं है.

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नगरपालिका के अधिकारी और कर्मचारी ना तो जिम्मेदार ठेकेदार को पाबंद कर रहे है और ना ही जरूरी कदम उठाये जा रहे हैं. बड़ा सवाल ये भी है कि उपखण्ड के समस्त प्रशासनिक अधिकारी कचहरी परिसर में बैठते हैं कई बार कचहरी परिसर में भी आवारा पशु दौड़ लगाते देखे जा सकते हैं लेकिन कोई अधिकारी कभी नगरपालिका को इसके लिए पाबंद क्यों नहीं करता ?

रिपोर्टर- हनुमान तंवर

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